अहमदाबाद : अहमदाबाद की एक विशेष अदालत आज नरोदा गाम मामले में अपना फैसला आज (गुरुवार) दोपहर चार बजे तक सुनाएगी. इस मामले में भाजपा की पूर्व विधायक माया कोडनानी और कई अन्य दक्षिणपंथी नेता अभियुक्त हैं. 2002 के गोधरा दंगों के दौरान अल्पसंख्यक समुदाय के 11 लोगों की हत्या कर दी गई थी. 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद शहर के नरोदा गाम इलाके में सांप्रदायिक हिंसा में ग्यारह लोग मारे गए थे. इस घटना से एक दिन पहले पहले गोधरा में एक ट्रेन के डब्बे में आग लगा दी गई थी जिसमें अयोध्या से लौट रहे 58 कार सेवकों की मौत हो गई थी.
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कोडनानी के साथ, अन्य प्रमुख आरोपी बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी और विश्व हिंदू परिषद के नेता जयदीप पटेल हैं. प्रधान सत्र न्यायाधीश एसके बक्शी की अदालत ने 16 अप्रैल को मामले में फैसला सुनाने की तारीख 20 अप्रैल तय की थी. इस दौरान अभियुक्तों को भी अदालत में मौजूद रहने को कहा गया है. बता दें कि इस मामले में सभी आरोपी फिलहाल जमानत पर बाहर है. मामले में कुल 86 अभियुक्तों में से 18 की बीच की अवधि में मृत्यु हो गई. मुकदमे के दौरान लगभग 182 अभियोजन पक्ष के गवाहों की जांच की गई. नरोदा गाम मामले में आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 143 (गैरकानूनी जमावड़ा), 147 (दंगा), 148 (घातक हथियारों से लैस होकर दंगा करना), 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत मुकदमा चल रहा है.
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बता दें कि 27 फरवरी 2002 को गुजरात में गोधरा कांड हुआ, अगले दिन 28 फरवरी को नरोडा गांव में 11 लोगों को घर के अंदर और बाहर जिंदा जला दिया गया था. नतीजतन, पुलिस ने घटना स्थल पर 20 लोगों को गिरफ्तार किया और आगे की जांच के दौरान लगभग 50 और लोगों को गिरफ्तार किया गया. आज 21 सालों बाद नरोदा गाम की बात करें तो यहां लोगों का जनजीवन सामान्य हो चुका है. दूसरी तरफ पुलिस की मौजूदगी भी नजर आ रही है. पुलिस द्वारा लगातार पेट्रोलिंग की जा रही है. फिलहाल नरोदा गांव में अप्रिय घटना की आशंका के मद्देनजर एक पीआई, चार पीआईएस पुलिस तैनात की गई है. नरोडा गाम के अंदर कर्फ्यू जैसी स्थिति बनी हुई है. ईटीवी भारत ने स्थानीय लोगों से बात करने की कोशिश की, लेकिन फिलहाल स्थानीय लोग इस मुद्दे पर बोलने को तैयार नहीं दिख रहे हैं.