ETV Bharat / bharat

म्यूकरमाइकोसिस : उत्तराखंड में बढ़ रही मरीजों की संख्या, घर के एसी भी हैं खतरनाक - ऋषिकेश कोरोना ब्लैक फंगस समाचार

कोरोना के साथ उत्तराखंड में ब्लैक फंगस जैसी जानलेवा बीमारी ने भी पैर पसार लिए हैं. एम्स ऋषिकेश में इसके 25 मरीज मिले हैं. एम्स में एक स्पेशल वार्ड बनाया गया है. इसके इलाज के लिए 15 विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम बनाई गई है.

black-fungus
black-fungus
author img

By

Published : May 18, 2021, 8:23 PM IST

ऋषिकेश : उत्तराखंड में लगातार ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. अभी तक एम्स ऋषिकेश में ब्लैक फंगस के 25 मरीज मिल चुके हैं. वहीं उत्तराखंड के तीन अन्य स्थानों पर भी एक-एक मरीज मिले हैं. कोरोना के बाद बढ़ते ब्लैक फंगस के मरीजों ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है.

देश अभी कोरोना जैसी महामारी है निपट नहीं पाया था कि अब ब्लैक फंगस जैसी बीमारी भी लगातार अपने पैर पसार रही है. एम्स ऋषिकेश में अभी तक ब्लैक फंगस के कुल 25 मरीज आ चुके हैं. इनमें से एक की मौत भी हो चुकी है. इसके साथ ही अल्मोड़ा में एक और देहरादून के मैक्स हॉस्पिटल और महंत इंद्रेश हॉस्पिटल में एक-एक मरीज ब्लैक फंगस के पाए गए हैं. इस तरह से लगातार ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है. इसने जरूर सरकार की चिंता बढ़ा दी है.

एम्स में बनाया गया स्पेशल वार्ड

हालांकि, एम्स ऋषिकेश में ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए बाकायदा एक वार्ड तैयार किया गया है. इसमें उनका उपचार किया जाएगा. एम्स में बाकायदा इसके लिए 15 चिकित्सकों की टीम भी बनाई गई है. देहरादून के जिला अधिकारी आशीष श्रीवास्तव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर घोषणा की कि ब्लैक फंगस के मरीजों का उपचार एक ही अस्पताल में किया जाएगा. हर जिले में ब्लैक फंगस के इलाज के लिए विशेष वार्ड बनाया जाएगा.

ऐसे हो रहा ब्लैक फंगस

कोरोना से ठीक होने के 14 से 15 दिन बाद ब्लैक फंगस के मामले देखे जा रहे हैं. हालांकि, कुछ मरीजों में पॉजिटिव होने के दौरान भी यह पाया गया है. यह बीमारी सिर्फ उन्हें होती है जिनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है. देश के 11 राज्यों में यह फैल चुका है.

क्या है म्यूकोरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस)

म्यूकरमाइकोसिस एक ऐसा फंगल इंफेक्शन है, जिसे कोरोना वायरस ट्रिगर करता है. कोविड-19 टास्क फोर्स के एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये उन लोगों में आसानी से फैलता है, जो किसी बीमारी से जूझ रहे हैं या उनका इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर है. म्यूकोरमाइसिटीस राइजोपस प्रजाति से संबंधित है. ब्लैक फंगस संक्रमण अस्पताल के साथ ही घरों में भी फैलने की आशंका रहती है. जिसमें पुराने एयर कंडीशनर, सीलन युक्त कमरे, गंदे कपड़े, घाव को ढकने के लिए प्रयोग में लाई गई पट्टी, मिट्टी के कमरों का हवादार ना होना मुख्य कारण है.

कैसे बनाता है शिकार

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, हवा में फैले रोगाणुओं के संपर्क में आने से कोई व्यक्ति फंगल इंफेक्शन का शिकार हो सकता है. ब्लैक फंगस मरीज की स्किन पर भी विकसित हो सकता है. स्किन पर चोट, रगड़ या जले हुए हिस्सों से ये शरीर में दाखिल हो सकता है.

किन लोगों को खतरा

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के मुताबिक, कुछ खास मामलों में ही कोरोना मरीजों में म्यूकरमाइकोसिस का खतरा बढ़ता है. अनियंत्रित डायबिटीज, स्टेरॉयड की वजह से कमजोर इम्यूनिटी, लंबे समय तक आईसीयू या अस्पताल में दाखिल रहना, किसी अन्य बीमारी का होना, पोस्ट ऑर्गेन ट्रांसप्लांट, कैंसर या वोरिकोनाजोल थैरेपी (गंभीर फंगल इंफेक्शन का इलाज) के मामले में ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ सकता है.

