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मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र पंडो जनजाति - rashtrapathi ke dattak putra pando janjati

आदिवासियों के विकास के लिए शासन के दावे खोखले साबित हो रहे हैं. सूरजपुर में राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र पंडो जनजाति मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं. बिजली, पानी की सुविधा तो दूर राशन कार्ड से लेकर आधार कार्ड की सुविधाएं इन्हें अबतक मिल नहीं पाई हैं

मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे पंडो जनजाति
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Published : Oct 11, 2019, 4:55 PM IST

सूरजपुर: राजनीतिक दल आदिवासियों के विकास और प्रगति का दावा करते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर हालात बदलते दिखाई नहीं दे रहे हैं. सूरजपुर के बंडाभैसा गांव में राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पंडो जनजाति बदहाली का जीवन जीने को मजबूर हैं. एक ओर ये बिजली,पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं तो दूसरी ओर इन्हें शासन से अब तक राशनकार्ड, आधारकार्ड भी नहीं मिल पाया है. ETV भारत ने बंडाभैसा गांव में जब पंडो जनजाति के सदस्यों से बात की तो कई चौकाने वाले खुलासे हुए. शासन से मदद की बजाय राशन कार्ड और आधार कार्ड बनवाने के लिए पंडो जनजाति के सदस्यों से पैसे मांगे जाते हैं.

मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे पंडो जनजाति

गांव में मूलभूत सुविधाओं की कमी
न तो गांव में पीने का पानी है, न ही बिजली और न ही घरों में शौचालय की व्यवस्था है. लकड़ी बेचकर, टोकरी बनाकर पंडो जनजाति के लोग गुजर बसर कर रहे हैं .ग्रामीण आज भी गंदे नाले के पानी से अपनी प्यास बुझाते हैं .ज्यादतर घरों में शौचालय का निर्माण नहीं हुआ है, उज्जवला योजना के तहत गैस कनेक्शन भी नहीं मिला है. ग्रामीण लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाने को मजबूर हैं . लेकिन शासन स्तर पर बात की जाए तो सरकारी दस्तावेजों में गांव में सभी सुविधाओं का जिक्र है. कागज पर पक्के मकान, सड़क, बिजली और पीने के पानी की सुविधा है. इस मामले में जब ETV भारत ने जिले के अधिकारियों से बात की तो वह गोल मोल जवाब देते रहे और पंडो जनजाति का सर्वे कराने की बात कही.

पढ़ेंः-सूरजपुर: सरपंच-सचिव पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप, ग्रामीणों ने खोला मोर्चा

सिर्फ फाइलों में चल रही है योजनाएं
बंडाभैसा में सरकार की योजनाएं काम कर रही है लेकिन फाइलों में, जमीनी स्तर पर हालात कुछ और हैं. ऐसे में आदिवासियों के विकास की कल्पना करना बेमानी है. जब राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र पंडो जनजाति की ऐसी हालत है तो आप सोच सकते हैं कि अन्य आदिवासियों की स्थिति कैसी होगी. पंडो जनजाति को विशेष संरक्षित श्रेणी में रखा गया है, इनके लिए कई योजनाएं हैं लेकिन जब मूलभूत सुविधाओं का फायदा पंडो जनजाति तक नहीं पहुंचेगा तब तक इनका समूचा विकास नहीं हो सकता.

सूरजपुर: राजनीतिक दल आदिवासियों के विकास और प्रगति का दावा करते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर हालात बदलते दिखाई नहीं दे रहे हैं. सूरजपुर के बंडाभैसा गांव में राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पंडो जनजाति बदहाली का जीवन जीने को मजबूर हैं. एक ओर ये बिजली,पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं तो दूसरी ओर इन्हें शासन से अब तक राशनकार्ड, आधारकार्ड भी नहीं मिल पाया है. ETV भारत ने बंडाभैसा गांव में जब पंडो जनजाति के सदस्यों से बात की तो कई चौकाने वाले खुलासे हुए. शासन से मदद की बजाय राशन कार्ड और आधार कार्ड बनवाने के लिए पंडो जनजाति के सदस्यों से पैसे मांगे जाते हैं.

मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे पंडो जनजाति

गांव में मूलभूत सुविधाओं की कमी
न तो गांव में पीने का पानी है, न ही बिजली और न ही घरों में शौचालय की व्यवस्था है. लकड़ी बेचकर, टोकरी बनाकर पंडो जनजाति के लोग गुजर बसर कर रहे हैं .ग्रामीण आज भी गंदे नाले के पानी से अपनी प्यास बुझाते हैं .ज्यादतर घरों में शौचालय का निर्माण नहीं हुआ है, उज्जवला योजना के तहत गैस कनेक्शन भी नहीं मिला है. ग्रामीण लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाने को मजबूर हैं . लेकिन शासन स्तर पर बात की जाए तो सरकारी दस्तावेजों में गांव में सभी सुविधाओं का जिक्र है. कागज पर पक्के मकान, सड़क, बिजली और पीने के पानी की सुविधा है. इस मामले में जब ETV भारत ने जिले के अधिकारियों से बात की तो वह गोल मोल जवाब देते रहे और पंडो जनजाति का सर्वे कराने की बात कही.

