सुकमा: प्रदेश के कई जिलों में जिला प्रशासन लॉकडाउन के दौरान लोगों को मनरेगा के अंतर्गत रोजगार प्रदान कर रहा है. इसका लक्ष्य है कि लॉकडाउन के समय लोगों को आर्थिक संकट का सामना न करना पड़े. इसी कड़ी में सुकमा जिले में मनरेगा के माध्यम से मई माह में 6 लाख 66 हजार मानव दिवस के रोजगार का लक्ष्य रखा गया था. हालांकि लक्ष्य से बढ़कर 7 लाख 36 हजार 738 मानव दिवस (एक मजदूर के एक दिन काम करने पर एक मानव दिवस सृजित होता है) का रोजगार सृजन किया जा चुका है.
जिले में लॉकडाउन के दौरान ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराने में मनरेगा बहुत अधिक सहायक सिद्ध हो रहा है. सुकमा में मनरेगा के माध्यम से तालाब, डबरी, भूमि समतलीकरण, रिचार्ज पिट, सीसी सड़क निर्माण और कुआं खनन पर विशेष जोर दिया जा रहा है. प्रशासन के मई माह में निर्धारित लक्ष्य के मुकाबले 110 प्रतिशत लक्ष्य की प्राप्ति कर 7 लाख 36 हजार 738 मानव दिवस का रोजगार दिया जा चुका है.
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इन विकासखंडों में इतना बढ़ाया गया लक्ष्य
- सुकमा विकासखंड में 2 लाख 3 हजार 396 मानव दिवस के लक्ष्य के मुकाबले 1 लाख 54 हजार 981 मानव दिवस का सृजन किया गया.
- छिन्दगढ़ विकासखंड में 2 लाख 76 हजार 751 दिवस के लक्ष्य के मुकाबले 3 लाख 34 हजार 122 मानव दिवस का सृजन किया गया.
- कोंटा विकासखंड में 1 लाख 86 हजार 724 मानव दिवस के मुकाबले 02 लाख 47 हजार 635 मानव दिवस का रोजगार प्रदान किया गया.
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लॉकडाउन में मनरेगा बना जरूरी रोजगार का साधन
कोरोना काल में मनरेगा ही ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराने का साधन है. इससे इस कठिन समय में काफी सहायता भी मिल रही है. सुकमा में कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए मजदूर मनरेगा के तहत काम कर रहे हैं.