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सुकमा में मनरेगा के तहत 7 लाख 36 हजार 738 मानव दिवस का हुआ रोजगार सृजन - Villagers given employment under MNREGA in Sukma

सुकमा में लॉकडाउन के समय ग्रामीणों के आर्थिक संकट को देखते हुए मनरेगा के तहत मई माह में 6 लाख 66 हजार मानव दिवस के रोजगार का लक्ष्य रखा गया था, जबकि 7 लाख 36 हजार 738 मानव दिवस (एक मजदूर के एक दिन काम करने पर एक मानव दिवस सृजित होता है) का रोजगार सृजन किया जा चुका है.

MNREGA employment in Sukma
सुकमा में मनरेगा रोजगार
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Published : May 26, 2021, 12:18 PM IST

सुकमा: प्रदेश के कई जिलों में जिला प्रशासन लॉकडाउन के दौरान लोगों को मनरेगा के अंतर्गत रोजगार प्रदान कर रहा है. इसका लक्ष्य है कि लॉकडाउन के समय लोगों को आर्थिक संकट का सामना न करना पड़े. इसी कड़ी में सुकमा जिले में मनरेगा के माध्यम से मई माह में 6 लाख 66 हजार मानव दिवस के रोजगार का लक्ष्य रखा गया था. हालांकि लक्ष्य से बढ़कर 7 लाख 36 हजार 738 मानव दिवस (एक मजदूर के एक दिन काम करने पर एक मानव दिवस सृजित होता है) का रोजगार सृजन किया जा चुका है.

जिले में लॉकडाउन के दौरान ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराने में मनरेगा बहुत अधिक सहायक सिद्ध हो रहा है. सुकमा में मनरेगा के माध्यम से तालाब, डबरी, भूमि समतलीकरण, रिचार्ज पिट, सीसी सड़क निर्माण और कुआं खनन पर विशेष जोर दिया जा रहा है. प्रशासन के मई माह में निर्धारित लक्ष्य के मुकाबले 110 प्रतिशत लक्ष्य की प्राप्ति कर 7 लाख 36 हजार 738 मानव दिवस का रोजगार दिया जा चुका है.

Employment under MNREGA in Sukma
सुकमा में मनरेगा के तहत रोजगार

मनरेगा के तहत बलौदाबाजार के 126 ग्राम पंचायतों में 13 करोड़ से ज्यादा के काम को मिली मंजूरी

इन विकासखंडों में इतना बढ़ाया गया लक्ष्य

  • सुकमा विकासखंड में 2 लाख 3 हजार 396 मानव दिवस के लक्ष्य के मुकाबले 1 लाख 54 हजार 981 मानव दिवस का सृजन किया गया.
  • छिन्दगढ़ विकासखंड में 2 लाख 76 हजार 751 दिवस के लक्ष्य के मुकाबले 3 लाख 34 हजार 122 मानव दिवस का सृजन किया गया.
  • कोंटा विकासखंड में 1 लाख 86 हजार 724 मानव दिवस के मुकाबले 02 लाख 47 हजार 635 मानव दिवस का रोजगार प्रदान किया गया.

दंतेवाड़ा में मनरेगा के तहत 3.38 करोड़ की लागत से 73 नए निर्माण कार्यों को मिली मंजूरी

लॉकडाउन में मनरेगा बना जरूरी रोजगार का साधन

कोरोना काल में मनरेगा ही ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराने का साधन है. इससे इस कठिन समय में काफी सहायता भी मिल रही है. सुकमा में कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए मजदूर मनरेगा के तहत काम कर रहे हैं.

सुकमा: प्रदेश के कई जिलों में जिला प्रशासन लॉकडाउन के दौरान लोगों को मनरेगा के अंतर्गत रोजगार प्रदान कर रहा है. इसका लक्ष्य है कि लॉकडाउन के समय लोगों को आर्थिक संकट का सामना न करना पड़े. इसी कड़ी में सुकमा जिले में मनरेगा के माध्यम से मई माह में 6 लाख 66 हजार मानव दिवस के रोजगार का लक्ष्य रखा गया था. हालांकि लक्ष्य से बढ़कर 7 लाख 36 हजार 738 मानव दिवस (एक मजदूर के एक दिन काम करने पर एक मानव दिवस सृजित होता है) का रोजगार सृजन किया जा चुका है.

जिले में लॉकडाउन के दौरान ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराने में मनरेगा बहुत अधिक सहायक सिद्ध हो रहा है. सुकमा में मनरेगा के माध्यम से तालाब, डबरी, भूमि समतलीकरण, रिचार्ज पिट, सीसी सड़क निर्माण और कुआं खनन पर विशेष जोर दिया जा रहा है. प्रशासन के मई माह में निर्धारित लक्ष्य के मुकाबले 110 प्रतिशत लक्ष्य की प्राप्ति कर 7 लाख 36 हजार 738 मानव दिवस का रोजगार दिया जा चुका है.

Employment under MNREGA in Sukma
सुकमा में मनरेगा के तहत रोजगार

मनरेगा के तहत बलौदाबाजार के 126 ग्राम पंचायतों में 13 करोड़ से ज्यादा के काम को मिली मंजूरी

इन विकासखंडों में इतना बढ़ाया गया लक्ष्य

  • सुकमा विकासखंड में 2 लाख 3 हजार 396 मानव दिवस के लक्ष्य के मुकाबले 1 लाख 54 हजार 981 मानव दिवस का सृजन किया गया.
  • छिन्दगढ़ विकासखंड में 2 लाख 76 हजार 751 दिवस के लक्ष्य के मुकाबले 3 लाख 34 हजार 122 मानव दिवस का सृजन किया गया.
  • कोंटा विकासखंड में 1 लाख 86 हजार 724 मानव दिवस के मुकाबले 02 लाख 47 हजार 635 मानव दिवस का रोजगार प्रदान किया गया.

दंतेवाड़ा में मनरेगा के तहत 3.38 करोड़ की लागत से 73 नए निर्माण कार्यों को मिली मंजूरी

लॉकडाउन में मनरेगा बना जरूरी रोजगार का साधन

कोरोना काल में मनरेगा ही ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराने का साधन है. इससे इस कठिन समय में काफी सहायता भी मिल रही है. सुकमा में कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए मजदूर मनरेगा के तहत काम कर रहे हैं.

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