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बर्बादी की कगार पर तुंगल जलाशय, खर्च कर चुके हैं करोड़ों रुपए

पर्यटन केंद्र तुंगल जलाशय के सौन्दर्यीकरण के लिए करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी यहां सुविधाओं का अभाव है.

बर्बादी की कगार पर तुंगल जलाशय
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Published : Oct 6, 2019, 1:23 PM IST

Updated : Oct 6, 2019, 4:16 PM IST

सुकमा: जिले का एकमात्र इको पर्यटन केंद्र तुंगल जलाशय इन दिनों बर्बादी की कगार पर है. जलाशय के सौन्दर्यीकरण पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी यहां सुविधाओं का अभाव है. समुचित सुविधाएं नहीं मिलने से पर्यटकों को निराश होना पड़ता है.

बर्बादी की कगार पर तुंगल जलाशय

बता दें कि तत्कालीन सुकमा कलेक्टर नीरज बंसल ने पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ क्षेत्र के युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए एक अभिनव पहल की थी, जिसके लिए साल 2016 में तुंगल जलाशय को इको पर्यटन केंद्र के रूप में डेवलप किया गया. साथ ही युवाओं का समूह बनाकर जलाशय की देखरेख की जिम्मेदारी सौंपी गई. इतना ही नहीं नाव खरीदी के नाम पर स्वच्छता समूह को 35 लाख रुपए का लोन भी दिया गया, लेकिन वन विभाग की उदासीनता के कारण न तो जलाशय विकसित हो सका और न ही युवाओं को रोजगार मिला. इन दिनों स्व सहायता समूह के सामने आर्थिक तंगी की समस्या उत्पन्न हो गई है.

24 लाख रुपए में घटिया मोटरबोट
पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए वन विभाग ने तुंगल जलाशय में वोटिंग की व्यवस्था की थी. नौका विहार के लिए कोलकाता और जगदलपुर से 24 लाख रुपए खर्च कर आठ सीटर के दो मोटरबोट और दो रिलीफ मोटरबोट खरीदे गए थे, लेकिन कुछ ही दिनों में यह मोटरबोट क्षतिग्रस्त हो गए. इको सेंटर में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा पक्षी एमु पाला गया था, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र था, कभी इनकी संख्या 10 हुआ करती थी, लेकिन सही देखभाल नहीं होने के कारण अधिकांश पक्षियों की मौत हो गई. इन पक्षियों के लिए वन विभाग ने किसी भी तरह की व्यवस्था नहीं की.

प्रस्ताव भेजा है : कलेक्टर
सुकमा कलेक्टर चंदन कुमार ने बताया कि जलाशय को विकसित करने के लिए नया प्रपोजल भेजा गया है. स्वीकृति मिलते ही जैव विविधता पर यहां काम कराया जाएगा. आगामी समय में सुकमा पर्यटन स्थल के रूप में पहचान बनाएगा.

सुकमा: जिले का एकमात्र इको पर्यटन केंद्र तुंगल जलाशय इन दिनों बर्बादी की कगार पर है. जलाशय के सौन्दर्यीकरण पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी यहां सुविधाओं का अभाव है. समुचित सुविधाएं नहीं मिलने से पर्यटकों को निराश होना पड़ता है.

बर्बादी की कगार पर तुंगल जलाशय

बता दें कि तत्कालीन सुकमा कलेक्टर नीरज बंसल ने पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ क्षेत्र के युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए एक अभिनव पहल की थी, जिसके लिए साल 2016 में तुंगल जलाशय को इको पर्यटन केंद्र के रूप में डेवलप किया गया. साथ ही युवाओं का समूह बनाकर जलाशय की देखरेख की जिम्मेदारी सौंपी गई. इतना ही नहीं नाव खरीदी के नाम पर स्वच्छता समूह को 35 लाख रुपए का लोन भी दिया गया, लेकिन वन विभाग की उदासीनता के कारण न तो जलाशय विकसित हो सका और न ही युवाओं को रोजगार मिला. इन दिनों स्व सहायता समूह के सामने आर्थिक तंगी की समस्या उत्पन्न हो गई है.

24 लाख रुपए में घटिया मोटरबोट
पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए वन विभाग ने तुंगल जलाशय में वोटिंग की व्यवस्था की थी. नौका विहार के लिए कोलकाता और जगदलपुर से 24 लाख रुपए खर्च कर आठ सीटर के दो मोटरबोट और दो रिलीफ मोटरबोट खरीदे गए थे, लेकिन कुछ ही दिनों में यह मोटरबोट क्षतिग्रस्त हो गए. इको सेंटर में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा पक्षी एमु पाला गया था, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र था, कभी इनकी संख्या 10 हुआ करती थी, लेकिन सही देखभाल नहीं होने के कारण अधिकांश पक्षियों की मौत हो गई. इन पक्षियों के लिए वन विभाग ने किसी भी तरह की व्यवस्था नहीं की.

प्रस्ताव भेजा है : कलेक्टर
सुकमा कलेक्टर चंदन कुमार ने बताया कि जलाशय को विकसित करने के लिए नया प्रपोजल भेजा गया है. स्वीकृति मिलते ही जैव विविधता पर यहां काम कराया जाएगा. आगामी समय में सुकमा पर्यटन स्थल के रूप में पहचान बनाएगा.

