सरगुजा :
सरगुजा सेक्स सॉर्टेड सीमेन तकनीक (sex sorted seamen technique) से कृत्रिम गर्भाधान के क्षेत्र में नवाचार करने वाला छत्तीसगढ़ का पहला जिला बन गया है. जुलाई 2020 में शुरू इस नवाचार के सकारात्मक परिणामस्वरूप अगस्त माह में दो गायों का कृत्रिम गर्भाधान (artificial insemination) कराया गया था. इसके बाद इन दोनों गायों ने बछिया को जन्म दिया है. यहां बता दें कि कलेक्टर संजीव कुमार झा के सफल मार्गदर्शन में पशुचिकित्सा विभाग ने अमेरिकन तकनीक सेक्स सॉर्टेड सीमेन के द्वारा कृत्रिम गर्भाधान से नस्ल सुधार कार्यक्रम की शुरुआत पिछले वर्ष जुलाई माह में शुरू की थी.
जिला प्रशासन ने स्वीकृत किये 3 लाख रुपये
जिले के 7 विकासखंडों के विभिन्न ग्रामों के 200 गायों का इस तकनीक से कृत्रिम गर्भाधान कराया गया है. इस नवाचार के लिए जिला प्रशासन की ओर से पशु रोगी कल्याण समिति के माध्यम से 3 लाख रुपये पशु चिकित्सा विभाग को स्वीकृत किये गये हैं. यह एक अमेरिकी तकनीक है, जिसका पेटेंट अमेरिका की एसटी जेनेटिक्स के पास है. यह पूरी दुनिया को सेक्स सॉर्टेड सीमेन उपलब्ध कराती है. सरगुजा जिले में सेक्स सॉर्टेड सीमेन को लाइवस्टोक डेवलपमेंट बोर्ड उत्तराखंड से मंगाया गया है.
75 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध करा रहे तकनीक
कलेक्टर ने इस तकनीक के बेहतर परिणाम को देखते हुए इसे और विस्तारित करने के लिए पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारियों को इसे सौंपा है. कृत्रिम गर्भाधान के केंद्र प्रभारी डॉ सीके मिश्रा ने बताया कि पशु चिकित्सा विभाग की ओर से सूबे के सरगुजा जिले में सबसे पहले इस प्रकार के सीमेन के उपयोग किये गये हैं, जिसके अब सुखद परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं. इधर, इस कृत्रिम गर्भाधान से अब अगस्त माह में अंबिकापुर के गोधनपुर के पशुपालक और उदयपुर विकासखंड के केसगवा ग्राम के पशुपालक की गायों ने भी बछियों को जन्म दिया है. यह तकनीक सरगुजा के पशुपालकों के लिए 75 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध कराया गया है, ताकि पशुपालकों में इस तकनीक को लेकर जागरूकता बढ़ सके.
इस तकनीक से नस्ल सुधार और दुग्ध उत्पादन को मिलेगी नई दिशा
सेक्स सॉर्टेड सीमेन तकनीक में सीमेन से वॉय क्रोमोसोम को अलग कर दिया जाता है, जिससे 90 से 95 प्रतिशत तक बछिया के जन्म होने की ही संभावना होती है. सरगुजा जिले में इस तकनीक के विस्तारित होने से दुधारू पशुओं की नस्ल सुधार और दुग्ध उत्पान को नई दिशा मिलने की उम्मीद है. उन्नत नस्ल की बछिया होने पर पशुपालक भी दुग्ध उत्पादन में रुचि लेंगे.