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सूरजपुर: कृषि कानून के विरोध में श्रमिक संगठनों ने किया चक्काजाम

कृषि कानून के विरोध में दिल्ली में पिछले दो माह से किसान दिल्ली के बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं शनिवार को किसानों ने देशभर में चक्काजाम का आह्वान किया. सूरजपुर में भी श्रमिक संगठनों का विरोध प्रदर्शन देखने को मिला है.

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सूरजपुर में चक्काजाम
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Published : Feb 6, 2021, 6:52 PM IST

Updated : Feb 6, 2021, 8:21 PM IST

सूरजपुर: कृषि बिल के विरोध में शनिवार को पूरे देश में दोपहर 12 से 3 बजे तक चक्काजाम किया गया. एसईसीएल भटगांव के तीन श्रमिक संगठनों ने किसान आंदोलन को समर्थन देते हुए नेशनल हाईवे में 2 घंटे तक बाधित रखा.

कृषि कानून के विरोध में श्रमिक संगठनों ने किया चक्काजाम

श्रमिक नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार काले कानून लाकर पूरे देश को नुकसान पहुंचा रही है. उन्होंने कहा कि श्रमिक संगठन किसान आंदोलन के साथ हैं. श्रमिक संगठन कृषि बिल में बदलाव के साथ-साथ श्रम कानून में भी बदलाव करने की मांग केंद्र सरकार से की है. कोयलांचल क्षेत्रों में पिछले कई महीनों से श्रम कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे है.

तीन नए कृषि कानून

  • कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य(संवर्धन और सुविधा)कानून 2020.
  • मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा सम्बन्धी किसान समझौता(सशक्तिकरण और सुरक्षा)2020.
  • आवश्यक वस्तु (संशोधन)कानून 2020.

पूंजीपतियों को बढ़ावा देने के लिए लाया गया कृषि कानून

किसानों के आंदोलन को 2 महीने से ज्यादा का समय हो चुका है. आंदोलनकारियों का मुख्य विरोध न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राइवेट मंडियों को प्रोत्साहन देने को लेकर है. दूसरे कानून में कांट्रेक्ट खेती को बढ़ावा देने की बात कही गई है. जिसका पुरजोर विरोध किया जा रहा है. इस कानून के माध्यम से किसानों को उनके जमीन हड़पने का डर लग रहा है. वहीं तीसरे कानून का विरोध जमाखोरी को बढ़ावे के आशंका के साथ किया जा रहा है. तीसरे कानून के विरोधी यह कह रहे हैं कि यह कानून रोजमर्रा की चीजों पर मूल्य नियंत्रण को प्रभावित करेगा. किसानों का कहना है कि इससे जमाखोरी बढ़ेगी और पूंजीपतियों को बढ़ावा मिलेगा.

सूरजपुर: कृषि बिल के विरोध में शनिवार को पूरे देश में दोपहर 12 से 3 बजे तक चक्काजाम किया गया. एसईसीएल भटगांव के तीन श्रमिक संगठनों ने किसान आंदोलन को समर्थन देते हुए नेशनल हाईवे में 2 घंटे तक बाधित रखा.

कृषि कानून के विरोध में श्रमिक संगठनों ने किया चक्काजाम

श्रमिक नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार काले कानून लाकर पूरे देश को नुकसान पहुंचा रही है. उन्होंने कहा कि श्रमिक संगठन किसान आंदोलन के साथ हैं. श्रमिक संगठन कृषि बिल में बदलाव के साथ-साथ श्रम कानून में भी बदलाव करने की मांग केंद्र सरकार से की है. कोयलांचल क्षेत्रों में पिछले कई महीनों से श्रम कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे है.

तीन नए कृषि कानून

  • कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य(संवर्धन और सुविधा)कानून 2020.
  • मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा सम्बन्धी किसान समझौता(सशक्तिकरण और सुरक्षा)2020.
  • आवश्यक वस्तु (संशोधन)कानून 2020.

पूंजीपतियों को बढ़ावा देने के लिए लाया गया कृषि कानून

किसानों के आंदोलन को 2 महीने से ज्यादा का समय हो चुका है. आंदोलनकारियों का मुख्य विरोध न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राइवेट मंडियों को प्रोत्साहन देने को लेकर है. दूसरे कानून में कांट्रेक्ट खेती को बढ़ावा देने की बात कही गई है. जिसका पुरजोर विरोध किया जा रहा है. इस कानून के माध्यम से किसानों को उनके जमीन हड़पने का डर लग रहा है. वहीं तीसरे कानून का विरोध जमाखोरी को बढ़ावे के आशंका के साथ किया जा रहा है. तीसरे कानून के विरोधी यह कह रहे हैं कि यह कानून रोजमर्रा की चीजों पर मूल्य नियंत्रण को प्रभावित करेगा. किसानों का कहना है कि इससे जमाखोरी बढ़ेगी और पूंजीपतियों को बढ़ावा मिलेगा.

Last Updated : Feb 6, 2021, 8:21 PM IST
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