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सुकमा: हर चुनावी भाषण में PM करते हैं जिस योजना का जिक्र, जानिए यहां कैसा है उसका हाल - ग्रामीण हो रहे हैं परेशान

ETV भारत की टीम ने सुकमा जिले के नक्सल प्रभावित कोंटा ब्लॉक का दौरा किया. जहां ग्राम इत्तागुड़ा में प्रशासन ने कई लोगों को प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत गैस कनेक्शन दिए हैं. लेकिन री-फिलिंग को लेकर समस्या बनी हुई है.

प्रधानमंत्री उज्जवला योजना
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Published : Apr 15, 2019, 1:37 PM IST

Updated : Apr 15, 2019, 2:10 PM IST

सुकमा: ग्रामीण महिलाओं को मिट्टी के चूल्हों से आजादी दिलाने और धुआं रहित ग्रामीण भारत का निर्माण करने के दावे के साथ मई 2016 में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री उज्जवला योजना की शुरुवात की थी. इसमें सरकार ने 2019 तक देश के 8 करोड़ परिवारों को मुफ्त में गैस कनेक्शन देने का वादा किया था. लेकिन यहां वादों की हकीकत जमीनी स्तर तक पर कुछ और ही है.
सुकमा जिले में प्रशासन ने 2016 से लेकर अब तक 18 हजार 680 गैस कनेक्शन गरीब परिवारों को बांटे हैं. जिसमें 50 फीसदी परिवारों ने दोबारा गैस का सिलेंडर नहीं भरवाया. हकीकत ये है कि उज्ज्वला योजना का गैस सिलेंडर गरीबों के घर तक तो पहुंच रहा है लेकिन गरीब आदिवासी महिलाओं के आंखों से आंसू निकला बंद नहीं हुआ है.

ETV भारत पहुंचा कोंटा ब्लॉक
ETV भारत की टीम ने सुकमा जिले के नक्सल प्रभावित कोंटा ब्लॉक का दौरा किया. हम जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर पोलमपल्ली ग्राम पंचायत पहुंचे. जहां पंचायत के आश्रित ग्राम इत्तागुड़ा में प्रशासन ने कई लोगों को प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत गैस कनेक्शन दिए हैं. लेकिन री-फिलिंग को लेकर समस्या बनी हुई है.

महिला फूंकमार कर जला रही थी चूल्हा
गांववालों का मुख्य आय का स्र्वोत वनोपज संग्रहण और मजदूरी है. इस बीच हमने देखा कि गांव की एक 35 साल की आदिवासी महिला चूल्हे फूंकमार कर मशक्कत कर रही थी, ताकि चूल्हा जल सके. दो साल पहले इस परिवार को उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन मिला था. लेकिन 24 महीनों में महज एक बार ही रिफिल कराया है.

गैस के बढ़ते दामों से परेशान हैं - ग्रामीण
इत्तागुड़ा निवासी इस महिला को हिंदी नहीं आती है. इसलिए हमने उसके पति कलमु से बात की. उन्होंने बताया कि गैस के बढ़ते दामों से परेशान हैं. टोरा-महुआ जैसे वनोपज का संग्रहण कर किसी तरह अपना और अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं. कलमु का कहना है कि वनोपज बेचकर किसी तरह एक महीने में तीन से चार हजार रुपये कमा लेते हैं. लेकिन गैस री-फिलिंग में हर महीने में एक हजार से 1200 रुपए लग जाते हैं. ऐसे में उसे घर चलाने में दिक्कतें आ रही है. लिहाजा उसने गैस कनेक्शन मिलने के बाद कभी रिफिलिंग नहीं करायी.

आचार संहिता खत्म होते ही वितरण किया जाएगा - सचिव
इस पूरे मामले में पंचायत सचिव मीना कोड़ी का कहना है कि, 'कई ग्रामीणों को गैस के कनेक्शन वितरित किया गया है. आचार संहिता लगने के कारण शेष ग्रामीणों को गैस सिलेंडर नहीं बांटा गया था. आचार संहिता हटते ही इसका वितरण किया जाएगा.

