सुकमा : नक्सलियों को मार भगाओ, आदिवासियों की हत्या बंद करो और सड़क को नुकसान पहुंचाना बंद करो... ये सारी बातें किसी पुलिस टीम ने नहीं बल्कि धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र के आदिवासियों ने कही Villagers unite against Naxalites in sukma है. इसी से जुड़ा एक कथित वीडियो सोशल मीडिया में वायरल Sukma viral video हो रहा है. इस वीडियो में आदिवासी एकजुट होकर नक्सलियों के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं. इस वीडियो में सभी ग्रामीण एक सुर में नक्सलियों को भगाने की बात कह रहे हैं.
कहां का है वीडियो : बताया जा रहा है कि यह वीडियो सुकमा जिले के अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र गोलापल्ली इलाके का है, जहां लंबे समय तक नक्सलियों का लीडर कहे जाने वाले रमन्ना की मौजूदगी थी. नक्सली हमले के मास्टर माइंड कहे जाने वाले हिड़मा ने भी इस इलाके को अपना डेरा बना रखा naxalite terror in sukma था. इन दोनों नक्सली लीडर्स की मौजूदगी के कारण कई तरह के विकास कार्य इस क्षेत्र में नहीं हो सके. सड़क का काम अधूरा है. कई ठेकेदारों ने टेंडर के बावजूद काम छोड़ दिया. बीते 10 जून से कोंटा से गोलापल्ली तक सड़क निर्माण का काम एक बार फिर से शुरू किया गया था. लेकिन कुछ समय पहले नक्सलियों ने बंद के दौरान इस सड़क पर दर्जनों जगह सड़क काटकर और बड़े बड़े पेड़ गिराकर मार्ग को अवरुद्ध कर दिया था. यही कारण है कि क्षेत्र के ग्रामीणों में नक्सलियों के खिलाफ रोष देखने को मिल रहा है. अब अंदरूनी क्षेत्र के ग्रामीण भी नक्सलवाद मुर्दाबाद का नारा लगा रहे हैं.
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सड़क नहीं होने से परेशानी : नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने की वजह से अंदरूनी क्षेत्रों में नक्सली हमेशा से ही विकास कार्यों में रोड़ा बनते हैं. विकास कार्य में लगी गाड़ियों को आग के हवाले कर देते हैं. जिसकी वजह से सड़क निर्माण का कार्य नहीं हो पाता. जब भी अंदरूनी क्षेत्र में किसी प्रकार की कोई बीमारी ग्रामीणों को अपनी चपेट में ले लेती है तो ग्रामीणों को अस्पताल पहुंचने में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता Need of road in interior areas of Sukma है. सड़क नहीं होने से ग्रामीण मरीज को खाट में लेकर अस्पताल पहुंचते हैं. कई बार ऐसा हुआ है कि समय पर अस्पताल नहीं पहुंचने पर मरीज की मौत हो गई है. कई दफा ग्रामीणों ने सड़क निर्माण की मांग प्रशासन से की है लेकिन नक्सली वारदातों के कारण हर बार शासन और प्रशासन दोनों का प्रयास पिछड़ जाता है. लेकिन अब खुद ग्रामीणों ने सड़क की मांग को लेकर नक्सलियों का ही विरोध करना शुरू किया है.