अम्बिकापुर: सरकार शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता लाने का हरसंभव प्रयास कर रही है, लेकिन स्कूलों के जर्जर भवनों की मरम्मत नहीं कराया जा रहा है. ऐसा ही एक मामला सरगुजा जिले के लुंड्रा विकासखंड के शासकीय प्राथमिक स्कूल भवन भिलाईकला का है, जो पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. यहां किसी भी वक्त कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है. कई बार शिकायत करने के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी चुप हैं.
किसी भी समय छत के गिरने की आशंका
प्राथमिक स्कूल भिलाईकला के शिक्षक पलटनराम ने बताया कि, 'ये स्कूल बहुत पुराना है और अब इस भवन का छत धंस चुका है, जिसके किसी भी समय टूटने की आशंका है. इस वजह से बच्चों को पहली से पांचवीं तक दूसरे कमरे में पढ़ाई कराई जा रही है.'
बच्चों को लेकर बना रहता है डर
शिक्षक ने कहा कि, 'कई साल से इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से की गई, लेकिन कोई भी इस परेशानी पर ध्यान नहीं दे रहा है. यहां हमेशा ये डर सताता रहता है कि छोटे-छोटे बच्चे खेलते हुए इस जर्जर कमरे में न चले जाए और कहीं कोई घटना न हो जाए.'
पढ़ें- अपनी जमीन को वापस पाने कई सालों से विभागों के चक्कर काट रहा बुजुर्ग
'जर्जर बिल्डिंग में न कराएं पढ़ाई'
जिला शिक्षा अधिकारी मनोज कुमार सिंह ने बताया कि, 'सिर्फ धौरपुर का भिलाईकला स्कूल ही नहीं, बल्कि पूरे जिले के जर्जर भवनों की सूची मैंने तैयार कर ली है. इसके लिए जिला पंचायत ने एक करोड़ 53 लाख रुपए जारी कर दिया है. सभी स्कूलों को निर्देश दिया गया है कि इस तरह के जर्जर बिल्डिंग में पढ़ाई न कराएं.