सुकमा: ग्रामीण महिलाओं को मिट्टी के चूल्हों से आजादी दिलाने और धुआं रहित ग्रामीण भारत का निर्माण करने के दावे के साथ मई 2016 में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री उज्जवला योजना की शुरुवात की थी. इसमें सरकार ने 2019 तक देश के 8 करोड़ परिवारों को मुफ्त में गैस कनेक्शन देने का वादा किया था. लेकिन यहां वादों की हकीकत जमीनी स्तर तक पर कुछ और ही है.
सुकमा जिले में प्रशासन ने 2016 से लेकर अब तक 18 हजार 680 गैस कनेक्शन गरीब परिवारों को बांटे हैं. जिसमें 50 फीसदी परिवारों ने दोबारा गैस का सिलेंडर नहीं भरवाया. हकीकत ये है कि उज्ज्वला योजना का गैस सिलेंडर गरीबों के घर तक तो पहुंच रहा है लेकिन गरीब आदिवासी महिलाओं के आंखों से आंसू निकला बंद नहीं हुआ है.

ETV भारत पहुंचा कोंटा ब्लॉक
ETV भारत की टीम ने सुकमा जिले के नक्सल प्रभावित कोंटा ब्लॉक का दौरा किया. हम जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर पोलमपल्ली ग्राम पंचायत पहुंचे. जहां पंचायत के आश्रित ग्राम इत्तागुड़ा में प्रशासन ने कई लोगों को प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत गैस कनेक्शन दिए हैं. लेकिन री-फिलिंग को लेकर समस्या बनी हुई है.

महिला फूंकमार कर जला रही थी चूल्हा
गांववालों का मुख्य आय का स्र्वोत वनोपज संग्रहण और मजदूरी है. इस बीच हमने देखा कि गांव की एक 35 साल की आदिवासी महिला चूल्हे फूंकमार कर मशक्कत कर रही थी, ताकि चूल्हा जल सके. दो साल पहले इस परिवार को उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन मिला था. लेकिन 24 महीनों में महज एक बार ही रिफिल कराया है.

गैस के बढ़ते दामों से परेशान हैं - ग्रामीण
इत्तागुड़ा निवासी इस महिला को हिंदी नहीं आती है. इसलिए हमने उसके पति कलमु से बात की. उन्होंने बताया कि गैस के बढ़ते दामों से परेशान हैं. टोरा-महुआ जैसे वनोपज का संग्रहण कर किसी तरह अपना और अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं. कलमु का कहना है कि वनोपज बेचकर किसी तरह एक महीने में तीन से चार हजार रुपये कमा लेते हैं. लेकिन गैस री-फिलिंग में हर महीने में एक हजार से 1200 रुपए लग जाते हैं. ऐसे में उसे घर चलाने में दिक्कतें आ रही है. लिहाजा उसने गैस कनेक्शन मिलने के बाद कभी रिफिलिंग नहीं करायी.

आचार संहिता खत्म होते ही वितरण किया जाएगा - सचिव
इस पूरे मामले में पंचायत सचिव मीना कोड़ी का कहना है कि, 'कई ग्रामीणों को गैस के कनेक्शन वितरित किया गया है. आचार संहिता लगने के कारण शेष ग्रामीणों को गैस सिलेंडर नहीं बांटा गया था. आचार संहिता हटते ही इसका वितरण किया जाएगा.

Intro:ग्रामीण महिलाओं को मिट्टी के चूल्हों से आजादी दिलाने और धुँआरहित ग्रामीण भारत का निर्माण करने के दावे के साथ मई 2016 में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री उज्जवला योजना की शुरुवात की। सरकार ने 2019 तक देश के 8 करोड़ परिवारों को मुफ्त में गैस कनेक्शन देने का वादा किया था। लेकिन वादों की हकीकत जमीनी स्तर तक नही पहुंच पाई है।

हम पूरे देश की केवल छत्तीसगढ़ के सबसे छोटे व अत्यंत नक्सल प्रभावित जिला सुकमा की बात कर रहे हैं। सुकमा जिले प्रशासन ने 2016 से लेकर अब तक 18 हजार 6 सौ अस्सी गैस कनेक्शन गरीब परिवारों को बांटे हैं। जिसमे 50 फीसदी परिवारो ने दुबारा गैस का सिलिंडर नही भरवा पाए हैं। हकीकत ये है कि उज्ज्वला योजना का गैस सिलिंडर गरीबों के घर तक तो पहुंच रहा है लेकिन गरीब आदिवासी महिलाओं के आँखों से आंसू निकला बन्द नही हुआ है।

