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राहुल गांधी की सदस्यता रद्द करने की इतनी जल्दी क्यों: टीएस सिंहदेव - राहुल गांधी

छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने राहुल गांधी के मामले में लिए गए फैसले की तत्परता पर सवाल उठाया. सिंहदेव ने केंद्र की मोदी सरकार को अलोकतांत्रिक करार दिया है.

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सिंहदेव
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Published : Apr 1, 2023, 1:51 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: राहुल गांधी की संसदीय सदस्यता रद्द करने और आवास खाली कराने के मामले को लेकर पूरे देश में कांग्रेस कार्यकर्ता आक्रोशित हैं. जगह-जगह कांग्रेस केंद्र की मोदी सरकार का विरोध कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने राहुल गांधी की सदस्यता रद्द करने पर कहा कि "राहुलजी की सदस्यता रद्द करने की जल्दी क्यों थी? क्या भाजपा राहुल गांधी से डर रही है? सिंहदेव ने संसदीय सदस्यता खत्म करने के मामले में केंद्र सरकार को अलोकतांत्रिक करार दिया है.

24 घंटे में ही घर खाली करने का नोटिस: सिंहदेव ने कहा कि "भाजपा ये सब इसलिए कर रही है क्योंकि भाजपा राहुल गांधी से डरती है. इसलिए उन्हें डिस्क्वॉलिफाई करने के 24 घंटे के अंदर ही घर खाली करने का नोटिस भी जारी कर दिया. वो तो घर खाली करते ही. लेकिन इतनी जल्दी इन्हें क्यों थी. जब कोर्ट ने अपने ही फैसले को एक महीने के लिए सस्पेंड कर दिया है तो फिर लोकसभा सचिवालय को भी इतनी क्या जल्दी थी. अगले ही दिन राहुल गांधी की सदस्यता रद्द कर दी गई. प्रधानमंत्री रात में स्पीकर से मुलाकात करते है. सुबह यह सूचना आती है कि राहुल गांधी की सदस्यता समाप्त कर दी गई है."

पहली बार आया ऐसा मामला: स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा, "मेरी जानकारी में रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट के तहत यह पहला मामला है, जिसमें मानहानि के केस में सर्वाधिक दो वर्ष की सजा सुनाई गई है. इसमें भी तेजी दिखाई गई. जबकि लाखों मामले में सुनवाई सालों नहीं होती. राहुल गांधी ने 13 फरवरी 2019 को कर्नाटक में चुनावी भाषण दिया था. इस भाषण के बाद गुजरात के सूरत में बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने शिकायत दर्ज कराई. फिर 7 मार्च 2022 को शिकायतकर्ता ने अपनी ही शिकायत पर गुजरात हाईकोर्ट से रोक लगाने की मांग की और हाईकोर्ट ने रोक भी लगा दी.

लाखों मामले पेंडिंग लेकिन इसमें तत्परता: स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा, "इन सबके बीच देशभर में 4000 किमी की भारत जोड़ो पदयात्रा के बाद जब राहुल गांधी ने 7 फरवरी 2023 को लोकसभा में अडानी और पीएम मोदी के रिस्तों पर सवाल उठाए. इस मामले में भाषण दिया. उसके बाद ही 16 फरवरी को शिकायतकर्ता ने गुजरात हाईकोर्ट में रहने के अपने अनुरोध को वापस ले लिया. फिर से निचली अदालत में 27 फरवरी से सुनवाई शुरू हो गई. ट्रायल कोर्ट ने 23 मार्च को राहुल गांधी को दोषी ठहराया और अधिकतम दो वर्ष की सजा सुना दी गई. उन्होंने कहा कि देश में अनेकों मानहानि के केस पेंडिंग पड़े हुए है, लेकिन इस मामले इतनी तत्परता. तत्परता भी ऐसी कि सदन में उद्बोधन देने के बाद तत्काल केस फिर से खुल गया. सुनवाई के बाद सजा भी हो गई."

