हैदराबाद : कोरोना वायरस ने तेजी से पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है. इससे रोजमर्रा के जीवन के हर पहलू पर काफी गहरा असर हुआ है. वहीं इससे भुखमरी बढ़ी है. खाद्य संकट पर वैश्विक रिपोर्ट 2021 में कहा गया कि हिंसक संघर्ष, चरम मौसम की घटनाओं और कोविड-19 से उपजे आर्थिक संकटों के कारण, वर्ष 2020 में कम से कम 15.50 करोड़ लोगों को खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ा है.
खाद्य संकटों के विरुद्ध वैश्विक नेटवर्क के इस अध्ययन में जिन 55 देशों में हालात की समीक्षा की गई है उनमें भुखमरी का यह बदहाल स्तर पांच वर्ष पहले दर्ज किया गया था.
बताया गया है कि अफ्रीकी देश विषमतापूर्ण ढंग से प्रभावित हैं. हिंसक संघर्ष के कारण लगभग 10 करोड़ लोगों के पास खाने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं है जिससे उनकी जीवन व आजीविका पर जोखिम है.
38 देशों व क्षेत्रों में करीब 2.80 करोड़ लोगों को पोषक आहार की कमी से जूझना पड़ रहा है और वे कुपोषण के शिकार होने से बस कुछ कदम ही दूर हैं. अनुमान है कि वर्ष 2020 में 9.80 करोड़ लोगों के पास खाने के लिये पर्याप्त भोजन नहीं था, जिससे उनके जीवन पर जोखिम मंडरा रहा है. हर तीन प्रभावितों में से दो व्यक्ति अफ़्रीकी महाद्वीप का हैं.
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विश्व के अन्य हिस्सों में भी हालात खराब हैं – यमन, अफगानिस्तान, सीरिया और हैती, पिछले वर्ष सबसे खराब खाद्य संकटों का सामना करने वाले देशों में थे.
इस रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र, योरोपीय संघ और सरकारी और गैर-सरकारी एजेंसियों ने तैयार किया है. पिछले पांच वर्षों 39 देशों व क्षेत्रों ने खाद्य संकटों का सामना किया है. इन देशों व क्षेत्रों में, खाद्य असुरक्षा के ऊंचे स्तर से प्रभावित आबादी, वर्ष 2016 में नौ करोड़ 40 लाख से बढ़कर और 2020 में 14 करोड़ से अधिक हो गई. रिपोर्ट में जिन 55 देशों और क्षेत्रों का उल्लेख है, उनमें पांच वर्ष से कम उम्र के साढ़े सात करोड़ से अधिक बच्चे नाटेपन का शिकार हैं और कम से कम डेढ़ करोड़ बच्चों में 2020 में दुर्बलता के संकेत नजर आए हैं.