सुकमा: सुकमा जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश कवासी ने केंद्र सरकार पर तुगलकी फरमान जारी करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने DMF समिति में बदलाव करते हुए अध्यक्ष प्रभारी मंत्री की जगह कलेक्टर को नियुक्त किया है जिससे सीधे-सीधे जनप्रतिनिधियों का अपमान हुआ है.
कवासी हरीश ने कहा कि इससे साफ जाहिर होता है कि केंद्र की मोदी सरकार अफसरशाही को बढ़ावा देने और जनप्रतिनिधियों को कमजोर करने की एक सोची समझी रणनीति तैयार कर रही है. देश की जनता ने जिन लोगों को संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए जिम्मेदारी सौंपी हैं, वे ही अब लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं.
'मोदी सरकार अफसरशाही को बढ़ावा दे रही'
प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के बाद DMF फंड कमेटी के नियम में बदलाव किया गया था. कलेक्टर की जगह जिलों की खनिज न्यास संस्थान में जिले के प्रभारी मंत्री अध्यक्ष बनाए गए थे. कलेक्टर के पास सचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. विधायकों को सदस्य के रूप में शामिल किया था. अब केंद्र ने नए नियम के जरिए पुरानी स्थिति बहाल कर दी है. पूर्ववर्ती सरकार में DMF का पैसा खर्च तो किया जा रहा था. लेकिन मूलभूत आवश्यकताओं पर नहीं किया जा रहा है.
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छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की भूपेश बघेल की सरकार आने के बाद छत्तीसगढ़ एकलौता राज्य है. जहां ग्रामसभा का सदस्य अगस्त 2019 में कानून में बदलाव की वजह से DMF निगरानी तंत्र का हिस्सा बना है. छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार में DMF का ज्यादा पैसा शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल आपूर्ति, पोषण, और आमजनों की आमदनी बढ़ाने जैसे कार्यो पर हुए हैं. बदलाव करना ही था तो सांसदों को अध्यक्ष नियुक्त करना था. इस समिति में सांसदों को सदस्यों के रूप में लिया गया है जो सांसदों के अपमान के साथ-साथ आम मतदाताओं का भी अपमान है. जो लोकतांत्रिक व्यवस्था को कुचलने का प्रयास मोदी सरकार द्वारा किया गया है.