नई दिल्ली: सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि 2011 से अब तक केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के 1,532 कर्मियों ने आत्महत्या की है, जिनमें से 71 ने 2023 में और 636 जवानों ने 2019-2023 के बीच अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली है. गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2023 में 71, 2022 में 136, 2021 में 157, 2020 में 143, 2019 में 129, 2018 में 96, 2017 में 125, 2016 में 92, 2015 में 108, 2014 में 125, 2013 में 113, 2012 में 118 और 2011 में 119 सीएपीएफ जवानों ने आत्महत्या की.
यह जानकारी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सांसद हनुमान बेलीवाल के एक सवाल के जवाब में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय की लिखित प्रतिक्रिया के रूप में आई. इसमें 2011 से केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) कर्मियों द्वारा की गई आत्महत्या के मामलों की संख्या और विवरण के बारे में जानकारी मांगी गई थी. यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार को सिस्टम द्वारा उत्पीड़न के कारण होने वाले ऐसे किसी मामले की जानकारी है, इस पर राय ने अपने जवाब में कहा कि सिस्टम द्वारा उत्पीड़न के कारण ऐसे किसी भी मामले की सूचना नहीं दी गई है.
इस सवाल पर कि क्या सरकार ने ऐसे मामलों के पीछे के कारणों की पहचान करने के लिए कोई टास्क फोर्स या समिति गठित की है? राय ने जवाब दिया कि प्रासंगिक जोखिम कारकों के साथ-साथ प्रासंगिक जोखिम समूहों की पहचान करने और सीएपीएफ और असम राइफल्स (एआर) में आत्महत्या को रोकने और भाईचारे को बढ़ाने के लिए उपचारात्मक उपाय सुझाने के लिए एक टास्क फोर्स की स्थापना की गई है. टास्क फोर्स की रिपोर्ट का इंतजार है.
यहां यह ध्यान रखने वाली बात है कि फरवरी की शुरुआत में, यह बताया गया कि कार्यस्थल पर धमकाना, अनुशासनात्मक या कानूनी कार्रवाई शुरू होने का डर, सेवा की शर्तें और कुछ अन्य मुद्दे केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) में आत्महत्या और भाईचारे के मामलों को देखने के लिए गठित टास्क फोर्स द्वारा बताए गए कुछ कारण हैं.