यह भी पढ़ें: सीएम पद को लेकर फिर उठी टीएस सिंहदेव के दिल में कसक, कही ये बड़ी बात

कई मामले हाईकोर्ट में हुए खारिज: स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा, " संसद में राहुल गांधी को बोलने से रोकने के लिए ऐसा किया गया है. हम कानूनी प्रक्रिया पर टिप्पणी नहीं करेंगे लेकिन देश में ऐसे लाखों उदाहरण हैं, जिसमें किसी प्रकरण को लेकर उच्च अदालत में जाते है और फैसले बदल दिए जाते है."

लोकतंत्र पर खतरा: स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा, "एक चुने हुए जनप्रतिनिधि को देश के सदन में अपनी बातों को प्रमुखता से रखने का अधिकार होता है. जनप्रतिनिधि द्वारा कही गई बातें तब तक रिकार्ड में रहेंगी, जब तक देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था कायम है. सदन में कहे गए वक्तव्यों का विलोपन उन परिस्थितियों में किया जाता है, जब वक्तव्य अलोकतांत्रिक, असंसदीय व अशोभनीय हो. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी संसद के सदन में पीएम अडानी समूह और हिंडनबर्ग के रिपोर्ट के बारे में जवाब मांगे थे. उनके सवालों में ऐसा कौन का असंसदीय वाक्य था कि राहुल गांधी के पूरे वक्तव्य को ही विलोपित कर दिया गया. देश के उच्चतम सदन में अभिव्यक्ति को बाधित किया गया."

ध्यान भटकाने का प्रयास: मंत्री सिंहदेव ने कहा "देश का नागरिक आगे बढ़े, इससे किसी को आपत्ति नहीं है. लेकिन हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, अडानी समूह ने शेल कंपनी के माध्यम से पैसों को इन्वेस्ट किया है. इसमें नियमों का उल्लंघन हुआ है. जेपीसी के माध्यम से जांच की मांग की गई. अडानी और पीएम मोदी का नाम उनके प्रधानमंत्री बनने से पहले से जुड़ा हैं. वे पूर्व में अमूमन अडानी के प्लेन में सफर करते नजर आते थे. पीएम से अडानी के संबंधों के कारण नाजायज लाभ पर सवाल उठाया गया. इसके बाद अब भाजपा इन मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए झूठे आरोप लगा रही है."

सरगुजा: राहुल गांधी की संसदीय सदस्यता रद्द करने और आवास खाली कराने के मामले को लेकर पूरे देश में कांग्रेस कार्यकर्ता आक्रोशित हैं. जगह-जगह कांग्रेस केंद्र की मोदी सरकार का विरोध कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने राहुल गांधी की सदस्यता रद्द करने पर कहा कि "राहुलजी की सदस्यता रद्द करने की जल्दी क्यों थी? क्या भाजपा राहुल गांधी से डर रही है? सिंहदेव ने संसदीय सदस्यता खत्म करने के मामले में केंद्र सरकार को अलोकतांत्रिक करार दिया है.

24 घंटे में ही घर खाली करने का नोटिस: सिंहदेव ने कहा कि "भाजपा ये सब इसलिए कर रही है क्योंकि भाजपा राहुल गांधी से डरती है. इसलिए उन्हें डिस्क्वॉलिफाई करने के 24 घंटे के अंदर ही घर खाली करने का नोटिस भी जारी कर दिया. वो तो घर खाली करते ही. लेकिन इतनी जल्दी इन्हें क्यों थी. जब कोर्ट ने अपने ही फैसले को एक महीने के लिए सस्पेंड कर दिया है तो फिर लोकसभा सचिवालय को भी इतनी क्या जल्दी थी. अगले ही दिन राहुल गांधी की सदस्यता रद्द कर दी गई. प्रधानमंत्री रात में स्पीकर से मुलाकात करते है. सुबह यह सूचना आती है कि राहुल गांधी की सदस्यता समाप्त कर दी गई है."

