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ये आंगनबाड़ी खुद हैं कुपोषित, बच्चे कैसे होंगे पोषित

सुकमा में आंगनबाड़ी केंद्रों की कुल संख्या 1020 है, लेकिन 503 आगंनबाड़ी केंद्रों के पास ही खुद का भवन है. इनमें भी 122 भवन बहुत ही जर्जर हालत में बताये जाते हैं. 517 आगंनबाड़ी केंद्र किराये के भवन में संचालित हो रहा है.

सुकमा में आंगनबाड़ी केंद्रों की खस्ता हालात
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Published : Sep 28, 2019, 1:36 PM IST

Updated : Sep 28, 2019, 1:58 PM IST

सुकमा: कुपोषण का कलंक का दर्जा मिलने के बाद भी यहां के जिम्मेदारों पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ रहा है. आंगनबाड़ी केंद्रों में जिन्हें पूरक पोषण आहार देने और कुपोषण मुक्त जिला बनाने की जिम्मेदारी दी गई है, हालात देख लगता है कि उन्हें खुद इसकी ज्यादा जरुरत है. जिले के ज्यादातर आंगनबाड़ी केंद्र जर्जर हालत में है. जहां बच्चे कुपोषण से नहीं हर रोज मौत से लड़ने जाता है.

सुकमा में आंगनबाड़ी केंद्रों की खस्ता हालात

जिम्मेदार कुपोषण दर बढ़ने का कारण इलाके की संवेदनशीलता और नक्सल समस्या को बताते हैं. उनका कहना है कि अंदरूनी इलाके में सरकार की पहुंच नहीं होने से वहां के बच्चों में कुपोषण बढ़ा है.

किचन शेड में लग रहा केंद्र
कोंटा विकासखंड के मनीकोंटा गांव में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र राष्ट्रीय राजमार्ग 30 से महज 3 किलोमीटर दूर है. यहां 2016 में आंगनबाड़ी केंद्र भवन बनवाया गया था. भवन बनाने के दौरान अनियमितता बरतने के भी आरोप लगे थे. पंचायत के जिम्मेदार प्रतिनिधियों पर लापरवाही का आरोप लगा था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. लिहाजा भवन महज ढाई साल में ही जर्जर हो गया है. भवन जर्जर होने के कारण बच्चे अब किचन शेड में बैठते हैं.

जवाब देने से बच रहे जिम्मेदार
ETV भारत ने जब आंगनबाड़ी केंद्रों में अव्यवस्था की वजह जानने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी अतुल परिहार बात की तो उन्होंने कैमरे पर बोलने से इंकार कर दिया और किसी आदेश का हवाला देते हुए कहा कि, 'कोई भी जानकारी कैमरे पर नहीं दे सकते हैं'.

हालांकि परिहार ने बताया कि जिले में कुपोषण को जड़ से खत्म करने और लोगों में कुपोषण के प्रति जागरूकता लाने के लिए जिला प्रशासन की ओर से अभियान चलाया जा रहा है. पोषण अभियान के तहत 'संवारता सुकमा' 'सही पोषण सुकमा' और 'रोशन रथ' योजना चलाई जा रही है.

कागजों पर हो रही कुपोषण से लड़ाई

  • आंकड़ों पर गौर करें तो ज्यादातर आंगनबाड़ी केंद्रों के पास खुद का भवन तक नहीं है. जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों की कुल संख्या 1020 है.
  • 503 आगंनबाड़ी केंद्रों के पास ही खुद का भवन है.
  • इनमें भी 122 भवन बहुत ही जर्जर हालत में बताये जाते हैं.
  • 517 आगंनबाड़ी केंद्र किराये के भवन में संचालित हो रहा है.

लिहाजा ये आंगनबाड़ी केंद्र जो खुद कुपोषण के शिकार हैं वे सूबे में कुपोषण के हालातों से कैसे लड़ेंगे. जहां सरकार अंडा और चना बांट कर कुपोषण से लड़ने की तैयारी कर रही है, वहीं दूसरी ओर इन आंगनबाड़ी केंद्रों के हालात राज्य को पीछे ढकेल रहे हैं.

