Dhamtari: धमतरी में सीतानदी रिजर्व फारेस्ट इलाके में मूलभूत सुविधाओं की मांग लेकर ग्रामीणों ने घेरा कलेक्टोरेट
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धमतरी: सीतानदी रिजर्व फारेस्ट इलाके में मूलभूत सुविधाओं की मांग लेकर करीब 2 हजार लोगों ने सोमवार को आंदोलन शुरू कर दिया है. पैदल मार्च करते लोग कलेक्टोरेट पहुंचे और घेराव कर दिया. अधिकारियों की लाख समझाइश के बावजूद लोग नहीं माने और देर शाम तक कलेक्टोरेट के सामने डटे रहे. सीतानदी रिजर्व फॉरेस्ट के अंदर जितने भी गांव बसे हुए हैं वहां आज भी सड़क, बिजली, स्कूल, अस्पताल नहीं हैं. रिजर्व इलाका होने के कारण यहां किसी भी प्रकार का निर्माण प्रतिबंधित है. इस प्रतिबंध के कारण आजादी के 75 साल बाद भी लोगों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित होकर जीवन जीना पड़ रहा है.
10 सूत्रीय मांगों को लेकर शुरू किया आंदोलन: लोग इलाके का रिजर्व का दर्जा खत्म करने और सड़क, पुल, स्कूलों का निर्माण कराते हुए बिजली मांग रहे हैं. इन्हीं 10 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन शुरू किया गया है. ग्रामीणों ने कहा कि "अगर उन्हें धमतरी प्रशासन से ठोस आश्वासन नहीं मिला तो वो राजधानी में मंत्रालय का घेराव करेंगे." नक्सल प्रभावित क्षेत्र खल्लारी रिसगांव के आसपास 34 गांव के लोग ऐसी जिंदगी जीने को मजबूर हैं. सब्र का बांध टूटने पर सोमवार को अभयारण्य संघर्ष समिति के बैनर तले हजारों की संख्या में आदिवासी और ग्रामीण धमतरी पहुंचे. लगभग 60 वाहनों से नगरी से निकले हुए थे. लेकिन कुमड़ा मंदिर के पास वाहनों को रोक दिया गया. जहां से उनकी हिम्मत नहीं टूटी और वह पैदल ही धमतरी पहुंच गए और कलेक्ट्रेट के सामने धरने पर बैठ गए. जिला प्रशासन की ओर से संयुक्त कलेक्टर ऋषिकेश तिवारी ने कहा कि "लोगों को पूरे धैर्य के साथ समझाने कि कोशिश जारी रहेगी."