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पुलिस कस्टडी में हुई थी पति की मौत, 2 साल बाद भी न्याय के लिए भटक रही बेसहारा पत्नी

2 साल पहले पुलिस कस्टडी में पंकज वेग नाम के युवक की मौत हो गई थी. उसके परिजन तब से आज तक न्याय के लिए भटक रहे हैं, लेकिन उन्हें हर बार निराशा ही हाथ लगी है.

Pankaj Veg
पंकज वेग
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Published : Jul 29, 2021, 6:59 AM IST

सूरजपुर: 21 जुलाई 2019 को पुलिस कस्टडी में पंकज वेग नाम के युवक की मौत हो गई थी. मृतक पंकज और उसके साथी इमरान को अंबिकापुर पुलिस चोरी के एक मामले में पूछताछ के लिए ले गई थी. जिसके बाद रात को अंबिकापुर कोतवाली थाने के कुछ दूरी पर पंकज की फांसी के फंदे से लटकी लाश मिली थी.

2 साल बाद भी न्याय के लिए भटक रही बेसहारा पत्नी

2 साल बाद भी नहीं मिला न्याय

इस घटना को 2 साल पूरे गए हैं, लेकिन पंकज वेग की पत्नी और परिजन न्याय के लिए अब तक भटक रहे हैं. पंकज की पत्नी रानू वेग अपना और अपने बच्चों का भरण-पोषण करने के लिए मजदूरी कर रही हैं. करीब 2 साल पहले जब यह घटना हुई थी, तो उस वक्त छत्तीसगढ़ के कई बड़े नेता मृतक पंकज के घर पहुंचे थे. उस वक्त पंकज के परिजनों को न्याय दिलाने के वादे किए गए थे, भरोसा दिलाया गया था, लेकिन जनप्रतिनिधियों के यह वादे चुनावी वादों की तरह ही निकले. आज मृतक की पत्नी बेसहारा है और मुश्किलों में जीवन जीने को मजबूर है.

मानसून सत्र का तीसरा दिन: धर्मांतरण मुद्दे पर हंगामा, हाथियों की मौत के मामले की गूंज

छत्तीसगढ़ के कद्दावर नेता और मंत्री अमरजीत भगत मृतक पंकज की पत्नी रानू वेग के ताऊ हैं, लेकिन वह भी साथ देने को तैयार नहीं हैं. पंकज वेग की मौत के बाद उसके परिजनों को सांत्वना देने जब प्रदेश के पक्ष-विपक्ष के नेता पहुंचे, तो उन्होंने परिजनों के न्याय दिलाने के साथ ही इनके भरण-पोषण का भी जिम्मा लिया था. उस समय पंकज की पत्नी के ताऊ अमरजीत भगत भी वहां पहुंचे थे. उन्होंने पीड़ित परिवार को पांच लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने की भी बात कही थी, जो आज तक नहीं मिली.

वादे सभी चुनावी जैसे

इसके अलावा केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह ने भी परिवार को गोद लेने और उनके बच्चों की पूरी जिम्मेदारी उठाने का वादा किया था, जो कभी पूरा नहीं हुआ. रानू वेग ने इन दो वर्षों में कई बार अमरजीत भगत से मिलने की कोशिश कर चुकी हैं, लेकिन अब तक मुलाकात नहीं हो पाई. अब वह अकेले अपने पति को न्याय दिलाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही है और अपने बच्चों का पेट भी पाल रही है. यह उसके लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है.

रानू के सामने मुश्किलें ही मुश्किलें

रानू वेग बेहद गरीब परिवार से आती हैं. उनके ससुराल वाले भी मजदूरी कर अपना पालन-पोषण करते हैं. ऐसे में वे भी रानू की सहायता नहीं कर पा रहे हैं. रानू के अलावा स्थानीय लोग भी यह मान रहे हैं कि रानू वेग के साथ वादा खिलाफी हुई है. हालांकि स्थानीय लोग रानू के साथ खड़े हैं और उनके लिए सरकारी नौकरी की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक रानू को कुछ भी हासिल नहीं हो पाया है.

सूरजपुर: 21 जुलाई 2019 को पुलिस कस्टडी में पंकज वेग नाम के युवक की मौत हो गई थी. मृतक पंकज और उसके साथी इमरान को अंबिकापुर पुलिस चोरी के एक मामले में पूछताछ के लिए ले गई थी. जिसके बाद रात को अंबिकापुर कोतवाली थाने के कुछ दूरी पर पंकज की फांसी के फंदे से लटकी लाश मिली थी.

2 साल बाद भी न्याय के लिए भटक रही बेसहारा पत्नी

2 साल बाद भी नहीं मिला न्याय

इस घटना को 2 साल पूरे गए हैं, लेकिन पंकज वेग की पत्नी और परिजन न्याय के लिए अब तक भटक रहे हैं. पंकज की पत्नी रानू वेग अपना और अपने बच्चों का भरण-पोषण करने के लिए मजदूरी कर रही हैं. करीब 2 साल पहले जब यह घटना हुई थी, तो उस वक्त छत्तीसगढ़ के कई बड़े नेता मृतक पंकज के घर पहुंचे थे. उस वक्त पंकज के परिजनों को न्याय दिलाने के वादे किए गए थे, भरोसा दिलाया गया था, लेकिन जनप्रतिनिधियों के यह वादे चुनावी वादों की तरह ही निकले. आज मृतक की पत्नी बेसहारा है और मुश्किलों में जीवन जीने को मजबूर है.

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छत्तीसगढ़ के कद्दावर नेता और मंत्री अमरजीत भगत मृतक पंकज की पत्नी रानू वेग के ताऊ हैं, लेकिन वह भी साथ देने को तैयार नहीं हैं. पंकज वेग की मौत के बाद उसके परिजनों को सांत्वना देने जब प्रदेश के पक्ष-विपक्ष के नेता पहुंचे, तो उन्होंने परिजनों के न्याय दिलाने के साथ ही इनके भरण-पोषण का भी जिम्मा लिया था. उस समय पंकज की पत्नी के ताऊ अमरजीत भगत भी वहां पहुंचे थे. उन्होंने पीड़ित परिवार को पांच लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने की भी बात कही थी, जो आज तक नहीं मिली.

वादे सभी चुनावी जैसे

इसके अलावा केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह ने भी परिवार को गोद लेने और उनके बच्चों की पूरी जिम्मेदारी उठाने का वादा किया था, जो कभी पूरा नहीं हुआ. रानू वेग ने इन दो वर्षों में कई बार अमरजीत भगत से मिलने की कोशिश कर चुकी हैं, लेकिन अब तक मुलाकात नहीं हो पाई. अब वह अकेले अपने पति को न्याय दिलाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही है और अपने बच्चों का पेट भी पाल रही है. यह उसके लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है.

रानू के सामने मुश्किलें ही मुश्किलें

रानू वेग बेहद गरीब परिवार से आती हैं. उनके ससुराल वाले भी मजदूरी कर अपना पालन-पोषण करते हैं. ऐसे में वे भी रानू की सहायता नहीं कर पा रहे हैं. रानू के अलावा स्थानीय लोग भी यह मान रहे हैं कि रानू वेग के साथ वादा खिलाफी हुई है. हालांकि स्थानीय लोग रानू के साथ खड़े हैं और उनके लिए सरकारी नौकरी की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक रानू को कुछ भी हासिल नहीं हो पाया है.

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