नई दिल्ली: देशद्रोह कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. इसके तहत सभी लंबित मामलों को स्थगित रखा जाना है और यदि कोई नया मामला दर्ज किया जाता है, तो प्रभावित पक्ष राहत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं.
इस मामले पर ईटीवी भारत से बात करते हुए सीनियर एडवोकेट कॉलिन गोंजाल्विस ने आदेश का स्वागत किया और कहा कि यह उत्कृष्ट आदेश है, जिसकी लंबे समय से प्रतीक्षा की जा रही है. गोंजाल्विस ने कहा कि इसके तहत सैकड़ों लोगों को कैद किया गया है. एडवोकेट गोंसाल्वेस ने कहा कि अन्य धाराओं के तहत अभियोजन जारी रहेगा लेकिन जमानत मिलना अब आसान हो जाएगा. उन्होंने कहा कि केदारनाथ निर्णय, बलवंत सिंह बनाम पंजाब राज्य, विनोद दुआ बनाम यूओआई आदि मामलों में शीर्ष अदालत ने इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए राजद्रोह के दायरे को कम कर दिया था. फिर भी धारा का दुरुपयोग जारी रहा और पत्रकारों, कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया. इस पर टिप्पणी करते हुए गोंजाल्विस ने कहा कि न्यायपालिका ने पहले के मामलों में धारा को पूरी तरह से न हटाकर गलती की.
उन्होंने कहा कि जब तक किताब में कोई कानून है पुलिसकर्मी उस पर गौर करेगा और गिरफ्तारी करेगा. गोंजाल्विस ने कहा कि बेहतर होगा कि न्यायपालिका इस मामले को सरकार पर छोड़ने के बजाय सीधे फैसला करे क्योंकि सभी सरकार हर समय टाइमपास करना चाहती है. उन्होंने कहा कि दुरुपयोग को रोकने के लिए सरकार को इसे पूरी तरह से समाप्त करना होगा और केवल प्रावधानों में संशोधन करने से मदद नहीं मिलेगी.
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सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल देशद्रोह को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर नोटिस जारी किया था और केंद्र से जवाब मांगा था. कुछ देरी के बाद केंद्र ने यह कहते हुए जवाब दिया कि वह इस खंड की फिर से जांच करेगा क्योंकि यह एक औपनिवेशिक कानून है और इसे वर्तमान समय के अनुरूप बनाने की आवश्यकता है. इसने न्यायपालिका से मामले की फिर से जांच करने तक इंतजार करने का अनुरोध किया था. CJI एनवी रमना की अगुवाई वाली पीठ ने केंद्र को फिर से जांच करने की अनुमति दी लेकिन इसके दुरुपयोग का हवाला देते हुए फिलहाल के लिए अंतरिम रोक लगा दी.