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अंबिकापुर: माथे पर लगी थी मामूली चोट, धड़कन में परेशानी बताकर किया ICU में भर्ती

एक निजी अस्पताल ने मामूली चोट के लिए परिजनों को 49 हजार रुपये का बिल थमा दिया, जिसे देखते ही परिजन हैरान रहे गए. इतना ही नहीं बच्चे के माथे पर लगी थी चोट और धड़कन में बीमारी बताकर ICU में भर्ती करा दिया.

परिजनों ने किया हंगामा
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Published : Nov 10, 2019, 11:57 PM IST

Updated : Nov 11, 2019, 12:03 AM IST

अंबिकापुर: शहर के एक निजी अस्पताल में मरीजों के परिजन से मोटी रकम वसूलने का मामला सामने आया है. अस्पताल प्रबंधन एक बार फिर मामूली चोट को लेकर एक बच्चे को ICU में भर्ती कर दिया, जिसके बाद डॉक्टरों ने परिजन को 49 हजार 835 रुपये क बिल थमा दिया.

अंबिकापुर: माथे पर लगी थी मामूली चोट

दरअसल, शहर के नेहरू वार्ड स्थित एक सामान्य परिवार के बच्चे के गिरने की वजह से आंख के ऊपरी हिस्से में चोट आ गई थी, जिसके बाद परिजनों ने बच्चे को नए बस स्टैंड स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया, जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने बच्चे के धड़कन में बीमारी बताकर आईसीयू में भर्ती करा दिया.

बिल देखकर हैरान रह गए
इतना ही नहीं उसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने मरीज के परिजनों को हजारों रुपये का बिल थमा दिया. परिजनों ने जब 49 हजार 835 रुपये का बिल देखा, तो हैरान रह गए, जिसके बाद अस्पताल में परिजनों ने हंगामा कर दिया.

बीच का रास्ता निकालने की बात कही
मामले को बढ़ता देख अस्पताल प्रबंधन ने दबी जुबान में बिल ज्यादा है, तो बीच का रास्ता निकालने के लिए बैठकर बात करने की बात कही, जबकि जानकारी के मुताबिक इस विवाद के पहले परिजनों ने प्रबंधन से कई बार आग्रह किया था कि जुखाम, खांसी और साधारण बुखार के लिए ICU में मत रखिये. बता दें कि अस्पताल के खिलाफ कई बार शिकायत की गई है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

अंबिकापुर: शहर के एक निजी अस्पताल में मरीजों के परिजन से मोटी रकम वसूलने का मामला सामने आया है. अस्पताल प्रबंधन एक बार फिर मामूली चोट को लेकर एक बच्चे को ICU में भर्ती कर दिया, जिसके बाद डॉक्टरों ने परिजन को 49 हजार 835 रुपये क बिल थमा दिया.

अंबिकापुर: माथे पर लगी थी मामूली चोट

दरअसल, शहर के नेहरू वार्ड स्थित एक सामान्य परिवार के बच्चे के गिरने की वजह से आंख के ऊपरी हिस्से में चोट आ गई थी, जिसके बाद परिजनों ने बच्चे को नए बस स्टैंड स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया, जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने बच्चे के धड़कन में बीमारी बताकर आईसीयू में भर्ती करा दिया.

बिल देखकर हैरान रह गए
इतना ही नहीं उसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने मरीज के परिजनों को हजारों रुपये का बिल थमा दिया. परिजनों ने जब 49 हजार 835 रुपये का बिल देखा, तो हैरान रह गए, जिसके बाद अस्पताल में परिजनों ने हंगामा कर दिया.

