नई दिल्ली : सरकार ने शुक्रवार को राज्यसभा में कहा कि पिछले तीन वर्षों के दौरान हाथियों के हमलों के कारण 1581 लोगों की मौत दर्ज की गई, जबकि इसी अवधि में बाघों के हमलों के कारण 207 लोगों ने जान गंवाई.
यह जानकारी पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने तमिलनाडु के सांसद डी. वीरेंद्र हेगड़े के एक सवाल के जवाब में साझा की. उन्होंने पूछा था कि पिछले तीन साल में देश के विभिन्न हिस्सों से मानव-वन्यजीव संघर्ष की कितनी घटनाओं की सूचना मिली है.
इसके लिए मंत्री ने राज्यवार एक डेटा साझा किया, जिसके अनुसार पिछले तीन वर्षों में हाथी के हमलों के कारण 1581 लोगों की मृत्यु दर्ज की गई है. इसमें 2019 में 585, 2020 में 461 और 2021 में 535 लोगों ने जान गंवाई है.
सबसे ज्यादा मौतें 322 ओडिशा में दर्ज की गई हैं. यहां 2019 में 117, 2020 में 93, 2021 में 112 लोगों की मौत हाथियों के हमले में हुई है. इसके बाद झारखंड में 291 लोगों की मौत हुई. झारखंड में 2019 में 84, 2020 में 74 और 2021 में 133 लोगों की मौत हाथियों के हमले में हुई है. पश्चिम बंगाल में 240 लोगों की मौत हाथियों के हमले में हुई. यहां 2019 में 116, 2020 में 47, 2021 में 77 लोगों की मौत हुई.
इसी तरह, मंत्री द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में बाघों के हमलों के कारण 207 मानव मौतें दर्ज की गईं, जिनमें 2020 में 44, 2021 में 57 और 2022 में 106 मौतें दर्ज की गईं.
बाघ के हमलों के कारण सबसे अधिक मौतें महाराष्ट्र में हुईं. यहां 141 लोगों ने जान गंवाई. 2020 में 25, 2021 में 32, 2022 में 84 लोग बाघ के हमले में मारे गए. उत्तर प्रदेश में 29 लोगों को बाघ ने मार डाला. 2020 में 4, 2021 में 11, 2022 में बाघ से जान गंवाने के 14 मामले दर्ज किए गए.
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