Intro:विश्व पर्यटन दिवस:

तुंगल जलाशय सौन्दर्यकरण के नाम पर वन अधिकारियो ने भरी अपनी झोली...

सुकमा. जिले का एकमात्र इको पर्यटन केंद्र तुंगल जलाशय इन दिनों बर्बादी की कगार पर पहुंच गया है। जलाशय के सुंदरीकरण पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी यहां सुविधाओं का अभाव है। समुचित सुविधाएं नहीं मिलने से पर्यटकों को निराश होना पड़ रहा है।

सुकमा जिला नक्सलवाद के साथ-साथ अनूठी नैसर्गिक सुंदरता के लिए भी प्रसिद्ध है। जिला प्रशासन और वन विभाग द्वारा तुंगल जलाशय के विकास के लिए डेढ़ करोड़ की राशि खर्च की गई है। बावजूद इसके सैलानियों को ना सुविधा मिल पा रही है और ना पर्यटन केंद्र की विशेष पहचान बन पा रही है।

तुंगल जलाशय को विकसित करने तत्कालीन जिला प्रशासन ने वन विभाग को करोड़ों रुपए स्वीकृत किए थे। वन विभाग द्वारा करोड़ों रुपए खर्च कर तालाब सौंदर्यीकरण का कार्य कराया गया, जो अब देखरेख एवं उपेक्षा के कारण उजाड़ की स्थिति में पहुंच गया है। सौंदर्यीकरण के नाम पर शुरू किए गए सभी निर्माण कार्य अधूरे पड़े हैं। सुविधाओं का अभाव व अधूरे निर्माण कार्यो के कारण पर्यटक तुंगल जलाशय से दूरी बनाने लगे हैं।


Body: न विकसित हुआ और ना रोजगार मेला... तत्कालीन सुकमा कलेक्टर नीरज बंसल ने पर्यटन स्थल को बढ़ावा देने के साथ क्षेत्र के युवाओं को रोजगार से जोड़ने की एक अभिनव पहल की थी वर्ष 2016 में तुम बोल जलाशय को इको पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया गया वहीं युवाओं का समूह बनाकर जलाशय की देखरेख की जिम्मेदारी सौंपी गई नाव खरीदी के नाम पर स्वच्छता शंभू को 35 लाख का लोन दिया गया वन विभाग की उदासीनता के कारण ना तुमको जलाशय विकसित हो सका और ना ही युवाओं को रोजगार प्राप्त हुआ जिसमें को यहां की जिम्मेदारी दी गई उनके सामने आर्थिक तंगी के समस्या निर्मित हो गई। आलम यह है कि स्व सहायता समूह को दिन में सौ रुपये की कमाई भी नही हो पा रही है।

24 लाख खर्च कर खरीदे घटिया मोटर बोट...
पर्यटकों को आकर्षित करने वन विभाग ने तुम गर्ल जलाशय में वोटिंग सुविधा की व्यवस्था भी की थी नौका विहार के लिए कोलकाता और जगदलपुर से 24 लाख खर्च कर आठ सीटर के दो और दो रिलीफ मोटर बोट मंगाए गए। कुछ ही दिनों में यह मोटर बोट क्षतिग्रस्त हो गए। इसके अलावा वन विभाग द्वारा विभागीय मद से खरीदे गए सभी पैडल बोट खराब पड़े हैं।


Conclusion:देखरेख के अभाव में पक्षियों ने तोड़ा दम...
वन अफसर बेजुबानो के आशियानों में भ्रष्टाचार की सेंध लगाने से भी बाज नहीं आए। इको सेंटर में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा पक्षी एमु पाला गया था। जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र था कभी इनकी संख्या 10 हुआ करती थी लेकिन सही देखभाल नहीं होने के कारण अधिकांश पक्षियों की मौत हो गई। इन पक्षियों के लिए वन विभाग ने किसी भी तरह की व्यवस्था नहीं की।

पर्यटकों की संख्या घटने से आमदनी पर पड़ा असर...
इको पर्यटन केंद्र तुंगल जलाशय को पूरी तरह विकसित नही करने से यहां कार्यरत स्व सहायता समूह ने अपना काम समेट लिया है। शुरुआती दिनों में वन विभाग के अफसरों ने समूह के सदस्यों को आमदनी के बड़े-बड़े सपने दिखाए थे। समूह के नाम पर 25 लाख का लोन दिया गया। बैंक से प्राप्त लोन का वन अफसरों ने बगैर बैठक और सहमति के मनमानी ढंग से मोटर बोट की खरीदी कर दी। घटिया मोटर बोट कुछ माह में ही कबाड़ हो गए। तुंगल जलाशय में किसी तरह की सुविधा नही होने से पर्यटकों का आना कम हो गया जिसका असर समूह की आमदनी पर पड़ा।

विकशित हेतु प्रस्ताव भेजा है- कलेक्टर
सुकमा कलेक्टर चंदन कुमार ने बताया कि जलासय को विकसित करने नया प्रपोसल भेजा गया है। स्वीकृति मिलते ही जैव विविधता पर यहां काम कराया जाएगा। निश्चित ही आने वाले समय मे पर्यटन स्थल के रूप में सुकमा पहचाना जाएगा।
Last Updated : Oct 6, 2019, 4:16 PM IST
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