सूरजपुर: सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को शिक्षा का अधिकार देने के लिए राइट टू एजुकेशन (आरटीई) स्कीम लाई थी. इसके तहत सभी प्राइवेट स्कूलों में गरीब छात्रों के लिए 25 फीसदी सीटों पर एडमिशन देने का प्रावधान किया गया है, लेकिन शिक्षा विभाग की लापरवाही की वजह से तीन, चार साल से निजी स्कूलों को आरटीई के तहत भुगतान नहीं किया गया है.
स्कूलों को नहीं हुआ भुगतान
आरटीई के तहत निजी स्कूलों में लाखों बच्चे शिक्षा ले रहे हैं. इस छात्रों की फीस का भुगतान राज्य सरकार की ओर से किया जाना है, लेकिन विभाग से राशि आवंटन भेजे जाने के बाद भी सूरजपुर के निजी स्कूलों को डीईओ (district educational office) के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं.
750 करोड़ रुपये बकाया
स्कूल प्रबंधन का कहना है कि शिक्षा विभाग की ओर से राशि भुगतान के बाद भी डीईओ कार्यालय से भुगतान नहीं किया जा रहा है. प्रदेश में प्राइवेट स्कूलों का सरकार पर 750 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि बकाया है. वहीं अप्रैल से नया सत्र शुरू हो रहा है, ऐसे में आरटीई के तहत एडमिशन लेने वाले बच्चों को एक बार फिर मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.
जल्द भुगतान करने का दिया आश्वासन
इस मामले में जब ईटीवी भारत की टीम ने डीईओ उपेंद्र सिंह खसरी से बात की तो उन्होंने कहा कि 3 साल से निजी स्कूलों का भुगतान नहीं हो पाया है. शासन की ओर से ऑफिस के पास कुछ राशि आई है, लेकिन वो इतनी कम है कि समझ नहीं आ रहा कि भुगतान करें तो कैसे करें. उन्होंने जल्द स्कूलों को भुगतान करने का आश्वासन दिया है.