हरिद्वार : कुंभ में साधु-संतों के अलग अलग रंग देखने को मिल रहे हैं. कोई अपनी अनोखी साधना से तो कोई अपनी वेशभूषा से लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहा है. ऐसी ही अनूठी कद-काठी के संत नारायण नंद गिरि महाराज भी कुंभ में खासी चर्चाएं बटोर रहे हैं.
नारायण नंद गिरि के शरीर की लंबाई 18 इंच और वजन 18 किलो है. ये बाबा हरिद्वार के बिरला घाट पुल के पास रहते हैं. यहां सुबह शाम इन्हें देखने के लिए भक्तों की भारी भीड़ जमा होती है. नारायण नंद गिरि महाराज जूना अखाड़े के नागा संन्यासी हैं. इनका जीवन कठिनाइयों भरा रहा है. आखिर नारायण नंद गिरि महाराज नागा संन्यासी क्यों बने, देखिये हमारी खास रिपोर्ट.
धर्मनगरी हरिद्वार के कुंभ मेले में नागा संन्यासी नारायण नंद गिरि सबके लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. नारायण नंद गिरि ने 2010 के कुंभ में संन्यास की दीक्षा ली. तब से आज तक संन्यास परंपरा को बखूबी निभा रहे हैं. संन्यास की दीक्षा लेने से पहले उन्हें अपने छोटे कद काठी के लिए काफी ताने सुनने पड़ते थे. यही कारण रहा कि उनका मन संन्यास की तरफ मुड़ गया.
नारायण नंद गिरि बताते हैं कि वे झांसी के रहने वाले हैं. नागा सन्यासी बनने के बाद से उका नाम नारायण नंद गिरि है. अभी उनकी उम्र 55 साल है.
नारायण नंद गिरि का कद छोटा होने के साथ ही उन्हें कानों से सुनाई भी नहीं देता है. इसी कारण उनकी सेवा उनके शिष्य राजपाल द्वारा की जाती है. नारायण नंद गिरि के शिष्य राजपाल ही नहलाने सहित पूजा पाठ में सहयोग करते हैं. जो भी श्रद्धालु उनके दर्शन करने आते हैं, उन्हें बाबा से राजपाल ही मिलवाते हैं.
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हरिद्वार कुंभ मेले में अलग-अलग साधु संत देश दुनिया से आने वाले श्रद्धालुओं के मन को मोह रहे हैं. मगर कुंभ में ही आखिर क्यों ऐसे साधुओं के दर्शन होते हैं. इसको लेकर प्रखरजी महाराज का कहना है कि कुंभ मेला 12 वर्षों में लगता है. कुंभ में देश भर के अलग-अलग साधु संत आते हैं, मगर अन्य समय में साधु संतों के प्रति लोगों में आकर्षण नहीं होता.
जब कुंभ में श्रद्धालु इन साधुओं को देखते हैं तो उनके मन में आता है इन साधुओं के बारे में जाना जाए. इनका कहना है कि कुंभ ही एक ऐसा पर्व है जब लाखों की संख्या में अलग-अलग साधु कुंभ नगरी में पहुंचते हैं. यही लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र भी होता है इसी कारण कुंभ मेले में ही अलग-अलग साधु देखने को मिलते हैं.