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ऐसा रहा डाक सेवा का हाल, तो लोग क्यों करेंगे उपयोग, जानें क्या है मामला

पोस्ट ऑफिस से 38 स्पीड पोस्ट बोरे में भरकर सुकमा से दुर्ग जाने वाली पायल बस से भेजे गए थे. अगले दिन सुबह धमतरी के पास बस दुर्घटना की शिकार हो गई थी. जिसकी विभाग को जानकारी ही नही थी.

ऐसा रहा डाक सेवा का हाल, तो लोग क्यों करेंगे उपयोग
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Published : Aug 23, 2019, 12:31 AM IST

Updated : Aug 23, 2019, 8:49 AM IST

सुकमा: शिक्षक को पोस्ट ऑफिस से स्पीड पोस्ट करना मंहगा पड़ गया. शिक्षक ने जिला मुख्यालय के पोस्ट ऑफिस से 24 दिन पहले अपने बेटे को कुछ महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट को कोयंबटूर के लिए स्पीड पोस्ट किया था. जो 24 दिन बाद भी उसके बेटे के पास नहीं पहुंचा है. बाद में जब शिक्षक ने मामले में शिकायत दर्ज कराई तो डाक विभाग ने इसे गंभीरता से नहीं लिया.

ऐसा रहा डाक सेवा का हाल, तो लोग क्यों करेंगे उपयोग

डाक विभाग की लापरवाही से परेशान शिक्षक अपने स्तर पर खोजबीन शुरू कर दुर्ग के बस डिपो से अपने बेटे के डॉक्यूमेंट के साथ ही स्पीड पोस्ट से भरे 5 बोरे को खोज निकाला और जिला मुख्यालय के डाक विभाग को सौंप दिया.
पढ़ें : कांकेर में मिली स्वाइन फ्लू की मरीज, अलर्ट पर स्वास्थ्य अमला

दरअसल, शिक्षक प्रफुल्ल डेनियल के बेटे को किसी जरूरी काम के लिए स्कूल और कॉलेज के ऑरिजनल मार्कशीट की तत्काल जरूरत थी. जिसपर उन्होंने 29 जुलाई को पोस्ट ऑफिस से कोयंबटूर भेजने के लिए ऑरिजनल मार्कशीट को स्पीड पोस्ट किया था. 10 से 12 दिनों के बाद भी बेटे को मार्कशीट नहीं मिलने पर उन्होंने पोस्ट ऑफिस जाकर पूछताछ की, जहां पोस्ट ऑफिस के जगदलपुर स्थित संभागीय कार्यालय से उन्हों कोई जानकारी नहीं मिली. इसके बाद 12 अगस्त को उन्होंने मामले की ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई. 14 अगस्त को उन्हें डाक विभाग की ओर से मामले को जांच में लिए जाने की जानकारी मिली.

विभाग को नहीं थी बस दुर्घटना की जानकारी
जानकारी के मुताबिक पोस्ट ऑफिस से 38 स्पीड पोस्ट बोरे में भरकर सुकमा से दुर्ग जाने वाली पायल बस से भेजे गए थे. अगले दिन सुबह धमतरी के पास बस दुर्घटना की शिकार हो गई थी. जिसकी विभाग को जानकारी ही नहीं थी.

विभाग से उम्मीद टूटने के बाद खुद ही खोज निकाला
शिक्षक अपने स्तर पर पोस्ट ऑफिस से पार्सल और बैग नंबर लेकर खुद ही ट्रैक करना शुरू कर दिए. जिसपर उन्हें जानकारी मिली कि जिस बस से स्पीड पोस्ट रायपुर भेजा गया था, 30 जुलाई की सुबह धमतरी के पास वो बस हादसे का शिकार हो गई थी. इसके बाद उन्होंने दुर्ग बस डिपो से हादसे की शिकार हुई बस के बारे में जानकारी जुटाई. 21 अगस्त को जानकारी मिली कि बस डिपो में ही खड़ी है. उसकी डिक्की में बैग भी रखा हुआ है. शिक्षक के दोस्तों ने बैग बस से निकाला और दुर्ग से सुकमा आने वाली बस से भेज दिया.

रौब झाड़ने लगे अधिकारी
प्रफुल्ल डेनियल अपने साथी शिक्षक संतोष के साथ 5 बोरे लेकर जिला मुख्यालय स्थित पोस्ट ऑफिस पहुंचे. डाक से भरे बोरे उन्होंने डाक निरीक्षक परमेश्वर कुर्रे को सौंप दिया. निरीक्षक ने पहले उन्हें पार्सल देने से इनकार करते हुए इसे अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर होने की बात कही. बाद में शिक्षक के दबाव पर उनसे आवेदन और दस रुपये का शुल्क लेकर पार्सल लौटा दिया.