मोर्चा संभालने में जुटी स्वास्थ्य विभाग की टीम

स्वास्थ्य महानिदेशक तृप्ति बहुगुणा ने बताया कि ब्लैक फंगस को कोरोना से जोड़ तो नहीं सकते, लेकिन कोरोना संक्रमण होने के बाद शरीर का इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर हो जाता है. जिससे ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) को बढ़ने के लिए एक अवसर मिल जाता है.

मोर्चा संभालने में जुटी स्वास्थ्य विभाग की टीम

स्वास्थ्य महानिदेशक तृप्ति बहुगुणा ने बताया कि इस कोरोना काल के दौरान लोगों को अलर्ट रहने की जरूरत है. अगर किसी में ब्लैक फंगस के लक्षण दिखाई देते हैं तो वह तत्काल डॉक्टर से सलाह लें. साथ ही तृप्ति बहुगुणा ने बताया कि जो टेक्निकल टीम गठित की है, उस टीम के द्वारा ब्लैक फंगस को लेकर चर्चा हो चुकी है और इस ओर ध्यान दिया जा रहा है कि लोगों में ब्लैक फंगस का संक्रमण न फैले.

मरीजों को शुगर पर रखना होगा विशेष ध्यान

वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अशंक एरेन का कहना है कि तीन तरह से म्यूकोरमाइकोसिस से बचा जा सकता है. अगर कोई मरीज एडमिट है तो उसका शुगर लेवल कंट्रोल होना चाहिए. जो मरीज एस्ट्रॉयड लेना चाह रहे हैं, वे सिर्फ और सिर्फ डॉक्टरों की सलाह पर ही लें. अगर मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर है तो इस बात पर ध्यान देना है कि ऑक्सीजन सिलेंडर में लगे फ्लो मीटर में मौजूद पानी डिस्टल वाटर ही होना चाहिए और समय-समय पर बदलना चाहिए. कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद अगर ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) से संबंधित कोई लक्षण नजर आ रहे हैं या महसूस हो रहा तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

ब्लैक फंगस के लक्षण.
ब्लैक फंगस के लक्षण.

ब्लैक फंगस के लक्षण

  1. आंख, नाक के पास लालिमा के साथ दर्द होता है.
  2. मरीज को चेहरे में दर्द और सूजन का एहसास होता है.
  3. मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है.
  4. खून की उल्टी होने के साथ सिर दर्द, खांसी और बुखार होता है.
  5. मरीज की नाक से काला कफ जैसा तरल पदार्थ निकलता है.
  6. मानसिक स्थिति में बदलाव देखा जाता है.
  7. दांतों और जबड़ों में ताकत कम महसूस होने लगती है.
  8. कई मरीजों को धुंधला दिखाई देता है.
  9. मरीजों को सीने में दर्द होता है.
  10. स्थिति बेहद खराब होने पर मरीज बेहोश हो जाता है.

ब्लैक फंगस से ऐसे बचें

ब्लैक फंगस से कैसे बचें.
ब्लैक फंगस से कैसे बचें.
  1. शुगर के मरीज बरतें खास सावधानी, शुगर को कंट्रोल में रखें.
  2. शुगर के मरीज कोरोना से ठीक होने के बाद ब्लड शुगर जांचते रहें.
  3. स्टेरॉयड को लेकर डॉक्टरों की सलाह लें.
  4. ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान साफ पानी का ही प्रयोग करें.
  5. जितना हो सके धूल वाले क्षेत्रों में जाने से बचें.
  6. मास्क का प्रयोग करें और मास्क से नाक को जरूर कवर करें.
  7. निर्माण या उत्खनन धूल वाले क्षेत्रों से बचने कोशिश करें.
  8. एंटीबायोटिक्स, एंटी फंगल की दवा को डॉक्टर की सलाह पर ही लें.
  9. तूफान और प्राकृतिक आपदाओं के बाद पानी से क्षतिग्रस्त इमारतों और बाढ़ के पानी के सीधे संपर्क से बचें.
  10. त्वचा के संक्रमण के विकास की संभावना को कम करने के लिए, त्वचा की चोटों को साबुन और पानी से अच्छी तरह साफ करें.
  11. अगर आपको कोविड हुआ है तो बंद नाक को महज जुकाम मानकर हल्के में न लें.
  12. फंगल इंफेक्शन को लेकर जरूरी टेस्ट करवाने में देरी न करें.