केंद्र सरकार ने चूल्हे का दौर खत्म कर ग्रमीण महिलाओं की ज़िंदगी मे नया सवेरा लाने का दावा किया था। इसी नए सवेरे की झलक पाने etv bharat की टीम सुकमा जिले के नक्सल प्रभावित कोंटा ब्लॉक का दौरा किया। जिला मुख्यालय से 45 किमी दूर पोलमपल्ली ग्राम पंचायत पहुंचे। इस पंचायत के आश्रित ग्राम इत्तागुडा में भी प्रशासन ने कई लोगों को प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत ग्रामीणों को गैस कनेक्शन दिए हैं।

गांव वालों का मुख्य आय का स्त्रोत वनोपज संग्रहण और मजदूरी है पीएम उज्ज्वल योजना की हकीकत जानने हम गांव पहुंचे तो कई ग्रामीण महुआ संग्रहण करते दिखे। इसी बीच गाँव की एक 35 वर्षीय आदिवासी महिला फूंकमार कर मशक्कत कर राही थी ताकि चूल्हा जल सके। दो साल पहले इस परिवार को उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन मिला था। लेकिन 24 महीनों में महज एक बार ही रिफिल कराया है।

इत्तागुडा निवासी इस महिला को हिंदी नही आती है। इसलिए हमने उसके पति कलमु से बात की। कलमु हिड़मा गैस के बढ़ते मूल्यों से परेशान है। टोरा-महुआ जैसे वनोपज का संग्रहण कर किसी तरह अपना और अपने परिवार का पेट पाल रहा है। कलमु का कहना है कि वनोपज बेचकर किसी तरह एक महीने में तीन से चार हजार रुपये कमा लेता है। लेकिन गैस रिफिलिंग में हर माह एक हजार से 12 सौ रुपये लग जाते हैं। ऐसे में उसे घर चलाने में दिक्कतें आ रही है। इसीलिए उसने गैस कनेक्शन मिलने के बाद कभी रिफिलिंग नही कराया।

कोंडरे पंचायत(सुकमा ब्लॉक)
कोंटा ब्लॉक में उज्ज्वला योजना की हकीकत जानने के बाद etv bharat की टीम सुकमा विकासखंड के कोंडरे पंचायत पहुंची। यह पंचायत प्रदेश के आबकारी एवं उद्योग मंत्री कवासी लखमा के गृह ग्राम से करीब 7 किमी दूर है। कोंडरे पंचायत में भी उज्ज्वल योजना का बुरा हाल है। पंचायत मुख्यलय में ही ग्रामीणों को गैस कनेक्शन नही बांटे गए हैं। जबकी पंचायत भवन में दो दर्जन से ज्यादा चूल्हे और सिलिंडर रखें हुए थे। नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण ग्रामीण कैमरे के सामने कुछ भी बोलने को तैयार नही थे। लेकिन उन्होंने पंचायत के जिम्मेदारों की लापरवाही और उदासीनता की पूरी दास्तां बयां कर दिया। ग्रामीणों के अनुसार उन्हें गैस कनेक्शन नही बांटे गए हैं। पिछले 6 माह से पंचायत भवन में गैस चूल्हे और सिलिंडर रखे है।

इस पूरे मामले में पंचायत सचिव श्रीमती मीना कोड़ी का कहना है कि कई ग्रामीणों को गैस के कनेक्शन वितरित किये गए हैं। आचार संहिता लगने के कारण शेष ग्रामीणों को गैस सिलिंडर नही बांटा गया है। आचार संहिता हटते ही इसका वितरण किया जाएगा।

बाइट: 121 में ग्रामीण का नाम कलमु हिड़मा
बाइट 02 : मीना कोड़ी, सचिव, कोंडरे पंचायत



Body:उज्ज्वला योजना


Conclusion:उज्ज्वला योजना
Last Updated : Apr 15, 2019, 2:10 PM IST
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