पढ़ेंः-सूरजपुर: सरपंच-सचिव पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप, ग्रामीणों ने खोला मोर्चा

सिर्फ फाइलों में चल रही है योजनाएं
बंडाभैसा में सरकार की योजनाएं काम कर रही है लेकिन फाइलों में, जमीनी स्तर पर हालात कुछ और हैं. ऐसे में आदिवासियों के विकास की कल्पना करना बेमानी है. जब राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र पंडो जनजाति की ऐसी हालत है तो आप सोच सकते हैं कि अन्य आदिवासियों की स्थिति कैसी होगी. पंडो जनजाति को विशेष संरक्षित श्रेणी में रखा गया है, इनके लिए कई योजनाएं हैं लेकिन जब मूलभूत सुविधाओं का फायदा पंडो जनजाति तक नहीं पहुंचेगा तब तक इनका समूचा विकास नहीं हो सकता.

Intro:जिले में सभी राजनीतिक दल जहा आदिवाशियों के उत्थान को लेकर लम्बे-लम्बे भाषण दिए जाते है और ,, कई ने तो खुद को आदिवासियों का मसीहा तक बता देते है ,लेकिन क्या आजादी के इतने वर्षो बाद भी वाकई में आदिवासियों का उतना विकास हुआ है जितने की सरकारी आकडो में दर्ज है,इसका रियलटी टेस्ट के लिए हम पहुचे सूरजपुर से महज 20 किमी दूर बन्डाभैसा गाँव में,यह गाँव राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र का कहे जाने वाले पंडो जनजाति का गाँव है,आजादी के इतने सालो बाद राष्ट्रपति के दात्तक पुत्रो का कितना हुआ विकास देखिये हमारी यह रिपोर्ट,,,


Body: हरे भरे जंगलो से घिरा यह गाँव है बन्डाभैसा, इस गाँव की खासियत है की इस गाँव में राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र पंडो निवास करते हैं,इस गाँव में इनकी लगभग 500 की आबादी है,पंडो जनजाति के विकास के लिए प्रत्येक वर्ष केंद्र और राज्य सरकार कई सौ करोड़ रुपये खर्च करती है,अगर सरकारी दस्तावेजो की बात करें तो इस गाँव में पिने के पानी के लिए दो सौर्य ऊर्जा का पंम्प,गाँव में पक्की सड़क,हर घर में बिजली,शौचालय सभी सुबिधा मौजूद हैं,,ए तो हुई सरकारी बात अब हम सरकारी आकड़ो से हटकर इस गाँव की हकीकत से रूबरू कराते हैं, इस गाँव में सोलर पंप अक्सर खराब हो जाता है लेकिन कोई इसकी मरम्मत करने गाँव नहीं पहुचता है,गाँव में दो हैण्ड पंप हैं लेकिन एक से भी पीने लायक पानी नहीं निकलता है,ग्रामीण एक किमी दूर गंदे नाले का पानी पिने को मजबूर हैं,,गाँव में सभी घरो में बिजली का तार पहुचा दिया गया है,लेकिन ग्रामीणों को बिजली के दर्शन कम ही होते हैं,ज्यादतर घरो में शौचालय का निर्माण भी नहीं हुआ है ,जिस की वजह से लगभग पूरा गाँव आज भी खुले में शौच करता है,प्रधान मंत्री की सबसे बड़ी योजनाओं में से एक अटल आवास योजना,जिसमे वे हर गरीब को पक्का मकान देने का सपना देख रहे हैं,लेकिन इस गाँव में एक भी पक्का मकान नहीं है,कई बुजुर्गो के रसन कार्ड और बृद्धा पेंशन कार्ड भी नहीं बना है,,गाँव में आज भी उज्वला योजना के तहत गैस नहीं मिला है,जबकि लगभग पूरा गाँव आज भी लकड़ी के चूल्हे पर ही खाना बना रहा है और आज भी ये सभी अपनी जीविका के लिए जंगलो पर ही आश्रित हैं,आप इस जनजाति के विकास का आकलन इस तरह से भी कर सकते हैं की इस गाँव के ग्रामीण कलेक्टर सहित किसी भी जनप्रतिनिधि को नहीं जानते हैं,हाँ गाँव के ज्यादातर लोग






Conclusion:बी ओ – कहते हैं किसी भी योजना को सफल तब माना जाता है जब प्रदेश के अंतिम जरूरतमंद तक उस योजना का लाभ मिल जाए,राज्य सरकार की कई योजनाये काफी कल्याणकारी है लेकिन यह योजना जरूरतमंद तक नहीं पहुच पा रही है,यैसे में जरूरत है की योजना के लागू करने के साथ ही योजनाओं पर कड़ी निगरानी रखी जाए,ताकि जरूरतमंद तक सभी योजनाओं को आसानी से पहुचाया जा सके,,क्यूंकि इन ग्रामीण पंडो के विकास के बगैर राज्य के विकास की कल्पना भी बेमानी है,,

बाईट - सुशीला पंडो,,,,, स्थानीय
बाईट - सुरजन भाई पंडो,,,,, स्थानीय
बाईट - फेकू राम पंडो,,,, स्थानीय
बाईट - अश्वनी देवांगन,,,, सीईओ जिला पंचायत सूरजपुर
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