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सूरजपुर: लोगों ने किया होलिका दहन

होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है.

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Published : Mar 10, 2020, 8:01 AM IST

Updated : Mar 10, 2020, 3:00 PM IST

Holika Dahan festival celebrated in surajpur
होलिका दहन

सूरजपुर : जिले में कई जगहों पर होलिका दहन का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया गया. होली के एक दिन पहले होलिका दहन करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. सूरजपुर में भी पूरे विधि विधान के साथ होलिका दहन किया गया. इसके साथ ही अग्नि देव की पूजा भी की गई. हर वर्ष ये त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है.

होलिका दहन

ऐसा माना जाता है कि असुर राजा हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था लेकिन ये बात हिरण्यकश्यप को बिल्कुल अच्छी नहीं लगती थी. इससे नाराज होकर हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को अपनी बहन होलिका को सौंप दिया, होलिका को आग में नहीं जलने का वरदान प्राप्त था.

जलकर भस्म हो गई होलिका

होलिका प्रहलाद को मारने के इरादे से उसे गोद में लेकर जलती चिता पर बैठ गई. जिसके बाद प्रहलाद चिता से सुरक्षित बाहर आ गए और होलिका आग में जलकर भस्म हो गई.इसके बाद से ही इस दिन को होलिका दहन के रूप में मनाया जाता है.

सूरजपुर : जिले में कई जगहों पर होलिका दहन का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया गया. होली के एक दिन पहले होलिका दहन करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. सूरजपुर में भी पूरे विधि विधान के साथ होलिका दहन किया गया. इसके साथ ही अग्नि देव की पूजा भी की गई. हर वर्ष ये त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है.

होलिका दहन

ऐसा माना जाता है कि असुर राजा हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था लेकिन ये बात हिरण्यकश्यप को बिल्कुल अच्छी नहीं लगती थी. इससे नाराज होकर हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को अपनी बहन होलिका को सौंप दिया, होलिका को आग में नहीं जलने का वरदान प्राप्त था.

जलकर भस्म हो गई होलिका

होलिका प्रहलाद को मारने के इरादे से उसे गोद में लेकर जलती चिता पर बैठ गई. जिसके बाद प्रहलाद चिता से सुरक्षित बाहर आ गए और होलिका आग में जलकर भस्म हो गई.इसके बाद से ही इस दिन को होलिका दहन के रूप में मनाया जाता है.

Last Updated : Mar 10, 2020, 3:00 PM IST
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