पहली बार आया ऐसा मामला: स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा, "मेरी जानकारी में रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट के तहत यह पहला मामला है, जिसमें मानहानि के केस में सर्वाधिक दो वर्ष की सजा सुनाई गई है. इसमें भी तेजी दिखाई गई. जबकि लाखों मामले में सुनवाई सालों नहीं होती. राहुल गांधी ने 13 फरवरी 2019 को कर्नाटक में चुनावी भाषण दिया था. इस भाषण के बाद गुजरात के सूरत में बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने शिकायत दर्ज कराई. फिर 7 मार्च 2022 को शिकायतकर्ता ने अपनी ही शिकायत पर गुजरात हाईकोर्ट से रोक लगाने की मांग की और हाईकोर्ट ने रोक भी लगा दी.

लाखों मामले पेंडिंग लेकिन इसमें तत्परता: स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा, "इन सबके बीच देशभर में 4000 किमी की भारत जोड़ो पदयात्रा के बाद जब राहुल गांधी ने 7 फरवरी 2023 को लोकसभा में अडानी और पीएम मोदी के रिस्तों पर सवाल उठाए. इस मामले में भाषण दिया. उसके बाद ही 16 फरवरी को शिकायतकर्ता ने गुजरात हाईकोर्ट में रहने के अपने अनुरोध को वापस ले लिया. फिर से निचली अदालत में 27 फरवरी से सुनवाई शुरू हो गई. ट्रायल कोर्ट ने 23 मार्च को राहुल गांधी को दोषी ठहराया और अधिकतम दो वर्ष की सजा सुना दी गई. उन्होंने कहा कि देश में अनेकों मानहानि के केस पेंडिंग पड़े हुए है, लेकिन इस मामले इतनी तत्परता. तत्परता भी ऐसी कि सदन में उद्बोधन देने के बाद तत्काल केस फिर से खुल गया. सुनवाई के बाद सजा भी हो गई."

यह भी पढ़ें: सीएम पद को लेकर फिर उठी टीएस सिंहदेव के दिल में कसक, कही ये बड़ी बात

कई मामले हाईकोर्ट में हुए खारिज: स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा, " संसद में राहुल गांधी को बोलने से रोकने के लिए ऐसा किया गया है. हम कानूनी प्रक्रिया पर टिप्पणी नहीं करेंगे लेकिन देश में ऐसे लाखों उदाहरण हैं, जिसमें किसी प्रकरण को लेकर उच्च अदालत में जाते है और फैसले बदल दिए जाते है."

लोकतंत्र पर खतरा: स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा, "एक चुने हुए जनप्रतिनिधि को देश के सदन में अपनी बातों को प्रमुखता से रखने का अधिकार होता है. जनप्रतिनिधि द्वारा कही गई बातें तब तक रिकार्ड में रहेंगी, जब तक देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था कायम है. सदन में कहे गए वक्तव्यों का विलोपन उन परिस्थितियों में किया जाता है, जब वक्तव्य अलोकतांत्रिक, असंसदीय व अशोभनीय हो. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी संसद के सदन में पीएम अडानी समूह और हिंडनबर्ग के रिपोर्ट के बारे में जवाब मांगे थे. उनके सवालों में ऐसा कौन का असंसदीय वाक्य था कि राहुल गांधी के पूरे वक्तव्य को ही विलोपित कर दिया गया. देश के उच्चतम सदन में अभिव्यक्ति को बाधित किया गया."

ध्यान भटकाने का प्रयास: मंत्री सिंहदेव ने कहा "देश का नागरिक आगे बढ़े, इससे किसी को आपत्ति नहीं है. लेकिन हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, अडानी समूह ने शेल कंपनी के माध्यम से पैसों को इन्वेस्ट किया है. इसमें नियमों का उल्लंघन हुआ है. जेपीसी के माध्यम से जांच की मांग की गई. अडानी और पीएम मोदी का नाम उनके प्रधानमंत्री बनने से पहले से जुड़ा हैं. वे पूर्व में अमूमन अडानी के प्लेन में सफर करते नजर आते थे. पीएम से अडानी के संबंधों के कारण नाजायज लाभ पर सवाल उठाया गया. इसके बाद अब भाजपा इन मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए झूठे आरोप लगा रही है."

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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