सुकमा: कुपोषण का कलंक का दर्जा मिलने के बाद भी यहां के जिम्मेदारों पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ रहा है. आंगनबाड़ी केंद्रों में जिन्हें पूरक पोषण आहार देने और कुपोषण मुक्त जिला बनाने की जिम्मेदारी दी गई है, हालात देख लगता है कि उन्हें खुद इसकी ज्यादा जरुरत है. जिले के ज्यादातर आंगनबाड़ी केंद्र जर्जर हालत में है. जहां बच्चे कुपोषण से नहीं हर रोज मौत से लड़ने जाता है.

सुकमा में आंगनबाड़ी केंद्रों की खस्ता हालात

जिम्मेदार कुपोषण दर बढ़ने का कारण इलाके की संवेदनशीलता और नक्सल समस्या को बताते हैं. उनका कहना है कि अंदरूनी इलाके में सरकार की पहुंच नहीं होने से वहां के बच्चों में कुपोषण बढ़ा है.

किचन शेड में लग रहा केंद्र
कोंटा विकासखंड के मनीकोंटा गांव में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र राष्ट्रीय राजमार्ग 30 से महज 3 किलोमीटर दूर है. यहां 2016 में आंगनबाड़ी केंद्र भवन बनवाया गया था. भवन बनाने के दौरान अनियमितता बरतने के भी आरोप लगे थे. पंचायत के जिम्मेदार प्रतिनिधियों पर लापरवाही का आरोप लगा था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. लिहाजा भवन महज ढाई साल में ही जर्जर हो गया है. भवन जर्जर होने के कारण बच्चे अब किचन शेड में बैठते हैं.

जवाब देने से बच रहे जिम्मेदार
ETV भारत ने जब आंगनबाड़ी केंद्रों में अव्यवस्था की वजह जानने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी अतुल परिहार बात की तो उन्होंने कैमरे पर बोलने से इंकार कर दिया और किसी आदेश का हवाला देते हुए कहा कि, 'कोई भी जानकारी कैमरे पर नहीं दे सकते हैं'.

हालांकि परिहार ने बताया कि जिले में कुपोषण को जड़ से खत्म करने और लोगों में कुपोषण के प्रति जागरूकता लाने के लिए जिला प्रशासन की ओर से अभियान चलाया जा रहा है. पोषण अभियान के तहत 'संवारता सुकमा' 'सही पोषण सुकमा' और 'रोशन रथ' योजना चलाई जा रही है.

कागजों पर हो रही कुपोषण से लड़ाई

  • आंकड़ों पर गौर करें तो ज्यादातर आंगनबाड़ी केंद्रों के पास खुद का भवन तक नहीं है. जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों की कुल संख्या 1020 है.
  • 503 आगंनबाड़ी केंद्रों के पास ही खुद का भवन है.
  • इनमें भी 122 भवन बहुत ही जर्जर हालत में बताये जाते हैं.
  • 517 आगंनबाड़ी केंद्र किराये के भवन में संचालित हो रहा है.

लिहाजा ये आंगनबाड़ी केंद्र जो खुद कुपोषण के शिकार हैं वे सूबे में कुपोषण के हालातों से कैसे लड़ेंगे. जहां सरकार अंडा और चना बांट कर कुपोषण से लड़ने की तैयारी कर रही है, वहीं दूसरी ओर इन आंगनबाड़ी केंद्रों के हालात राज्य को पीछे ढकेल रहे हैं.

Intro:आंगनबाड़ी केंद्रों को खुद पोषण की दरकार... 1020 आंगनबाड़ी केंद्रों में 517 के पास खुद का भवन नहीं... जहां है वहां बच्चों को बैठाना खतरे से खाली नहीं...

सुकमा. जिले के माथे पर कुपोषण का कलंक लगने के बाद भी जिम्मेदार अफसरों की कार्यशैली सुधरने का नाम नहीं ले रही है. नौनिहालों को पूरक पोषण आहार उपलब्ध कराकर कुपोषण दूर करने का जिम्मा संभाल रहे आंगनबाड़ी केंद्रों को खुद पोषण की दरकार है. अधिकांश केंद्र जर्जर अवस्था में है, जहां बच्चों को बैठाना मतलब किसी अनहोनी घटना को दावत देना जैसा है. बावजूद इसके अफसर धरातल पर उतरने के बजाय कागजों में कुपोषण दूर कर रहे हैं.

