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सूरजपुर में भारी बारीश से जनजीवन अस्त-व्यस्त, अंबिकापुर-प्रतापपुर मार्ग बंद - उफान पर नदियां

सूरजपुर जिले में चार दिन से हो रही लगातार बारिश के कारण किसानों के चेहरे पर खुशी है लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के कारण आम जनजीवन प्रभावित हो गया है. अंबिकापुर प्रतापपुर मार्ग पिछले 24 घंटे से बंद हैं.

heavy rainfall in surajpur
सूरजपुर में भारी बारीश
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Published : Jun 21, 2020, 11:28 PM IST

सूरजपुर : जिले में चार दिन से हो रही लगातार बारिश के कारण किसानों के चेहरे पर खुशी तो आई है लेकिन, प्रशासनिक उदासीनता के कारण आम जनजीवन प्रभावित होता नजर आ रहा है. दरअसल, अंबिकापुर प्रतापपुर मार्ग पिछले 24 घंटे से बंद है. जहां महानदी पर बना रपटा पुल जलमग्न हो चुका है.

बारीश से जनजीवन अस्त-व्यस्त

लोग जान जोखिम में डालकर पुल पार कर रहे हैं. ऐसे में अगर और तेज बारिश हुई तो दुर्घटना भी हो सकती है, जिसे देखते हुए स्थानीय पुलिस ने आवागमन को बंद कर दिया है. बारिश से 200 से ज्यादा गांव प्रभावित हुए हैं. दूसरी ओर स्थानीय जनप्रतिनिधि जब पहुंचे तो उन्हें नदी पार करने के लिए तो नाव दे दी गई.

बारिश में बहा पुल

तेज बारिश में क्या नाव से आना जाना सुरक्षित रहेगा, इसका जवाब किसी के पास नहीं है. गौरतलब है कि 4 साल पहले 4 करोड़ की लागत बना पुल तेज बारिश में बह गया था. जिससे प्रशासनिक भ्रष्टाचार की पोल खुल गई थी और आनन-फानन में गुणवत्ताहीन रपटा पुल तैयार कर दिया गया था. लेकिन मुख्य पुल का अब तक निर्माण नहीं हो सका है.

पढ़ें-कोरिया में उफान पर हैं नदियां , पुल के ऊपर से बह रहा हसदेव का पानी

मुसीबत झेल रहे ग्रामीण

इस साल बारिश की शुरुआत से ही सैकड़ों गांव के लोगों का आवागमन प्रभावित हो रहा है. लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों का आलम है कि दफ्तरों में बैठ मीटिंग कर केवल खानापूर्ति वाले क्षेत्र का दौरा किया जा रहा है. बहरहाल, ग्रामीणों को इस मुसीबत का सामना कब तक करना पड़ेगा इसका जवाब अधिकारियों के पास अब तक नहीं है.

सूरजपुर : जिले में चार दिन से हो रही लगातार बारिश के कारण किसानों के चेहरे पर खुशी तो आई है लेकिन, प्रशासनिक उदासीनता के कारण आम जनजीवन प्रभावित होता नजर आ रहा है. दरअसल, अंबिकापुर प्रतापपुर मार्ग पिछले 24 घंटे से बंद है. जहां महानदी पर बना रपटा पुल जलमग्न हो चुका है.

बारीश से जनजीवन अस्त-व्यस्त

लोग जान जोखिम में डालकर पुल पार कर रहे हैं. ऐसे में अगर और तेज बारिश हुई तो दुर्घटना भी हो सकती है, जिसे देखते हुए स्थानीय पुलिस ने आवागमन को बंद कर दिया है. बारिश से 200 से ज्यादा गांव प्रभावित हुए हैं. दूसरी ओर स्थानीय जनप्रतिनिधि जब पहुंचे तो उन्हें नदी पार करने के लिए तो नाव दे दी गई.

बारिश में बहा पुल

तेज बारिश में क्या नाव से आना जाना सुरक्षित रहेगा, इसका जवाब किसी के पास नहीं है. गौरतलब है कि 4 साल पहले 4 करोड़ की लागत बना पुल तेज बारिश में बह गया था. जिससे प्रशासनिक भ्रष्टाचार की पोल खुल गई थी और आनन-फानन में गुणवत्ताहीन रपटा पुल तैयार कर दिया गया था. लेकिन मुख्य पुल का अब तक निर्माण नहीं हो सका है.

पढ़ें-कोरिया में उफान पर हैं नदियां , पुल के ऊपर से बह रहा हसदेव का पानी

मुसीबत झेल रहे ग्रामीण

इस साल बारिश की शुरुआत से ही सैकड़ों गांव के लोगों का आवागमन प्रभावित हो रहा है. लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों का आलम है कि दफ्तरों में बैठ मीटिंग कर केवल खानापूर्ति वाले क्षेत्र का दौरा किया जा रहा है. बहरहाल, ग्रामीणों को इस मुसीबत का सामना कब तक करना पड़ेगा इसका जवाब अधिकारियों के पास अब तक नहीं है.

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