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सुकमा: अधर में इमली प्रसंस्करण प्रोजेक्ट, सरकार की मुहिम को लगा झटका

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Published : Oct 8, 2019, 4:15 PM IST

Updated : Oct 8, 2019, 6:46 PM IST

इमली प्रसंस्करण सेंटर प्रोजेक्ट अब तक शुरू नहीं होने से सरकार की मुहिम को झटका लगा है. यह सेंटर आत्मसमर्पित नक्सलियों को नौकरी देने के लिए शुरू की गई थी.

इमली प्रसंस्करण प्रोजेक्ट पर ताला

सुकमा: सुकमा में आत्मसमर्पित नक्सलियों को रोजगार देने के लिए शुरू की गई इमली प्रसंस्करण प्रोजेक्ट अधर में लटक गई है. जिसकी वजह से सरकार की मुहिम को बड़ा झटका लगा है. बता दें कि साल 2016 में जिला प्रशासन और वन विभाग ने इमली प्रोसेसिंग यूनिट की शुरुआत की थी.

इमली प्रसंस्करण प्रोजेक्ट पर ताला

सरकार का उदेश्य था कि इस प्रोजेक्ट के माध्यम से इमली प्रसंस्करण केंद्र में आत्मसमर्पित नक्सलियों को स्वरोजगार और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाए.लेकिन हकीकत में प्रोसेसिंग यूनिट शुरू होने से पहले ही इस प्रोजेक्ट पर ताला लग गया है.

परियोजना में तीस लाख से ज्यादा का खर्च

इस योजना के तहत प्रशासन ने करीब तीस लाख से भी ज्यादा की राशि खर्च की है. इमली प्रसंस्करण केंद्र के लिए एनएमडीसी के सीएसआर की बड़ी राशि भवन निर्माण में खर्च की गई. वहीं मशीनों और अन्य जरूरी उपकरणों की खरीदी में भी लाखों रुपए पानी की तरह बहाए गए. प्रशासन और वन विभाग ने जितनी तत्परता राशि के ट्रांसफर और खर्च में दिखाई उतनी गंभीरता प्रोजेक्ट को लागू करने में नहीं दिखाई

सुकमा कलेक्टर चंदन कुमार ने इस प्रोजेक्ट को दोबारा शुरू करने की बात कही है. और बताया है कि जिला प्रशासन इसको लेकर गंभीर है.

सुकमा: सुकमा में आत्मसमर्पित नक्सलियों को रोजगार देने के लिए शुरू की गई इमली प्रसंस्करण प्रोजेक्ट अधर में लटक गई है. जिसकी वजह से सरकार की मुहिम को बड़ा झटका लगा है. बता दें कि साल 2016 में जिला प्रशासन और वन विभाग ने इमली प्रोसेसिंग यूनिट की शुरुआत की थी.

इमली प्रसंस्करण प्रोजेक्ट पर ताला

सरकार का उदेश्य था कि इस प्रोजेक्ट के माध्यम से इमली प्रसंस्करण केंद्र में आत्मसमर्पित नक्सलियों को स्वरोजगार और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाए.लेकिन हकीकत में प्रोसेसिंग यूनिट शुरू होने से पहले ही इस प्रोजेक्ट पर ताला लग गया है.

परियोजना में तीस लाख से ज्यादा का खर्च

इस योजना के तहत प्रशासन ने करीब तीस लाख से भी ज्यादा की राशि खर्च की है. इमली प्रसंस्करण केंद्र के लिए एनएमडीसी के सीएसआर की बड़ी राशि भवन निर्माण में खर्च की गई. वहीं मशीनों और अन्य जरूरी उपकरणों की खरीदी में भी लाखों रुपए पानी की तरह बहाए गए. प्रशासन और वन विभाग ने जितनी तत्परता राशि के ट्रांसफर और खर्च में दिखाई उतनी गंभीरता प्रोजेक्ट को लागू करने में नहीं दिखाई

सुकमा कलेक्टर चंदन कुमार ने इस प्रोजेक्ट को दोबारा शुरू करने की बात कही है. और बताया है कि जिला प्रशासन इसको लेकर गंभीर है.

Intro:आत्मसमर्पित नक्सलियों को रोजगार देने शुरू की गई इमली प्रसंस्करण परियोजना अधर में, केंद्र में जड़ा ताला....

सुकमा. शासन की जनहित की योजनाएं किस तरह धरातल पर दम तोड़ देती हैं इसकी बानगी आप नक्सल प्रभावित जिला सुकमा में देख सकते हैं. किस तरह से जिम्मेदारों ने एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को बगैर प्लानिंग के ही अमलीजामा पहनाने की कोशिश की. सुकमा में आत्म समर्पित नक्सलियों को रोजगार देने के लिए शुरू की गई इमली प्रसंस्करण प्रोजेक्ट धरातल पर उतरने से पहले ही अटक गई है.


बता दें कि वर्ष 2016 में जिला प्रशासन और वन विभाग द्वारा इमली प्रोसेसिंग यूनिट की शुरुआत की थी. छत्तीसगढ़ प्रदेश के तत्कालीन सीएम डॉक्टर रमन सिंह ने इस प्रोजेक्ट के लिए बने भवन व परियोजना के लिए जरूरी मशीनों का अवलोकन कर इसका उद्घाटन किया था. सरकार का उद्देश्य था कि इस प्रोजेक्ट के माध्यम से इमली प्रसंस्करण केंद्र में आत्मसमर्पित नक्सलियों को स्वरोजगार और रोजगार के अवसर दियये जाएंगे. इस प्रसंस्करण केंद्र में महिला स्व सहायता को भी रोजगार देने की योजना थी. लेकिन धरातल पर उतरने से पहले ही इस प्रोजेक्ट पर ताला लग गया है.


Body:तीस लाख से भी ज्यादा का खर्च...
इस योजना के तहत प्रशासन ने करीब तीस लाख से भी ज्यादा की राशि खर्च की है. इमली प्रसंस्करण केंद्र के लिए एनएमडीसी के सीएसआर मद की बड़ी राशि भवन निर्माण में खर्च किया गया है. वही मशीनों व अन्य जरूरी उपकरणों की खरीदी में भी लाखों रुपए पानी की तरह बहाए गए. प्रशासन और वन विभाग ने जितनी तत्परता राशि के आहरण और खर्च में दिखाई उतनी गंभीरता प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन में नहीं. ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकारियों को इस प्रोजेक्ट के तहत मिलने वाली राशि से ही मतलब था.


Conclusion:वर्तमान सुकमा कलेक्टर चंदन कुमार ने इस प्रोजेक्ट को दोबारा शुरू करने की बात कहते हुए बताया कि इमली प्रसंस्करण केंद्र जिला प्रशासन की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक हैं. जिला प्रशासन इसे लेकर गंभीर है और जल्द ही इसे दोबारा शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट को संचालित करने के लिए जो मैकेनिज्म की जरूरत थी उसे विकसित नहीं किया गया था. उन्होंने बताया कि आत्म समर्पित नक्सली व नक्सल पीड़ित और स्व सहायता समूह की महिलाओं को जोड़कर इसे पुनः धरातल पर उतारा जाएगा. जिला प्रशासन में इस परियोजना को शुरू करने के लिए सभी जरूरी तैयारियां कर ली है.

बाइट 01: चंदन कुमार, कलेक्टर सुकमा
Last Updated : Oct 8, 2019, 6:46 PM IST
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