सुकमा: कुपोषण का कलंक का दर्जा मिलने के बाद भी यहां के जिम्मेदारों पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ रहा है. आंगनबाड़ी केंद्रों में जिन्हें पूरक पोषण आहार देने और कुपोषण मुक्त जिला बनाने की जिम्मेदारी दी गई है, हालात देख लगता है कि उन्हें खुद इसकी ज्यादा जरुरत है. जिले के ज्यादातर आंगनबाड़ी केंद्र जर्जर हालत में है. जहां बच्चे कुपोषण से नहीं हर रोज मौत से लड़ने जाता है.
जिम्मेदार कुपोषण दर बढ़ने का कारण इलाके की संवेदनशीलता और नक्सल समस्या को बताते हैं. उनका कहना है कि अंदरूनी इलाके में सरकार की पहुंच नहीं होने से वहां के बच्चों में कुपोषण बढ़ा है.
किचन शेड में लग रहा केंद्र
कोंटा विकासखंड के मनीकोंटा गांव में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र राष्ट्रीय राजमार्ग 30 से महज 3 किलोमीटर दूर है. यहां 2016 में आंगनबाड़ी केंद्र भवन बनवाया गया था. भवन बनाने के दौरान अनियमितता बरतने के भी आरोप लगे थे. पंचायत के जिम्मेदार प्रतिनिधियों पर लापरवाही का आरोप लगा था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. लिहाजा भवन महज ढाई साल में ही जर्जर हो गया है. भवन जर्जर होने के कारण बच्चे अब किचन शेड में बैठते हैं.
जवाब देने से बच रहे जिम्मेदार
ETV भारत ने जब आंगनबाड़ी केंद्रों में अव्यवस्था की वजह जानने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी अतुल परिहार बात की तो उन्होंने कैमरे पर बोलने से इंकार कर दिया और किसी आदेश का हवाला देते हुए कहा कि, 'कोई भी जानकारी कैमरे पर नहीं दे सकते हैं'.
हालांकि परिहार ने बताया कि जिले में कुपोषण को जड़ से खत्म करने और लोगों में कुपोषण के प्रति जागरूकता लाने के लिए जिला प्रशासन की ओर से अभियान चलाया जा रहा है. पोषण अभियान के तहत 'संवारता सुकमा' 'सही पोषण सुकमा' और 'रोशन रथ' योजना चलाई जा रही है.
कागजों पर हो रही कुपोषण से लड़ाई
- आंकड़ों पर गौर करें तो ज्यादातर आंगनबाड़ी केंद्रों के पास खुद का भवन तक नहीं है. जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों की कुल संख्या 1020 है.
- 503 आगंनबाड़ी केंद्रों के पास ही खुद का भवन है.
- इनमें भी 122 भवन बहुत ही जर्जर हालत में बताये जाते हैं.
- 517 आगंनबाड़ी केंद्र किराये के भवन में संचालित हो रहा है.
लिहाजा ये आंगनबाड़ी केंद्र जो खुद कुपोषण के शिकार हैं वे सूबे में कुपोषण के हालातों से कैसे लड़ेंगे. जहां सरकार अंडा और चना बांट कर कुपोषण से लड़ने की तैयारी कर रही है, वहीं दूसरी ओर इन आंगनबाड़ी केंद्रों के हालात राज्य को पीछे ढकेल रहे हैं.