Narayanpur news : 84 परगना गोंडवाना समाज का वार्षिकोत्सव, सभ्यता को एकसूत्र में बांधने की कोशिश
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नारायणपुर : जिला मुख्यालय से 43 किलोमीटर दूर ग्राम छोटेडोंगर के गोंडवाना समाज में हर साल की तरह इस साल भी 84 परगना गोंडवाना समाज वार्षिक उत्सव मनाया गया. आदिवासी समाज नववर्ष के अवसर पर हर साल वार्षिक उत्सव मनाता है. इसमें क्षेत्र के लोगों को संस्कृति, परंपरा, सभ्यता और देवी देवताओं के साथ उत्सव के रूप में शामिल होने का मौका मिलता है.
कैसे मनाया जाता है उत्सव : गोंडवाना समुदाय के युवक युवतियां विशेष वेशभूषा में आकर अपनी गोंडवाना रीति रिवाजों को प्रदर्शित करते हैं. गोंडवाना समाज के दो दिवसीय इस कार्यक्रम में क्षेत्र से बड़ी संख्या में सियान सज्जन ,गायता पुजारी ,चालकी युवक युवती और महिलाएं देवी देवताओं के साथ शनिवार को गोंडवाना समाज भवन में जुटे. इसके बाद समाज के लोग ढोल नगाड़े की थाप पर नाचते गाते हुए गोंडवाना समाज भवन से दंतेश्वरी मंदिर पहुंचे. फिर पूजा अर्चना कर वापस गोंडवाना समाज भवन पहुंचे.
रविवार को रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए. समाज के वक्ताओं ने समाज की रीति रिवाज, परंपरा के बारे में विस्तार से जानकारी दी. इस दौरान गोंडवाना समाज अध्यक्ष लहर सिंग कोर्राम ने बताया कि '' समाज के लोगों को संगठित कर एक सूत्र में बांध कर रखने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष यह वार्षिक उत्सव मनाया जाता है. वहीं रूपजी राम गोटा ने कहा कि ''हमारी रीति रिवाज , परंपरा ही हमारी पहचान है. जो हमारे पुरखों की देन है. इसे हमें हर हाल में संजोकर रखने की जरूरत है. इस दौरान समाज की युवक युवतियों ने पारंपरिक वेशभूषा धारण कर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति दी.''
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उत्सव में आकर्षण का केंद्र : वार्षिक उत्सव कार्यक्रम में पहुंचे आदिवासी समाज के लोग अपनी कुलदेवी आंगा देव डोली और डांग लेकर पहुंचे थे. मुख्य रूप से बस्तर क्षेत्र की पारम्परिक आदिवासी घोटूल नाचा, गोंडी नृत्य ,माड़ीया नाचा आकर्षण का केंद्र रहा. इस वार्षिक उत्सव को मनाने के लिए आसपास के कई गांवों से गोंड समाज के लोग जुटे.