कांकेर: पूरा बस्तर अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है. कांकेर को बस्तर का स्वागत द्वार माना जाता है. प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर कांकेर में घूमने के लिए एक से बढ़कर एक जगह हैं. सांस्कृतिक, पुरातात्विक और ऐतिहासिक धरोहरों की भी यहां कमी नहीं है. जिला मुख्यालय से करीब 30 किमी की दूरी पर चारामा विकासखंड है. यहां के ग्राम गोटीटोला में पहाड़ पर गोलाकार आकार में एक विशाल पत्थर है. इस गोलाकार पत्थर पर तरह तरह की रहस्यमयी आकृतिया बनी हुई हैं.
पत्थर पर रहस्यमयी तस्वीरें: गोलाकार पत्थर पर बनी रहस्यमयी तस्वीरों को किसने बनाया इसको लेकर आज भी शोध करने वालों का अलग अलग मत है. कई शोधकर्ताओं का मानना है कि इन रहस्यमयी तस्वीरों को करीब 10 हजार साल पहले बनाया गया है. पत्थरों पर बनी ये रहस्यमयी आकृतिया ऐसी लगती हैं जैसे किसी एलियंस या यूएफओ की तस्वीर है. यहां आने वाले पर्यटक इन तस्वीरों को उनसे जोड़कर भी देखते हैं. एलियंस और यूएफओ जैसी तस्वीरों को देखने और उसके अध्ययन के लिए सीनियर ऑर्कियोलॉजिस्ट जे आर भगत भी आ चुके हैं.
सीनियर ऑर्कियोलॉजिस्ट का क्या कहना है: सीनियर ऑर्कियोलॉजिस्ट जे आर भगत के मुताबिक पहाड़ों पर बनी तस्वीरें जो एलियंस और यूएफओ जैसी हैं वो यहां रहने वाले उस समय के आदिवासियों ने बनाई हैं. पत्थरों की दीवार पर बनाई गई इन तस्वीरों को लेकर अभी भी अध्ययन और शोध जारी है. पत्थरों बन इन तस्वीरों की हकीकत जानने के लिए अमेरिका की एक टीम भी यहां आ चुकी है. समय समय पर पुरात्व विभाग की टीम भी यहां का दौरा करते रहती है.
बेस्ट टूरिस्ट स्पॉट में से एक: गोटीटोला का ये सुंदर पहाड़ छत्तीसगढ़ के बेस्ट टूरिस्ट डेस्टिनेशन में से एक गिना जाता है. यहां आने वाले पर्यटकों का भी कहना है कि ये जगह अपने आप में अदभुत है. इस जगह को संजोने और सहेजने की जरुरत है. पहाड़ों पर बनी इन सुंदर तस्वीरों को दुनिया देख सके इसके लिए इसका संरक्षण किया जाना चाहिए. पेंटिंग्स खराब नहीं हो इसका ध्यान जाना चाहिए. पर्यटकों का कहना है कि कई लोग इन शैल चित्रों को छूकर देखते हैं जिससे इनके खराब होने की भी संभावना बनी रहती है. इसे छूने पर रोक लगनी चाहिए.
प्रोफेसर की राय: शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय के शिक्षक डॉ. भेनु कहती हैं कि ये तस्वीरें कुछ साल पहले ही चर्चा में आई हैं. इनकी बनावट और एलियंस जैसी दिखने वाली तस्वीरों को लेकर लोगों में भी काफी हैरत है. डॉ. भेनु कहती हैं कि इन तस्वीरों को संभव है यहां उस वक्त रहने वाले जनजातीय समूह के आदिवासियों ने बनाए होंगे. जनजातीय समुदाय के लोग यहां सदियों से रहते आ रहे हैं. संभव है उन जनजातीय लोगों ने अपने पूर्वजों को तस्वीरों के रुप में यहां बनाया होगा. या फिर कल्पना के जरिए पत्थरों पर कुछ तस्वीरें खीची होगी.
पत्थर पर 5 नहीं 7 मानव तस्वीरें: डॉ. भेनु कहती हैं कि पहाड़ पर पांच नहीं बल्कि 7 मानव आकृतियां हैं. जो तस्वीरें यहां पत्थरों पर बनी हैं वो सामान्य मानव के बराबर की तो नहीं हैं. पत्थरों पर बनी तस्वीरों में एक तस्वीर तो बारिश के पानी की वजह से मिट चुकी है. भेनु कहती हैं कि यहां के कई और पहाड़ों पर इस तरह के शैल चित्र मिलते हैं.
अदभुत शैल चित्रों की सुरक्षा जरुरी: गोटीटोला के पहाड़ पर बने इन शैल चित्रों को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं. पुरातत्व विभाग की ओर से अगर इसको सुरक्षित करने की कोशिश की गई तो ये आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतरीन पर्यटक स्थल बनेगा.