सुकमा: शिक्षक को पोस्ट ऑफिस से स्पीड पोस्ट करना मंहगा पड़ गया. शिक्षक ने जिला मुख्यालय के पोस्ट ऑफिस से 24 दिन पहले अपने बेटे को कुछ महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट को कोयंबटूर के लिए स्पीड पोस्ट किया था. जो 24 दिन बाद भी उसके बेटे के पास नहीं पहुंचा है. बाद में जब शिक्षक ने मामले में शिकायत दर्ज कराई तो डाक विभाग ने इसे गंभीरता से नहीं लिया.

ऐसा रहा डाक सेवा का हाल, तो लोग क्यों करेंगे उपयोग

डाक विभाग की लापरवाही से परेशान शिक्षक अपने स्तर पर खोजबीन शुरू कर दुर्ग के बस डिपो से अपने बेटे के डॉक्यूमेंट के साथ ही स्पीड पोस्ट से भरे 5 बोरे को खोज निकाला और जिला मुख्यालय के डाक विभाग को सौंप दिया.
पढ़ें : कांकेर में मिली स्वाइन फ्लू की मरीज, अलर्ट पर स्वास्थ्य अमला

दरअसल, शिक्षक प्रफुल्ल डेनियल के बेटे को किसी जरूरी काम के लिए स्कूल और कॉलेज के ऑरिजनल मार्कशीट की तत्काल जरूरत थी. जिसपर उन्होंने 29 जुलाई को पोस्ट ऑफिस से कोयंबटूर भेजने के लिए ऑरिजनल मार्कशीट को स्पीड पोस्ट किया था. 10 से 12 दिनों के बाद भी बेटे को मार्कशीट नहीं मिलने पर उन्होंने पोस्ट ऑफिस जाकर पूछताछ की, जहां पोस्ट ऑफिस के जगदलपुर स्थित संभागीय कार्यालय से उन्हों कोई जानकारी नहीं मिली. इसके बाद 12 अगस्त को उन्होंने मामले की ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई. 14 अगस्त को उन्हें डाक विभाग की ओर से मामले को जांच में लिए जाने की जानकारी मिली.

विभाग को नहीं थी बस दुर्घटना की जानकारी
जानकारी के मुताबिक पोस्ट ऑफिस से 38 स्पीड पोस्ट बोरे में भरकर सुकमा से दुर्ग जाने वाली पायल बस से भेजे गए थे. अगले दिन सुबह धमतरी के पास बस दुर्घटना की शिकार हो गई थी. जिसकी विभाग को जानकारी ही नहीं थी.

विभाग से उम्मीद टूटने के बाद खुद ही खोज निकाला
शिक्षक अपने स्तर पर पोस्ट ऑफिस से पार्सल और बैग नंबर लेकर खुद ही ट्रैक करना शुरू कर दिए. जिसपर उन्हें जानकारी मिली कि जिस बस से स्पीड पोस्ट रायपुर भेजा गया था, 30 जुलाई की सुबह धमतरी के पास वो बस हादसे का शिकार हो गई थी. इसके बाद उन्होंने दुर्ग बस डिपो से हादसे की शिकार हुई बस के बारे में जानकारी जुटाई. 21 अगस्त को जानकारी मिली कि बस डिपो में ही खड़ी है. उसकी डिक्की में बैग भी रखा हुआ है. शिक्षक के दोस्तों ने बैग बस से निकाला और दुर्ग से सुकमा आने वाली बस से भेज दिया.

रौब झाड़ने लगे अधिकारी
प्रफुल्ल डेनियल अपने साथी शिक्षक संतोष के साथ 5 बोरे लेकर जिला मुख्यालय स्थित पोस्ट ऑफिस पहुंचे. डाक से भरे बोरे उन्होंने डाक निरीक्षक परमेश्वर कुर्रे को सौंप दिया. निरीक्षक ने पहले उन्हें पार्सल देने से इनकार करते हुए इसे अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर होने की बात कही. बाद में शिक्षक के दबाव पर उनसे आवेदन और दस रुपये का शुल्क लेकर पार्सल लौटा दिया.

Intro:जाने ऐसा क्या हुआ कि शिक्षक को डाक से भरे बोरे लेकर डाक घर जाना पड़ा...