बीच का रास्ता निकालने की बात कही
मामले को बढ़ता देख अस्पताल प्रबंधन ने दबी जुबान में बिल ज्यादा है, तो बीच का रास्ता निकालने के लिए बैठकर बात करने की बात कही, जबकि जानकारी के मुताबिक इस विवाद के पहले परिजनों ने प्रबंधन से कई बार आग्रह किया था कि जुखाम, खांसी और साधारण बुखार के लिए ICU में मत रखिये. बता दें कि अस्पताल के खिलाफ कई बार शिकायत की गई है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

Intro:मामूली इलाज में मोटा बिल थमाने वाले अस्पताल के खिलाफ लोग मुखर



अम्बिकापुर : शहर का एक निजी चिकित्सालय मरीजो के परिजनों से मोटी रकम वसूलने के नाम पर इतना बदनाम हो चुका है.. कि लोग अब अस्पताल के खिलाफ मुखर होने लगे हैं.. जुखाम-खांसी के पेसेंट को सीरियस बता कर आईसीआई मे रख लेने वाले इस अस्पताल प्रबंधन ने फिर एक नया कारनामा किया है. अस्पताल मे एक बच्चे को भव मे लगी मामूली चोट के बाद ये कहकर आईसीयू मे रख दिया गया कि उसकी धडकन मे दिक्कत है.. जिसके एवज मे मरीज बच्चे के परिजन को हजारों का बिल थमा दिया गया.. जिसके बाद जमकर बवाल हुआ..

अंधो मे काना राजा वाली कहावत तो आपने सुनी होगी.. और ऐसे ही एक राजा के आलिशान निजी अस्पताल मे परिजनो का गुस्सा तब फूट पडा.. जब मामूली चोट आने पर बच्चे को तीन दिन तक आईसीयू मे रखकर हजारो का बिल थमा दिया गया. दरअसल शहर के नेहरूवार्ड स्थित एक सामान्य परिवार के बच्चे के गिरने की वजह से आंख के ऊपरी हिस्से मे आई चोट आ गई थी. जिसके बाद परिजनो उसे लेकर बीटीआई के पीछे स्थित एक अस्पताल ले गए.. लेकिन वहां के एक चिकित्सक ने बच्चे को नए बस स्टैंड स्थित बडे निजी अस्पताल ले जाने की नसीहत दी और बच्चे के संवेदनशील मामले को देखते हुए परिजन बच्चे को लेकर वहां पहुंचे.. तो फिर वहां इस तरह की घटना हुई।


दरअसल अम्बिकापुर के नए बस स्टैंड के समीप स्थित इस अस्पताल पर लगातार ये आरोप लगते रहें है कि अस्पताल मे खर्च किए गए रुपए की मोटी किश्त को पटाने के लिए ये सामान्य मरीजो को भी आईसीयू मे डाल देता है और फिर लंबा चौडा बिल बनाकर मरीज के परिजनो को रुपया देने पर मजबूर करता है.. कभी कभी तो ये सुनने मे भी आता है कि अस्पताल के मनमाने बिल को ना पटा पाने पर प्रबंधन लोगो की जमीन तक गिरवी रख लेता है.. लिहाजा इस मामले को लेकर भी अपने प्रबंधन का पक्ष जानने का प्रयास किया.. तो दबी जुबान उन्होने माना कि अगर बिल ज्यादा है तो बीच का रास्ता निकालने के लिए बैठ कर बात करना चाहिए.. जबकि जानकारी के मुताबिक इस विवाद के पहले परिजनो ने प्रबंधन से कई बार आग्रह किया था..

जुखाम , खांसी और साधारण बुखार और चोट पर भी मरीजो को आईसीयू मे रख लेने वाले ये अस्पताल अपनी इसी खासियत की वजह से पूरे सरगुजा संभाग मे बदनाम है.. लेकिन अस्पताल के मालिक डाक्यर के रसूक के कारण आज तक इस अस्पताल पर कोई कार्यवाही तक नहीं हुई है.. Body:बाईट01_संदीप सोनी, पूर्व पार्षद, नेहरूवार्ड, अम्बिकापुर
बाईट02_डा. अभिषेक बाजपेयी,च अम्बिकपुर
वसीम अली Conclusion:
Last Updated : Nov 11, 2019, 12:03 AM IST
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