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अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा ये जल प्रपात, 'लाल आतंक' की वजह से नहीं मिल पाई पहचान - छत्तीसगढ़ न्यूज

चितलनार के घने जंगलों के बीच मौजूद है छोटा दुरमा जलप्रपात. यह जलप्रपात अपनी खूबसूरती से यहां आने वाले पर्यटकों के मन मोह लेता है.

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Published : Jul 9, 2019, 9:11 PM IST

सुकमा: बस्तर की पहचान यहां मौजूद प्राकृतिक सुंदरता और जलप्रपातों की वजह से है. घने जंगलों के बीच कई ऐसे खूबसूरत पर्यटन स्थल मौजूद हैं, जो नक्सलवाद की वजह से अभी भी पर्यटकों से दूर हैं. ऐसा ही एक पर्यटन स्थल है तोंगपाल में मौजूद चितलनार जलप्रपात.

स्पेशल स्टोरी

सुकमा जिले के तोंगपाल में चितलनार के घने जंगलों के बीच मौजूद है छोटा दुरमा जलप्रपात. यह जलप्रपात अपनी खूबसूरती से यहां आने वाले पर्यटकों के मन मोह लेता है. यह झरना तुलसी डोंगरी की पहाड़ियों से निकलने वाले नाले कंपनी छोटे दुरमा की बीस फीट ऊंची चट्टानों से गिरता है. ग्रामीणों ने जलप्रपात के पास ही शिव मंदिर का निर्माण कराया है.

जिला बनने के बाद से सुकमा में मौजूद पर्यटन स्थल का लगातार विकास किया जा रहा है. रामराम में मौजूद चिटमिट्टीन माता का मंदिर हो या तुंगल जलाशय, जिला प्रशासन की ओर से पर्यटक स्थलों के रूप में विकसित कर उन्हें पहचान दिलाने का प्रयास किया जा रहा है.

यहां तक पहुंचने के लिए तोंगपाल से पुस्पाल तक पक्की सड़क है. कोकवाड़ा गांव से पहले पूर्व दिशा में करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर चितलनार गांव में मौजूद पहाड़ी की पगडंडी के सहारे जलप्रपात तक पहुंचा जा सकता है. कोकवाड़ा और चितलनार के बीच एक नदी और दो नाले पड़ते है, जिन्हें पारकर जलप्रपात की खूबसूरती निहारी जा सकती है.

कलेक्टर चंदन कुमार ने बताया कि चितलनार जलप्रपात को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा. इस साल जलप्रपात को कार्ययोजना में शामिल किया गया है. चितलनार गांव से पहले एक नदी है जिस पर पुल का निर्माण कराया जा रहा है और पुल का काम पूरा होते ही चितलनार जलप्रपात को विकसित किया जाएगा.
नक्सलवाद की मार बस्तर में रहने वाले लोगों तक सीमित नहीं है, बल्कि यहां मौजूद प्राकृतिक सौंदरता और यहां मौजूद पर्यटन स्थल भी लाल आतंक और प्रशासनिक उदासीनता की वजह से गुमनामी की मार झेल रहे हैं.

सुकमा: बस्तर की पहचान यहां मौजूद प्राकृतिक सुंदरता और जलप्रपातों की वजह से है. घने जंगलों के बीच कई ऐसे खूबसूरत पर्यटन स्थल मौजूद हैं, जो नक्सलवाद की वजह से अभी भी पर्यटकों से दूर हैं. ऐसा ही एक पर्यटन स्थल है तोंगपाल में मौजूद चितलनार जलप्रपात.

स्पेशल स्टोरी

सुकमा जिले के तोंगपाल में चितलनार के घने जंगलों के बीच मौजूद है छोटा दुरमा जलप्रपात. यह जलप्रपात अपनी खूबसूरती से यहां आने वाले पर्यटकों के मन मोह लेता है. यह झरना तुलसी डोंगरी की पहाड़ियों से निकलने वाले नाले कंपनी छोटे दुरमा की बीस फीट ऊंची चट्टानों से गिरता है. ग्रामीणों ने जलप्रपात के पास ही शिव मंदिर का निर्माण कराया है.

जिला बनने के बाद से सुकमा में मौजूद पर्यटन स्थल का लगातार विकास किया जा रहा है. रामराम में मौजूद चिटमिट्टीन माता का मंदिर हो या तुंगल जलाशय, जिला प्रशासन की ओर से पर्यटक स्थलों के रूप में विकसित कर उन्हें पहचान दिलाने का प्रयास किया जा रहा है.

यहां तक पहुंचने के लिए तोंगपाल से पुस्पाल तक पक्की सड़क है. कोकवाड़ा गांव से पहले पूर्व दिशा में करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर चितलनार गांव में मौजूद पहाड़ी की पगडंडी के सहारे जलप्रपात तक पहुंचा जा सकता है. कोकवाड़ा और चितलनार के बीच एक नदी और दो नाले पड़ते है, जिन्हें पारकर जलप्रपात की खूबसूरती निहारी जा सकती है.

