अजमेर. हैकर्स अब ऑनलाइन गेमिंग के माध्यम से कम उम्र के बच्चे को निशाना बना रहे हैं. गेमिंग की (Cyber hackers targeting children for cheating) लत के कारण बच्चे माता-पिता के बैंक खातों से पैसा उड़ा रहे हैं. ऐसा ही एक मामला अजमेर में दरगाह क्षेत्र में सामने आया है. यहां एक लावारिस भटक रहे बच्चे की काउंसलिंग से कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. हैकर्स के चंगुल में फंसकर बच्चा गुजरात से अजमेर आ गया. जब उससे पूछा गया तो उसने बताया कि उसे किडनैप किया गया है.
बच्चे को बाल कल्याण समिति को सौंपा गया. जहां अध्यक्ष अंजली शर्मा, मेंबर अरविंद मीणा, तबस्सुम बानो, रूपेश कुमार और राजलक्ष्मी ने बच्चे से काउंसलिंग की और उसके माता-पिता से संपर्क किया. जानकारी के मुताबिक हैकर के चंगुल में फंसकर अजमेर पहुंचा 17 वर्षीय किशोर 12 वीं का छात्र है. वह गुजरात के भरूच के रहने वाले किशोर के पिता भरूच में बिजनेस करते हैं. बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष अंजली शर्मा ने बताया कि काउंसलिंग के दौरान बच्चा काफी डरा हुआ था.
काउंसलिंग में सामने आया कि बच्चा ऑनलाइन गेमिंग की लत के साथ-साथ डार्क वेब के माध्यम से हैकर्स के चंगुल में भी फंसा हुआ था. डार्क वेब अकाउंट बनाते हुए उसने अपनी मां का मोबाइल नंबर दिया था. हैकर्स ने बच्चे की मां के बैंक खाते से 5 लाख रुपए उड़ा लिए. काउंसलिंग में बच्चा बार-बार कह रहा था कि उसे किडनैप करके यहां लाया गया है. लेकिन जब उससे किडनैपर के बारे में पूछा गया तो वो जानकारी नहीं दे पाया. बच्चा डरा हुआ था. इसीलिए बच्चे को शांत और सामान्य स्थिति में लाया गया, ताकि वो अपने आप को सुरक्षित महसूस कर सके.
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हैकर्स के चंगुल में फंसा था बच्चा: बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष अंजली शर्मा ने बताया कि बच्चे के परिजन के आने के बाद भी पूछताछ की गई. तब भी बच्चे ने किडनैप होने की ही बात कही. उसने डार्क वेब और डीप वेब के बारे में भी बताया. इन दोनों वेबसाइट के जरिए ही वो हैकर्स के संपर्क में आया था. शर्मा ने बताया कि परिजन से बात करने पर पता चला कि मां के खाते से निकाली गई राशि बच्चे के बड़े भाई को कनाडा भेजने के लिए लोन लेकर जमा की थी. घटना के बाद से बच्चा और परिजन सदमे में हैं. बच्चें को परिजन के सुपुर्द कर दिया गया है.
अभिभावकों को रखनी होगी निगरानी: बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष अंजली शर्मा ने कहा कि अभी तक छोटे बच्चे ऑनलाइन गेमिंग की लत का शिकार हो रहे हैं. लेकिन अब वो डार्क वेब और डीप वेब के माध्यम से हैकर्स के चंगुल में फंस रहे हैं. ऐसे में परिजनों को विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है. मोबाइल, कंप्यूटर और लैपटॉप पर काम करते वक्त परिजनों को बच्चों पर निगरानी रखनी चाहिए.