सूरजपुर : वैश्विक महामारी कोरोना के दस्तक के बाद से ही लॉकडाउन का दौर शुरू हुआ और कई कोरोना वॉरियर्स अपनी अहम भूमिका निभाते नजर आए. प्रवासी मजदूरों की मदद से लेकर लोगों की मदद के लिए कई सामाजिक संगठन आगे आए. ऐसे में प्रतापपुर के भी सामाजिक कार्यकर्ता आगे आए. उन्होंने दिव्यांग भोला और उसके परिवार को रहने के लिए आवास मुहैया कराया. आज भोला अपनी पत्नी और बेटे के साथ खुशी-खुशी 'गुड्डी के घर' में रह रहा है. बता दें गुड्डी भोला की बेटी थी, जो एक हादसे का शिकार हो गई थी. भोला ने ये घर अपनी बेटी के नाम पर रखा है.
प्रतापपुर के पूरी गांव में दिव्यांग भोला तकलीफों में अपना जीवन बीता रहा था. भोला दिव्यांग है, उसे आंखों से कम दिखाई देता है. लेकिन सामाजिक युवा कार्यकर्ता राकेश मित्तल और जमीन दाता विजय कुमार भोला की मदद के लिए आगे आए. उन्होंने भोला और उसके परिवार की मदद की. आज इनके सिर पर छत है. ये खुशी-खुशी रह रहे हैं. भोला का जीवन तकलीफों से भरा था. भोला की बीती जिंदगी की बात करें तो परिजनों ने भोला की शादी के बाद उसे घर से निकाल दिया, जिसके बाद वह मजदूरी करके अपना जीवन बिताने लगा. इस बीच भोला की पत्नी का साथ भी उसे लंबे समय तक नहीं मिला. भोला की पत्नी की मौत हो गई और ससुराल वालों ने ही भोला की दूसरी शादी करा दी. पहली पत्नी के मायके वालों ने भोला की दूसरी शादी के बाद उसे घर से निकाल दिया. भोला दूसरी पत्नी और दो बच्चों के साथ कुटिया में रहने लगा.
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भोला का घर तैयार
भोला की बच्ची जो कि 6 साल की थी वो भी मानसिक रूप से कमजोर थी. भोला की तकलीफे कम होने के बजाए बढ़ती चली गई. ऐसे में सामाजिक युवा राकेश मित्तल को भोला की दुख भरी कहानी का पता चला. राकेश मित्तल, विजय भोला और उनके साथी मदद के लिए आगे आए. उन्होंने चंदा इकट्ठा कर और मेहनत से डेढ़ महीने में ही भोला का घर तैयार हो गया, लेकिन इस दौरान भोला की मानसिक रूप से कमजोर बेटी की एक दुर्घटना में मौत हो गई.
1 डिसमिल जमीन दान की
भोला ने अपने घर का नाम अपनी बेटी के नाम पर रखा 'गुड्डी का घर'. बता दें जमीन दाता विजय खुद दिव्यांग है. विजय ने अपनी 1 डिसमिल जमीन भोला को दान की. आज इन सबकी मदद से भोला के पास पक्का घर है, जिसमें जरूरत के सभी सामान उपलब्ध है. जिस भोला की मदद शासन-प्रशासन को करनी चाहिए वो मदद कुछ अजनबियों ने की. ये मदद भोला के लिए वरदान साबित हो गई. भोला को अपनी बेटी को खोने का दुख जरूर है, लेकिन भोला अपने बेटे को अच्छा जीवन दे सकता है.
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मदद की जरूरत
सरकारी योजना ही हर गरीब के लिए मददगार साबित हो ये जरूरी नहीं. कभी कभी राकेश, चंद्रिका और विजय जैसे लोगों की मदद से भोला जैसे लोगों की जिंदगी में रोशनी भर जाती है. भोला के जैसे सैकड़ों लोग आज घर के लिए तरस रहे है, जरूरत है तो मदद का हाथ बढ़ाने की ताकि उनकी जिंदगी में भी रोशनी भर जाए..