चेन्नई : महात्मा गांधी ने कहा था कि लोकतंत्र एक महान संस्थान है और इसलिए, इसका दुरुपयोग किया जा सकता है. उनकी यह सोच सच हो रही है. दरअसल, राजनीतिक पंडितों का कहना है कि लोकतंत्र का दुरुपयोग किया जा रहा है. उनके अनुसार छह अप्रैल को हुआ तमिलनाडु विधानसभा चुनाव लोकतंत्र को कमजोर बनाने वाला रहा, क्योंकि कि लोगों ने विधानसभा के लिए उन प्रतिनिधियो को चुना है, जो या तो आपराधिक पृष्ठभूमि वाले थे या फिर संपन्न परिवारों के सदस्य थे अच्छी वित्तीय पृष्ठभूमि से आते हैं.
दिल्ली स्थित एक गैर सरकारी संगठन, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने मतदान के लिए नामांकन पत्र दाखिल करते समय उम्मीदवारों द्वारा प्रस्तुत शपथ पत्रों का विश्लेषण करने के बाद यह खुलासा किया है.
इस रिपोर्ट का शीर्षक 'तमिलनाडु विधानसभा चुनाव 2021 - आपराधिक पृष्ठभूमि का विश्लेषण, वित्तीय, शिक्षा, लिंग और जीतने वाले उम्मीदवारों के अन्य विवरण ', है.
रिपोर्ट में कुल 234 निर्वाचित विधायकों में से 224 का विश्लेषण किया है और उचित डेटा की उपलब्धत न होने के कारण NGO ने DMK के आठ और कांग्रेस के दो विधायकों का विश्लेषण में शामिल नहीं किया है.
आपराधिक पृष्ठभूमि वाले विधायक
रिपोर्ट के मुताबिक 2016 के विधानसभा सदस्यों की तुलना में 2021 में विधानसभा के सदस्यों की औसत संपत्ति और आपराधिक मामलों वाले विधायकों की संख्या में वृद्धि हुई है.
DMK के 125 विजयी उम्मीदवारों में से कुल 96 (77%), कांग्रेस से 16 जीतने वाले उम्मीदवारों में से 12 (75%), AIADMK के 66 विजयी उम्मीदवारों में से 15 (23%), पट्टली मक्कल काची के 5 विजयी उम्मीदवारों में से 4 (80%), विदुथलाई काची के 4 में से तीन (75%), बीजेपी के 4 विजयी उम्मीदवारों में से 2 (50%) और सीपीआई के 2 (100%) जीतने वाले उम्मीदवारों ने अपने हलफनामों में खुद के खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं.
2016 में निर्वाचित विधायकों में से 34 प्रतिशत आपराधिक मामलों का सामना कर रहे थे, 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 60 प्रतिशत हो गया.
2021 में चुने गए कम से कम 134 विधायकों पर आपराधिक मामले थे, जिनमें से 57 पर गंभीर प्रकृति के आपराधिक मामले दर्ज हैं.
इस साल कुल 57 (25%) विजेता उम्मीदवारों ने हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण, महिलाओं के साथ अपराध आदि से संबंधित गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं. जीतने वाले उम्मीदवारों में से दो ने खुद के खिलाफ हत्या (IPC धारा -302) से संबंधित मामलों की घोषणा की है और 13 जीतने वाले उम्मीदवारों ने हत्या के प्रयास (IPC धारा -307) के मामलों की घोषणा की है.
तीन विजयी उम्मीदवारों ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित मामलों की घोषणा की है और इनमें से एक ने बलात्कार से संबंधित मामला घोषित किया है.
पार्टी के आधार पर आपराधिक उम्मीदवार
DMK के 125 विजयी उम्मीदवारों में से 39 (31%), कांग्रेस के 16 विजयी उम्मीदवारों में से 6 (38%), AIADMK के 66 विजयी उम्मीदवारों में से 5 (8%), पट्टाली मक्कल काची के पांच में से तीन (60%) विजयी उम्मीदवार, विदुथलाई चिरुथिगाल काची के 4 में से एक (25%), बीजेपी के 4 विजयी उम्मीदवारों में से 2 (50%) और सीपीआई के 2 विजयी उम्मीदवारों में से 1 (50%) ने अपने हलफनामों में खुद के खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं.
संपन्न विधायक
विश्लेषण किए गए 224 विजयी उम्मीदवारों में से, 192 (86%) करोड़पति हैं. यह आंकड़ा 2016 में 170 (76%) था. विश्लेषण से पता चला कि 2016 में विधायकों की संपत्ति 8.21 करोड़ थी, जो 2021 में 50 प्रतिशत बढ़कर 12.27 करोड़ हो गई.
एनजीओ ने पहचान की है कि DMK के 125 में से 111 (89%), AIADMK से 66 में से 58 (88%), कांग्रेस के 16 में से 14 (88%), पट्टली मक्कल काची के 5 में से 3 (60) उम्मीदवार करोड़पति हैं. इसके अलावा BJP के 4 में से 3, (75%), विदुथलाई चिरुथिगाल काची के 4 में से 2 (50%) और CPI के जीतने वाले 2 उम्मीदवारों में से एक (50%) की संपत्ति एक करोड़ से अधिक है.
तिरुनेलवेली जिले के अंबासमुद्रम निर्वाचन क्षेत्र से आने वाले AIADMK विधानसभा सदस्य ई सुबैया कुल 246 करोड़ की संपत्ति के साथ सबसे अमीर उम्मीदवार हैं. एनजीओ का कहना है कि सीपीआई थिरुथुराईपोंडी निर्वाचन क्षेत्र के विधायक के मारीमुथु सबसे गरीब व्यक्ति हैं जिनकी संपत्ति NG 3.3 लाख है.
एनजीओ ने कहा कि चुने गए विधायकों में 77 (34%) के पास 5 वीं पास और 12 वीं पास के बीच शैक्षिक योग्यता है, जबकि 142 (63%) स्नातक और उससे ऊपर की पढ़ाई पूरी की है. जीतने वाले 5 उम्मीदवार डिप्लोमा धारक हैं.
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जीतने वाले उम्मीदवारों के आयु विवरण के बारे में खुलासा करते हुए एनजीओ ने कहा कि 74 (33%) जीतने वाले उम्मीदवार 25 से 50 वर्ष के बीच हैं, जबकि 149 (67%) 51 से 80 वर्ष के बीच हैं और एक विधायक 83 वर्ष का है.
जीतने वाले उम्मीदवारों के लिंग विवरण के बारे में बात करते हुए, एनजीओ ने कहा कि 224 में से केवल 12 (5%) विजेता उम्मीदवार महिलाएं हैं और 2016 में यह आंकड़ा 18 (8%) था.
राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने कहा कि डॉ बीआर अंबेडकर ने कहा था कि लोकतंत्र सरकार का एक रूप नहीं है, बल्कि सामाजिक संगठन का एक रूप है. इसलिए, मतदाताओं को सतर्क रहना चाहिए और लोकतंत्र का दुरुपयोग होने से बचाना चाहिए और लोकतंत्र को पूरे देश और समाज के शांतिपूर्ण विकास के लिए काम करना चाहिए.