पढें: राजनीति में वापसी से लेकर कोरोना काल में लोगों की मदद पर कुमार विश्वास ने खुलकर बात की

ऋषिकेश : उत्तराखंड में लगातार ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. अभी तक एम्स ऋषिकेश में ब्लैक फंगस के 25 मरीज मिल चुके हैं. वहीं उत्तराखंड के तीन अन्य स्थानों पर भी एक-एक मरीज मिले हैं. कोरोना के बाद बढ़ते ब्लैक फंगस के मरीजों ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है.

देश अभी कोरोना जैसी महामारी है निपट नहीं पाया था कि अब ब्लैक फंगस जैसी बीमारी भी लगातार अपने पैर पसार रही है. एम्स ऋषिकेश में अभी तक ब्लैक फंगस के कुल 25 मरीज आ चुके हैं. इनमें से एक की मौत भी हो चुकी है. इसके साथ ही अल्मोड़ा में एक और देहरादून के मैक्स हॉस्पिटल और महंत इंद्रेश हॉस्पिटल में एक-एक मरीज ब्लैक फंगस के पाए गए हैं. इस तरह से लगातार ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है. इसने जरूर सरकार की चिंता बढ़ा दी है.

एम्स में बनाया गया स्पेशल वार्ड

हालांकि, एम्स ऋषिकेश में ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए बाकायदा एक वार्ड तैयार किया गया है. इसमें उनका उपचार किया जाएगा. एम्स में बाकायदा इसके लिए 15 चिकित्सकों की टीम भी बनाई गई है. देहरादून के जिला अधिकारी आशीष श्रीवास्तव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर घोषणा की कि ब्लैक फंगस के मरीजों का उपचार एक ही अस्पताल में किया जाएगा. हर जिले में ब्लैक फंगस के इलाज के लिए विशेष वार्ड बनाया जाएगा.

ऐसे हो रहा ब्लैक फंगस

कोरोना से ठीक होने के 14 से 15 दिन बाद ब्लैक फंगस के मामले देखे जा रहे हैं. हालांकि, कुछ मरीजों में पॉजिटिव होने के दौरान भी यह पाया गया है. यह बीमारी सिर्फ उन्हें होती है जिनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है. देश के 11 राज्यों में यह फैल चुका है.

क्या है म्यूकोरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस)

म्यूकरमाइकोसिस एक ऐसा फंगल इंफेक्शन है, जिसे कोरोना वायरस ट्रिगर करता है. कोविड-19 टास्क फोर्स के एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये उन लोगों में आसानी से फैलता है, जो किसी बीमारी से जूझ रहे हैं या उनका इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर है. म्यूकोरमाइसिटीस राइजोपस प्रजाति से संबंधित है. ब्लैक फंगस संक्रमण अस्पताल के साथ ही घरों में भी फैलने की आशंका रहती है. जिसमें पुराने एयर कंडीशनर, सीलन युक्त कमरे, गंदे कपड़े, घाव को ढकने के लिए प्रयोग में लाई गई पट्टी, मिट्टी के कमरों का हवादार ना होना मुख्य कारण है.

कैसे बनाता है शिकार

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, हवा में फैले रोगाणुओं के संपर्क में आने से कोई व्यक्ति फंगल इंफेक्शन का शिकार हो सकता है. ब्लैक फंगस मरीज की स्किन पर भी विकसित हो सकता है. स्किन पर चोट, रगड़ या जले हुए हिस्सों से ये शरीर में दाखिल हो सकता है.

किन लोगों को खतरा

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के मुताबिक, कुछ खास मामलों में ही कोरोना मरीजों में म्यूकरमाइकोसिस का खतरा बढ़ता है. अनियंत्रित डायबिटीज, स्टेरॉयड की वजह से कमजोर इम्यूनिटी, लंबे समय तक आईसीयू या अस्पताल में दाखिल रहना, किसी अन्य बीमारी का होना, पोस्ट ऑर्गेन ट्रांसप्लांट, कैंसर या वोरिकोनाजोल थैरेपी (गंभीर फंगल इंफेक्शन का इलाज) के मामले में ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ सकता है.

