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संस्कृति संसद में जुटे 1200 संत, राम मंदिर आंदोलन में जान गंवाने वालों के लिए किया महारुद्राभिषेक

वाराणसी में संस्कृति संसद (Varanasi Sanskriti Sansad) की शुरुआत हो चुकी है. इसमें शामिल होने के लिए पूरे देश से संत जुटे हैं. यह कार्यक्रम पांच नवंबर तक चलेगा.

वाराणसी
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 2, 2023, 8:59 PM IST

वाराणसी में संस्कृति संसद की शुरुआत.

वाराणसी : गंगा महासभा की ओर से गुरुवार को वाराणसी में संस्कृति संसद की शुरुआत की गई. यह कार्यक्रम तीन दिनों तक चलेगा. इसमें शामिल होने के लिए देश भर से 1200 से अधिक संत पहुंचे हैं. गुरुवार को संतों ने श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में अयोध्या राम मंदिर आंदोलन में जान गंवाने वाले लोगों की आत्मा की शांति के लिए महारुद्राभिषेक किया. कार्यक्रम पांच नवंबर तक चलेगा. काशी में संतों का यह जुटान अयोध्या में राम मंदिर के शुभारंभ को लेकर अहम माना जा रहा है.

गंगा महासभा की ओर से कराया जा रहा कार्यक्रम : शुक्रवार को वाराणसी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में कार्यक्रम होना है. शंख ध्वनि, डमरू वादन के साथ संतों पर ड्रोन के जरिए पुष्प वर्षा की जाएगी. यह आयोजन अखिल भारतीय संत समिति, अखाड़ा परिषद, श्रीकाशी विद्वत परिषद के सहयोग से गंगा महासभा की ओर से कराया जा रहा है. संस्कृति संसद में भाग लेने के लिए पूरे देश से 400 महामण्डलेश्वर समेत 1200 संत पहुंचे. गुरुवार को संत रविदास घाट पर एकत्रित हुए. इसके बाद गंगा पूजन किया. भारत माता एवं महारानी अहिल्याबाई होल्कर की प्रतिमा पर संतों ने माल्यार्पण किया. इसके बाद रुद्राभिषेक श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर स्थित अविमुक्तेश्वर महादेव मंडप में हुआ.

वाराणसी में पूरे देश से संत जुटे हैं.
वाराणसी में पूरे देश से संत जुटे हैं.

इन संतों ने लिया कार्यक्रम में हिस्सा : महारुद्राभिषेक समारोह के यजमान गंगा महासभा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री गोविंद शर्मा, भक्ति किरण शास्त्री थे. इनके साथ महारुद्राभिषेक करने वाले अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष कैवल्य पीठाधीश्वर जगद्गुरु अविचल देवाचार्य महाराज , परमहंस स्वामी चिदानंद मुनि, आचार्य महामंडलेश्वर विशोकानंद भारती आचार्य महामंडलेश्वर विश्वात्मानंद महाराज, आचार्य महामंडलेश्वर बालिकानंद गिरी महाराज, जगतगुरु शंकराचार्य नरेंद्र आनंद सरस्वती, जगतगुरु शंकराचार्य भानपुरा पीठ ज्ञान आनंद तीर्थ महाराज और स्वामी धर्मदेव, महामंडलेश्वर जनार्दन हरि आदि मौजूद रहे. महारुद्राभिषेक के जरिए सभी संतों ने श्रीराम मंदिर आंदोलन के लिए अपनों प्राणों का न्यौछावर करने वाले लोगों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की.

संतों ने प्रतिमा पर माल्यर्पण भी किया.
संतों ने प्रतिमा पर माल्यर्पण भी किया.

सनातन धर्म पर हो रहा प्रहार : विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने कहा कि वर्तमान समय में सनातन धर्म पर निरंतर प्रहार हो रहा है. हम सब सनातन धर्म की रक्षा के लिए संकल्पित हैं. जिस तरह से लंबे समय के बाद भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर उनके जन्म स्थान पर बना, वह हमारे लिए खुशी का संदेश है. हमने जैसे भगवान श्रीराम की मुक्ति के लिए संकल्पबद्ध होकर कार्य किया है, उसी तरह सनातन धर्म की रक्षा के लिए निरंतर कार्य करेंगे. इसी क्रम में संतों ने आह्वान किया कि 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में भगवान श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर अपने आसपास के मंदिरों में भजन कीर्तन का कार्यक्रम आयोजित करें. 22 जनवरी की शाम को सभी भक्तगण देशभर में श्रीराम जन्मभूमि पर भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के हर्ष में अपने घरों पर दीपक जलाकर दीपोत्सव मनाएं.