सुकमा. जिला मुख्यालय स्थित पोस्ट ऑफिस में बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है. पोस्ट आफिस सुकमा से स्पीड पोस्ट से भेजे गए महत्वपूर्ण दस्तावेज 24 दिन बाद भी नही पहुंचे. लोगों की गई शिकायतों को भी पोस्ट आफिस ने गंभीरता से नही लिया. आखिरकार शिक्षक ने खोजबीन कर दुर्ग बस डिपो से स्पीड पोस्ट से भर बैग बरामद किया.

जिला मुख्यालय के ज्ञानोदय में पदस्थ शिक्षक प्रफुल्ल डेनियल व उनके साथी शिक्षक संतोष कुंबलवार गुरुवार दोपहर साढ़े तीन बजे बजे डाक से भरे 5 बोरे लेकर जिला मुख्यालय स्थित पोस्ट ऑफिस पहुंचे. डाक से भरे बोरे उन्होंने डाक निरीक्षक परमेश्वर कुर्रे को सौंपा और 24 दिन पहले उनके द्वारा कोयंबटूर के लिए स्पीड पोस्ट किए पार्सल की मांग की. निरीक्षक परमेश्वर कुर्रे पहले उन्हें पार्सल देने से इनकार करते हुए इसे अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर होने की बात कह रहे थे. बाद में शिक्षक द्वारा दबाव बनाने के बाद उनसे आवेदन व दस रुपये का शुल्क लेकर कोयंबटूर भेजा गया पार्सल लौटाया. शिक्षक प्रफुल्ल डेनियल ने दोबारा जरूरी दस्तावेज से नहीं भेजने की बात कही.



Body:क्या है मामला...
शिक्षक प्रफुल्ल डेनियल ने बताया कि कोयंबटूर में अध्ययनरत उनके बेटे को किसी जरूरी काम के लिए स्कूल व कॉलेज के ओरिजिनल मार्कशीट की तत्काल जरूरत थी. उन्होंने 29 जुलाई को जिला मुख्यालय स्थित पोस्ट आफिस से पार्सल स्पीड पोस्ट किया था. 10-12 दिनों के बाद भी स्पीड पोस्ट बेटे को नहीं मिलने पर उन्होंने पोस्ट ऑफिस पहुंचकर पूछताछ शुरू की. डाकघर के कर्मचारियों ने उनकी शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया. पोस्ट ऑफिस के जगदलपुर स्थित संभागीय कार्यालय गए. वहां भी उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई. 12 अगस्त को उन्होंने ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई .14 अगस्त को उन्हें डाक विभाग की ओर से शिकायत जांच में लिए जाने की जानकारी मिली.


Conclusion:धमतरी के पास हुए हादसे का शिकार हुई बस मे था स्पीड पोस्ट से भरा बैग...
पोस्ट ऑफिस से 38 स्पीड पोस्ट बोरे में भरकर सुकमा से दुर्ग जाने वाली पायल बस क्रमांक सीजी 07 ई 8090 में डाल दिया गया था. अगले दिन सुबह धमतरी के पास बस हादसे का शिकार हो गई. यहां से बस दुर्ग बस डिपो चली गई. शिक्षक द्वारा कोयंबोटूर भेजे गए स्पीड पोस्ट में उसके बेटे के स्कूल व कालेज के सभी ओरिजिनल मार्कशीट थे. 15 दिन बाद स्पीड पोस्ट कोयंबटूर नहीं पहुंचने पर वह परेशान हो गए. दोबारा ओरिजिनल मार्कशीट बनाने में उन्हें काफी समय लगता और परेशानी अलग से होती. इसलिए उन्होंने अपने स्तर पर पोस्ट ऑफिस से पार्सल व बैग नंबर लेकर खुद ही ट्रैक करना शुरू किया. बैग नंबर ट्रैक करने के दौरान उन्हें जानकारी मिली कि जिस बस में 38 स्पीड पोस्ट जाऊंगा का बैग रायपुर भेजा गया था. 30 जुलाई की सुबह धमतरी के पास हादसे का शिकार हो गई. उसके बाद उन्होंने दुर्ग बस डिपो से हादसे का शिकार हुई बस के बारे में जानकारी जुटाई. 21 अगस्त को है इस बात की जानकारी मिली कि बस डिपो में ही खड़ी थी और उसकी डिक्की में बैग रखा हुआ है. शिक्षक के दोस्तों ने बैग बरामद किया और दुर्ग से सुकमा आने वाली बस से बैग भेजा.

बाइट 01: प्रफुल्ल डेनियल, शिक्षक
बाइट 02 : परमेश्वर कुर्रे, निरीक्षक, डाक घर सुकमा
Last Updated : Aug 23, 2019, 8:49 AM IST
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