मुंबई: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2014 में सत्ता में आने पर घोषणा की थी कि वह देश में काले धन को खत्म करने के लिए पहल करेंगे. इसी के अनुरूप उन्होंने देश में 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी लागू की. इस बीच एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है. देवास, नासिक और बेंगलुरु में नोट छापने वाली प्रेसों से ₹500 के 17610 लाख रुपये के नोट गायब हो गए हैं. ये नोट प्रिंटिंग प्रेस से रिजर्व बैंक भेजे तो गए लेकिन रिजर्व बैंक पहुंचे ही नहीं. इस बात का खुलासा आरटीआई से मिली जानकारी में हुआ है.
अजीत पवार ने की जांच की मांग: इन नोटों पर आरबीआई के तत्कालीन गवर्नर रघुराम राजन ने हस्ताक्षर किए थे या किसी और ने अभी भी स्पष्ट नहीं किया गया है. अगर इतनी बड़ी मात्रा में नोट चलन में हैं तो इसकी जानकारी केंद्र और राज्य सरकारों को कैसे नहीं हो सकती? राज्य में विपक्ष के नेता अजित पवार ने सवाल उठाया है कि केंद्रीय जांच एजेंसी को इसकी जानकारी क्यों नहीं है? इस संबंध में अब केंद्रीय जांच एजेंसियां जांच में जुट गई हैं कि आखिर सच क्या है. पवार ने यह भी कहा है कि इसे लोगों के सामने लाया जाना चाहिए?
कितने नोट छापे गए: ₹500 के नोट प्रेस में छपे तो थे लेकिन रिजर्व बैंक तक नहीं पहुंचे, ये नए डिजाइन के नोट थे. इन नोटों की कीमत 88 हजार करोड़ बताई जा रही है. आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि छपे हुए नोट 72600 लाख रुपये ही पहुंचे हैं. यह जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता मनोरंजन रॉय ने दी है. दरअसल, नासिक में करेंसी नोट, प्रेस बैंक नोट प्रेस देवास और रिजर्व बैंक नोट मुद्रांक प्राइवेट लिमिटेड बैंगलोर में नोट छापे जाते हैं. ये नोट रिजर्व बैंक के जरिए पूरे देश में बांटे जाते हैं.
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कहां गए नोट: पिछले चार साल में अब तक आयकर विभाग और आबकारी निदेशालय ने कई जगहों पर छापेमारी की है. इन छापेमारी में ₹500 के करोड़ों रुपये के नोट मिले हैं. हालांकि, इसके बावजूद न तो इन विभागों ने इस बात पर हैरानी जताई कि इस तरह से नोट चलन में कैसे आ गए और न ही उन्होंने जांच की. तो अब कहां गए अरबों रुपये के नए डिजाइन के नोट? मनोरंजन रॉय ने कहा कि वह ईडी, केंद्रीय वित्तीय जांच एजेंसी और अन्य एजेंसियों के साथ देश के वरिष्ठ नेताओं से इसकी शिकायत करेंगे.