नई दिल्ली : कक्षा 10वीं और 12वीं के 1,152 छात्र जिन्हें निजी/कम्पार्टमेंट परीक्षा देनी है, उन्होंने इस कम्पार्टमेंट परीक्षा रद्द करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रूख किया है. छात्रों ने इन परीक्षाओं का मूल्यांकन नियमित छात्रों की परीक्षा के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले फार्मूले के आधार पर ही किए जाने की मांग की है.
सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड ने पहले ही शीर्ष अदालत के समक्ष वो फार्मूला प्रस्तुत कर चुके हैं जिसके तहत बच्चों की परीक्षा का मूल्यांकन किया जाएगा. इस फार्मूले पर याचिकाकर्ता और अदालत को कोई आपत्ति भी नहीं थी.
जिन छात्रों को अपना साल रिपीट करना है, उन्होंने कोर्ट से गुहार लगाया है कि उनके साथ भी समान व्यवहार किया जाए और उनका रिजल्ट भी समयबद्ध तरीके से प्रकाशित किया जाए. छात्रों ने कहा कि यदि वे अपने परिणामों से संतुष्ट नहीं हैं, तो सीबीएसई को उनकी शिकायतों का समाधान करना चाहिए.
छात्रों ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि देश में मौजूद कोविड 19 महामारी की स्थिति के कारण निजी/कम्पार्टमेंट उम्मीदवारों की फिजिकल मोड में आयोजित करना उचित नहीं है, क्योंकि यह उनके जीवन को खतरे में डालेगा.
छात्रों ने निजी, कम्पार्टमेंट और पुनरावर्तक छात्रों को संतुष्ट नहीं होने की स्थिति में उचित समय के भीतर अपनी आपत्तियां दर्ज करने की अनुमति देने के लिए सीबीएसई को निर्देश देने की भी प्रार्थना की है.
याचिका पर 21 जून को सुनवाई होने की संभावना है जब अदालत सीबीएसई, आईसीएसई और राज्य बोर्ड परीक्षा से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करेगी.
ऐसे होगा परीक्षा का मूल्यांकन
गौरतलब है कि केंद्र माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने 12वीं क्लास की परीक्षा कोरोना का बढ़ते संक्रमण का हवाला देते हुए रद्द कर दी थी. सीबीएसई ने 12वीं क्लास के मूल्यांकन के लिए 10वीं, 11वीं और 12वीं क्लास के परफॉर्मेंस को आधार बनते हुए 30 - 30 - 40 का फार्मूला अपनाया है.
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