कलेक्टर चंदन कुमार ने बताया कि चितलनार जलप्रपात को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा. इस साल जलप्रपात को कार्ययोजना में शामिल किया गया है. चितलनार गांव से पहले एक नदी है जिस पर पुल का निर्माण कराया जा रहा है और पुल का काम पूरा होते ही चितलनार जलप्रपात को विकसित किया जाएगा.
नक्सलवाद की मार बस्तर में रहने वाले लोगों तक सीमित नहीं है, बल्कि यहां मौजूद प्राकृतिक सौंदरता और यहां मौजूद पर्यटन स्थल भी लाल आतंक और प्रशासनिक उदासीनता की वजह से गुमनामी की मार झेल रहे हैं.

Intro:बस्तर की पहचान तीरथगढ़ और चित्रकूट जलप्रपात से होती है, जिसे देखने के लिए देश विदेश से पर्यटक पहुंचते है। लेकिन ऐसी ही खूबसूरत, प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण जलप्रपात बस्तर में और भी हैं। लेकिन नक्सलवाद और घने जंगल होने के कारण अब तक उन्हें ढूंढा नही जा सका है।

हम बात कर रहे हैं तोंगपाल क्षेत्र के चितलनार जलप्रपात की। यह जलप्रपात भले ही देश दुनिया से दूर है लेकिन चितलनार व आस-पास इलाकों में बेहद प्रसिद्ध है।

सुकमा जिले के अंदुरुनी इलाकों में आज भी खूबसूरत नजारे है जो नक्सलवाद की वजह से लोगों की नजरों से ओझल होकर अपनी खूबसूरती और पहचान की तलाश में गुमनाम हैं। ऐसा ही एक जलप्रपात का नजारा तोंगपाल क्षेत्र के चितलनार गांव में देखने को मिला। माओवाद प्रभावित होने के कारण यह जलप्रपात को पहचान नही सकी है। पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाए तो जिले के लिए एक अलग पहचान मिलेगी।




Body:हर वर्ष माघ पूर्णिमा के दिन लगता है मेला...
सुकमा जिले के तोंगपाल क्षेत्र के चितलनार के घने जंगलों में छोटा दुरमा जलप्रपात है। जो अपनी झूबसूरती से किसी का भी मन मोह ले। तुलसी डोंगरी की पहाड़ियों से निकलने वाले नाले कंपनी छोटे दुरमा की बीस फ़ीट ऊंची चट्टानों से गिरता है। ग्रामीणो ने जलप्रपात के पास ही शिव मंदिर का निर्माण किया है। गांव के पुजारी घेनवा राम नाग ने बताया कि माघ पूर्णिमा के दिन दो दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमे चितलनार के आस-पास ओ ओडिसा के देवी-देवताओं को आमंत्रित किया जाता है।

प्रशासन ध्यान दे तो बन सकता है पर्यटक स्थल...
दंतेवाड़ा जिले से पृथक होकर सुकमा नया जिला बनने के से लगातार पर्यटक स्थलों का विकास किया जा रहा है। रामराम स्थित चिटमिट्टीन माता का मंदिर हो या फिर तुंगल जलाशय, जिला प्रशासन द्वारा पर्यटक स्थलों के रूप में विकसित कर उन्हें पहचान दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन अब तक पर्यटक स्थल के रूप में जिले को कोई विशेष पहचान नही मिली सकी है। पुजारी घेनवा राम नाग ने बताया कि गांव वालों की मदद से पहाड़ से नीचे उतरने के लिए सीढ़ियों के निर्माण किया गया है।


Conclusion:पहुंच मार्ग नही...
जिला मुख्यालय के करीब 71 व तोंगपाल से राष्ट्रीय राजमार्ग से करीब 16 किमी दूर चितलनार गांव स्थित है। यहां तक पहुंचने के लिए तोंगपाल से पुस्पाल तक पक्की सड़क है। कोकवाड़ा गांव से पहले पूर्व दिशा में करीब 5 किमी की दूरी पर चितलनार गांव है। गांव से पहाड़ी तक पगडंडी के सहारे जलप्रपात तक पहुंचा का सकता है। कोकवाड़ा और चितलनार के बीच एक नदी व दो नाले पड़ते है, जिन्हें पार कर जलप्रपात की खूबसूरती निहारी जा सकती है। ग्रामीणो के अनुसार जलप्रपात तक पहुंचने के लिए सड़क की आवश्यक्ता है। मंदिर के पास सिद्धिव अन्य जरूरी चीजों पर प्रशासन ध्यान दे तो एक खूबसूरत पर्यटक स्थल बन सकता है।

कार्य योजना में शामिल किया गया - कलेक्टर
कलेक्टर चंदन कुमार ने बताया कि चितलनार जलप्रपात को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। इस वर्ष जलप्रपात को कार्ययोजना में शामिल किया गया है। चितलनार गांव से पहले एक नदी है जिस पर पुल का निर्माण कराया जा रहा है। पुल का काम पूर्ण होते ही चितलनार जलप्रपात को विकसित किया जाएगा।
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