सरगुजा: बेरोजगारी कोई बड़ी समस्या ना रह जाये अगर युवा नौकरी की जिद छोड़ स्वरोजगार में लग जाए. सरगुजा जैसे आदिवासी बाहुल्य जिले में कई युवाओं ने ये साबित कर दिखाया है कि वो अपना स्टार्टअप कर एक नौकरी से ज्यादा आमदनी कर सकते हैं. ETV भारत बार फिर सरकार की एक ऐसी योजना की जानकारी आप तक ला रहा हैं जिसके जरिये कोई भी बेहतर आमदनी कर सकता हैं.
मधुमक्खी पालन के बारे में जानिए: ये योजना है मधुमक्खी पालन की. इस काम में ना तो खास पूंजी की जरूरत है और ना ही ज्यादा मेहनत की. जरूरत है तो सिर्फ हरे भरे खेत या बागान की. क्योंकि ऐसे हरे भरे खेतों के साथ मधुमक्खी पालन किया जाए तो शहद ज्यादा मिलेगा.
सरगुजा के किसान कर रहे 3 तरह की मधुमक्खियों का पालन: अंबिकापुर के राजमोहनी देवी कृषि महाविद्यालय में वैज्ञानिकों ने नये प्रयोग शुरू किए हैं. इस प्रयोग के तहत अब एशियाई देसी मधुमक्खी के साथ, इटालियन मधुमक्खी और डंक हीन मधुमक्खियों का पालन किसानों को सिखाया जा रहा है.
मधुमक्खी पालन कार्यक्रम के मुख्य अन्वेषक डॉ पी के भगत बताते हैं "सामान्यतः 3 नस्ल की मधुमक्खियों का पालन किया जाता है. जिसमें सबसे पहले है इटालियन मधुमक्खी, जो 15 से 20 दिन में एक पेटी में 6 से 7 किलो शहद का उत्पादन करती है. इसका शहद बाजार में 5 सौ से 6 सौ रुपये किलो बिकता है. इसके बाद देसी एशियाई प्रजाति जिसे सतघरवा मधुमक्खी कहते हैं. इसका उत्पादन बहुत कम है. ये 2 से 3 किलो शहद ही देती है. तीसरी नस्ल है डंक हीन मधुमक्खी, इस मधुमक्खी के शहद का उत्पादन एक पेटी में 20 दिन में मात्र 1 पाव ही होता है लेकिन इसकी मेडिस्नल वेल्यू ज्यादा है. जिस कारण इसका बाजार मूल्य भी काफी ज्यादा मिलता है."
मधुमक्खी पालन की ट्रेनिंग ले रहे किसानों ने अपने अनुभव ETV भारत को बताया.
खेती और मधुमक्खी पालन एक दूसरे से रिलेटेड है. इससे हमको अतिरिक्त आमदनी की संभावना बढ़ जाती है. खेती के साथ उसमें होने वाली फसल से मधुमक्खी का परागण हो जाएगा. जिससे शहद से अतिरिक्त आमदनी मिलने लगेगी. बेरोजगार युवकों के लिये ये बहुत अच्छा है. अगर 8-10 पेटी भी पाल लिये और उसका रखरखाव अच्छे से किया जाए तो अच्छी आमदनी हो जायेगी.-नरेंद्र, किसान
मधुमक्खी पालन से आय बढ़ाकर हम अपने बच्चों को पढ़ा सकते हैं, खेती के साथ इसको करने से आय बढ़ेगी.-मदन गोपाल, किसान
धान, गेहूं, चना की खेती तो हम करते ही हैं, लेकिन मधुमक्खी पालन से अतिरिक्त आमदनी हो जाती है. बच्चों को बतायेंगे कि हम तो सीख लिए हैं वो भी इसको करें, अपने ही खेत में मधुमक्खी की 8-10 पेटी लगायें तो किसी को नौकरी करने की जरूरत नही पड़ेगी. इसी में वो आमदनी कर सकते हैं.- राम बिलास, किसान
मधुमक्खियों के भोजन पर निर्भर है शहद की क्वॉलिटी: एग्रीकल्चर कॉलेज में तकनीकी सहायक डॉ. सचिन बताते हैं कि मधुमक्खी पालन में सबसे जरूरी है, उनका भोजन. जिसे हम बी फ्लोरा कहते हैं. मधुमक्खियों को भोजन में पोलन और नेक्टर दोनों ही मिलना जरूरी है. यदि ये भोजन मधुमक्खियों को ना मिले तो वह शहद का निर्माण नहीं करेगी और माइग्रेट हो जायेगी.
किसान भाई हमेशा खेत में फूल वाली फसलों को जरूर लगाए. तिलहन फसलों में भी पेटी लगा सकते हैं. साधारण शहद 5 से 6 सौ रुपये किलो बिकता है, लेकिन अगर इसका वेल्यू एडिशन किया जाये तो 2 हजार से 22 सौ तक में बेचा जा सकता है.-डॉ. सचिन, एग्रीकल्चर कॉलेज
शहद के होते हैं अलग अलग फ्लेवर: डॉ. सचिन बताते हैं कि अलग अलग तरह की फसल के साथ ही मल्टीफ्लोरल शहद इकट्ठा करते हैं तो उस फसल का स्वाद उस शहद में देखने को मिलता है. जैसे सिर्फ लीची, या मुनगे या टाऊ की फसल का शहद अगर अलग बाजार में बेचा जाए तो इन सबका स्वाद बिल्कुल अलग होगा है. हमारे लैब में टेस्ट करके ये प्रमाणित भी किया जाता है कि शहद किस फसल का है. इस तरह किसान भाई अपनी आमदनी को और अधिक बढ़ा सकते हैं.
मधुमक्खी पालन से होने वाली कमाई: किसानों और एक्सपर्ट के आंकड़ो के अनुसार एक पेटी इटालियन मधुमक्खी 20 दिन में करीब 7 किलो शहद बनाती है. अगर कोई किसान 10 पेटी मधुमक्खी पालन करता है तो उसे 20 दिन में 70 किलो शहद मिलेगा. सामान्य कीमत पर भी अगर शहद को बेचा जाता है तो 500 रुपए किलो के हिसाब से 20 दिन में करीब 3 हजार रुपए का शहद मिलता है. इस तरह किसान अतिरिक्त आमदनी और बेरोजगार युवक अपने ही खेत में मधुमक्खी पालन कर अच्छी आमदनी कर सकते हैं.