यह भी पढ़ें : कंपनी सचिव सम्मेलन: उप राष्ट्रपति बोले- एक समय था जब हमें सोना गिरवी रखना पड़ता था, आज पूरी दुनिया में है साख

वाराणसी में संस्कृति संसद की शुरुआत.

वाराणसी : गंगा महासभा की ओर से गुरुवार को वाराणसी में संस्कृति संसद की शुरुआत की गई. यह कार्यक्रम तीन दिनों तक चलेगा. इसमें शामिल होने के लिए देश भर से 1200 से अधिक संत पहुंचे हैं. गुरुवार को संतों ने श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में अयोध्या राम मंदिर आंदोलन में जान गंवाने वाले लोगों की आत्मा की शांति के लिए महारुद्राभिषेक किया. कार्यक्रम पांच नवंबर तक चलेगा. काशी में संतों का यह जुटान अयोध्या में राम मंदिर के शुभारंभ को लेकर अहम माना जा रहा है.

गंगा महासभा की ओर से कराया जा रहा कार्यक्रम : शुक्रवार को वाराणसी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में कार्यक्रम होना है. शंख ध्वनि, डमरू वादन के साथ संतों पर ड्रोन के जरिए पुष्प वर्षा की जाएगी. यह आयोजन अखिल भारतीय संत समिति, अखाड़ा परिषद, श्रीकाशी विद्वत परिषद के सहयोग से गंगा महासभा की ओर से कराया जा रहा है. संस्कृति संसद में भाग लेने के लिए पूरे देश से 400 महामण्डलेश्वर समेत 1200 संत पहुंचे. गुरुवार को संत रविदास घाट पर एकत्रित हुए. इसके बाद गंगा पूजन किया. भारत माता एवं महारानी अहिल्याबाई होल्कर की प्रतिमा पर संतों ने माल्यार्पण किया. इसके बाद रुद्राभिषेक श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर स्थित अविमुक्तेश्वर महादेव मंडप में हुआ.

वाराणसी में पूरे देश से संत जुटे हैं.
वाराणसी में पूरे देश से संत जुटे हैं.

इन संतों ने लिया कार्यक्रम में हिस्सा : महारुद्राभिषेक समारोह के यजमान गंगा महासभा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री गोविंद शर्मा, भक्ति किरण शास्त्री थे. इनके साथ महारुद्राभिषेक करने वाले अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष कैवल्य पीठाधीश्वर जगद्गुरु अविचल देवाचार्य महाराज , परमहंस स्वामी चिदानंद मुनि, आचार्य महामंडलेश्वर विशोकानंद भारती आचार्य महामंडलेश्वर विश्वात्मानंद महाराज, आचार्य महामंडलेश्वर बालिकानंद गिरी महाराज, जगतगुरु शंकराचार्य नरेंद्र आनंद सरस्वती, जगतगुरु शंकराचार्य भानपुरा पीठ ज्ञान आनंद तीर्थ महाराज और स्वामी धर्मदेव, महामंडलेश्वर जनार्दन हरि आदि मौजूद रहे. महारुद्राभिषेक के जरिए सभी संतों ने श्रीराम मंदिर आंदोलन के लिए अपनों प्राणों का न्यौछावर करने वाले लोगों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की.

संतों ने प्रतिमा पर माल्यर्पण भी किया.
संतों ने प्रतिमा पर माल्यर्पण भी किया.

सनातन धर्म पर हो रहा प्रहार : विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने कहा कि वर्तमान समय में सनातन धर्म पर निरंतर प्रहार हो रहा है. हम सब सनातन धर्म की रक्षा के लिए संकल्पित हैं. जिस तरह से लंबे समय के बाद भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर उनके जन्म स्थान पर बना, वह हमारे लिए खुशी का संदेश है. हमने जैसे भगवान श्रीराम की मुक्ति के लिए संकल्पबद्ध होकर कार्य किया है, उसी तरह सनातन धर्म की रक्षा के लिए निरंतर कार्य करेंगे. इसी क्रम में संतों ने आह्वान किया कि 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में भगवान श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर अपने आसपास के मंदिरों में भजन कीर्तन का कार्यक्रम आयोजित करें. 22 जनवरी की शाम को सभी भक्तगण देशभर में श्रीराम जन्मभूमि पर भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के हर्ष में अपने घरों पर दीपक जलाकर दीपोत्सव मनाएं.

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