जिले में कुपोषण दर बढ़ने का कारण क्षेत्र के संवेदनशीलता और नक्सल समस्या को माना जा रहा है. जिले के अंदरूनी इलाकों में सरकार की पहुंच नहीं है. ऐसे में उन इलाकों में आंगनबाड़ी केंद्र का होना थोड़ा मुश्किल है. मान लेते हैं कि क्षेत्र के हालातों और विषम परिस्थितियों के चलते इन इलाकों में कुपोषण दूर करना कठिन है. लेकिन राष्ट्रीय राजमार्ग से लगे केंद्रों तक भी विभागीय जिम्मेदार नहीं पहुंच पा रहे हैं. इसका उदाहरण मनीकोंटा आंगनबाड़ी केंद्र में देखने को मिला.


Body: मनीकोंटा आगनबाडी केंद्र में 32 बच्चे... किचन शेड में लग रहा केंद्र...
कोंटा विकासखंड के मनीकोंटा गांव में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र राष्ट्रीय राजमार्ग 30 से महेश 3 किलोमीटर दूर है. यहां 2016 में आंगनबाड़ी केंद्र का निर्माण कराया गया. निर्माण के दौरान बरती गई अनियमितता और पंचायत के जिम्मेदारों की उदासीनता के कारण भवन महज ढाई साल में ही जर्जर हो गया. भवन की जर्जर अवस्था और अनहोनी का अंदेशा को देखते हुए केंद्र किचन शेड में लगाया जा रहा है. मनीकोंटा आंगनबाड़ी केंद्र में 0 से लेकर 6 वर्ष तक 32 बच्चे पढ़ रहे हैं. 8 बाय 8 के छोटे किचन शेड में बच्चों को बैठाया जा रहा है. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मड़कम रामे ने बताया कि भवन जर्जर हो गया है. बच्चों की मौजूदगी में कई बार छत से प्लास्टर टूट के गिर चुका है. हालांकि किसी तरह की हानि नहीं हुई, तब से आंगनबाड़ी केंद्र किचन शेड में संचालित किया जा रहा है.

कैमरे पर बोलने से कतराते दिखे जिम्मेदार अफसर...
आंगनबाड़ी केंद्रों में अव्यवस्थाओं के सवालों पर महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला अधिकारी अतुल परिहार कैमरे पर बोलने से इंकार कर दिया. उन्होंने किसी आदेश का हवाला देते हुए कहा कि कोई भी जानकारी कैमरे नहीं दे सकते. उन्होंने बताया कि कुपोषण को जड़ से खत्म करने और लोगों में कुपोषण के प्रति जागरूकता के लिए जिला प्रशासन द्वारा अभियान चलाया जा रहा है. इसको पोषण अभियान के तहत 'संवारता सुकमा' सही पोषण सुकमा रोशन रथ को कलेक्टर द्वारा हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया है. जो गांव क्षेत्र के बच्चों में कुपोषण दूर करने के लिए स्थानीय समुदाय के बीच जाकर क्षेत्र में जड़ से कुपोषण दूर करने के लिए व्यापक जन जागृति लाने का काम करेगा.



Conclusion:आंकड़ों में देखें कैसे कुपोषण से लड़ रहा विभाग....
जिले में कुल आंगनबाड़ी केंद्र 1020 हैं 503 केंद्र के पास ही खुद का भवन है. इनमें 122 भवन अत्यंत जर्जर अवस्था में पहुंच गए हैं जिन्हें मरम्मत की दरकार है. शेष 517 केंद्र उधार के भवनों में संचालित किए जा रहे हैं. विभागीय आंकड़ों के अनुसार आधे से ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्रों के पास खुद का भाव नहीं है और जिन भवनों में केंद्र लगाया जा रहा है वहां नौनिहालों पर खतरा मंडराता रहता है. या हाल तब है जब सुकमा जिले पर लगे कुपोषण के कलंक को मिटाने के लिए सरकार करोड़ों रुपए दे रही है.

फैक्ट फ़ाइल:

जिले में कुपोषण का अनुपात : 44%
जिले में कुल आंगनबाड़ी केंद्र : 1020
स्वयं के कुल आंगनबाड़ी केंद्र : 503
निर्माणाधीन व अधूरे भवन : 268
जर्जर केंद्र जिन्हें मरम्मत की दरकार : 122
भवनहीन आंगनबाड़ी केंद्र : 249

बाइट: मड़कम रामे(आंगनबाड़ी कार्यकर्ता)
Last Updated : Sep 28, 2019, 1:58 PM IST
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