मोर्चा संभालने में जुटी स्वास्थ्य विभाग की टीम

स्वास्थ्य महानिदेशक तृप्ति बहुगुणा ने बताया कि ब्लैक फंगस को कोरोना से जोड़ तो नहीं सकते, लेकिन कोरोना संक्रमण होने के बाद शरीर का इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर हो जाता है. जिससे ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) को बढ़ने के लिए एक अवसर मिल जाता है.

मोर्चा संभालने में जुटी स्वास्थ्य विभाग की टीम

स्वास्थ्य महानिदेशक तृप्ति बहुगुणा ने बताया कि इस कोरोना काल के दौरान लोगों को अलर्ट रहने की जरूरत है. अगर किसी में ब्लैक फंगस के लक्षण दिखाई देते हैं तो वह तत्काल डॉक्टर से सलाह लें. साथ ही तृप्ति बहुगुणा ने बताया कि जो टेक्निकल टीम गठित की है, उस टीम के द्वारा ब्लैक फंगस को लेकर चर्चा हो चुकी है और इस ओर ध्यान दिया जा रहा है कि लोगों में ब्लैक फंगस का संक्रमण न फैले.

मरीजों को शुगर पर रखना होगा विशेष ध्यान

वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अशंक एरेन का कहना है कि तीन तरह से म्यूकोरमाइकोसिस से बचा जा सकता है. अगर कोई मरीज एडमिट है तो उसका शुगर लेवल कंट्रोल होना चाहिए. जो मरीज एस्ट्रॉयड लेना चाह रहे हैं, वे सिर्फ और सिर्फ डॉक्टरों की सलाह पर ही लें. अगर मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर है तो इस बात पर ध्यान देना है कि ऑक्सीजन सिलेंडर में लगे फ्लो मीटर में मौजूद पानी डिस्टल वाटर ही होना चाहिए और समय-समय पर बदलना चाहिए. कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद अगर ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) से संबंधित कोई लक्षण नजर आ रहे हैं या महसूस हो रहा तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

ब्लैक फंगस के लक्षण.
ब्लैक फंगस के लक्षण.

ब्लैक फंगस के लक्षण

  1. आंख, नाक के पास लालिमा के साथ दर्द होता है.
  2. मरीज को चेहरे में दर्द और सूजन का एहसास होता है.
  3. मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है.
  4. खून की उल्टी होने के साथ सिर दर्द, खांसी और बुखार होता है.
  5. मरीज की नाक से काला कफ जैसा तरल पदार्थ निकलता है.
  6. मानसिक स्थिति में बदलाव देखा जाता है.
  7. दांतों और जबड़ों में ताकत कम महसूस होने लगती है.
  8. कई मरीजों को धुंधला दिखाई देता है.
  9. मरीजों को सीने में दर्द होता है.
  10. स्थिति बेहद खराब होने पर मरीज बेहोश हो जाता है.

ब्लैक फंगस से ऐसे बचें

ब्लैक फंगस से कैसे बचें.
ब्लैक फंगस से कैसे बचें.
  1. शुगर के मरीज बरतें खास सावधानी, शुगर को कंट्रोल में रखें.
  2. शुगर के मरीज कोरोना से ठीक होने के बाद ब्लड शुगर जांचते रहें.
  3. स्टेरॉयड को लेकर डॉक्टरों की सलाह लें.
  4. ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान साफ पानी का ही प्रयोग करें.
  5. जितना हो सके धूल वाले क्षेत्रों में जाने से बचें.
  6. मास्क का प्रयोग करें और मास्क से नाक को जरूर कवर करें.
  7. निर्माण या उत्खनन धूल वाले क्षेत्रों से बचने कोशिश करें.
  8. एंटीबायोटिक्स, एंटी फंगल की दवा को डॉक्टर की सलाह पर ही लें.
  9. तूफान और प्राकृतिक आपदाओं के बाद पानी से क्षतिग्रस्त इमारतों और बाढ़ के पानी के सीधे संपर्क से बचें.
  10. त्वचा के संक्रमण के विकास की संभावना को कम करने के लिए, त्वचा की चोटों को साबुन और पानी से अच्छी तरह साफ करें.
  11. अगर आपको कोविड हुआ है तो बंद नाक को महज जुकाम मानकर हल्के में न लें.
  12. फंगल इंफेक्शन को लेकर जरूरी टेस्ट करवाने में देरी न करें.


पढें: राजनीति में वापसी से लेकर कोरोना काल में लोगों की मदद पर कुमार विश्वास ने खुलकर बात की

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.