सरगुजा: स्वास्थ्य विभाग ने संस्थागत प्रसव कराने और प्रसव के लिए संचालित जननी सुरक्षा योजना का लाभ गर्भवती महिलाओं को दिया है. कोरोना संक्रमण के दौर में जब पूरा स्वास्थ्य विभाग कोरोना की स्पेशल ड्यूटी में दिन रात लगा हुआ है. ऐसे समय में भी संस्थागत प्रसव के आंकड़ों में कोई कमी नहीं आई है. इस दौरान न सिर्फ संस्थागत प्रसव हुए बल्कि जननी सुरक्षा योजना और जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम का लाभ भी महिलाओं और नवजात शिशुओं को मिलता रहा.
सरगुजा में कोरोना काल में अप्रैल से जुलाई 2020 तक 5 हजार 878 गर्भवती माताओं को जननी सुरक्षा योजना का लाभ दिया जा चुका है. साथ ही 2 हजार 519 नवजात शिशु और 6 हजार 48 महिलाओं को जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के लाभ स्वास्थ्य विभाग के प्रयास से मिले हैं.
पढ़ें: रतनपुर नगर पालिका परिषद ने कोरोना योद्धाओं को प्रशस्ति पत्र देकर किया सम्मानित
इस साल हुआ बेहतर काम
खास बात यह भी है कि कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग ने बीते साल की तुलना में इस साल ज्यादा बेहतर कार्य किया. ETV भारत ने जननी सुरक्षा योजना का कितना लाभ गर्भवती महिलाओं को मिला, इसकी पड़ताल करते हुए साल 2019 और 2020 के अप्रैल से जुलाई महीनों के आंकड़ों को खंगाला है. इन आंकड़ों को देखने पर पता चलाता है कि साल 2019 में 4 महीनों में स्वास्थ्य विभाग ने कुल प्रसव की तुलना में 77 प्रतिशत संस्थागत प्रसव कराए गए हैं. जबकी साल 2020 में कोरोना संक्रमण के दौर में 4 महीने में स्वास्थ्य विभाग ने 81% गर्भवती माताओं का संस्थागत प्रसव कराया है. उन्हें जननी सुरक्षा योजना का लाभ भी मिला है.
पढ़ें: SPECIAL: ट्रेन नहीं चलने का साइड इफेक्ट, होटल-रेस्टोरेंट पर लगा ताला, कई घरों के बुझे चूल्हे
क्या है जननी सुरक्षा योजना
जननी सुरक्षा योजना राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत एक सुरक्षित मातृत्व कार्यक्रम है. योजना के तहत गर्भवती महिला के प्रसव के बाद अगर उसका प्रसव किसी शासकीय चिकित्सालय में होता है, तो उसे ग्रामीण क्षेत्र में 1400 रुपये और शहरी क्षेत्र में 1000 रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाती है. इसका उद्देश्य गरीब गर्भवती महिलाओं के संस्थागत एवं सुरक्षित प्रसव को बढ़ावा देना है. इस योजना में राशि सीधे हितग्राही के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर की जाती है. इसके अलावा प्रसव के बाद प्रसूता और नवजात शिशु के इलाज, जांच और टिकाकरण की जिम्मेदारी एक साल तक स्वास्थ्य विभाग उठाता है. जिसका लाभ जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत दिया जाता है.
जिला कार्यक्रम अधिकारी बताते हैं कि प्रसव के दौरान एक साल तक इन्हें घर से लाने और वापस छोड़ने की व्यवस्था भी स्वास्थ्य विभाग ही करता है. संस्थागत प्रसव में नॉर्मल डिलिवरी होने पर 3 दिन और ऑपरेशन से प्रसव होने पर 7 दिन तक प्रसूता और नवजात शिशु को अस्पताल में रखा जाता है. इस दौरान उनके इलाज और खाने पीने का पूरा खर्च भी जननी सुरक्षा योजना के तहत स्वास्थ्य विभाग उपलब्ध कराता है.
पढ़ें: कोरबा: वनांचल में रहने वाली निर्मला को मिलेगा अंतर्राष्ट्रीय विमेंस वर्ल्ड समिट अवॉर्ड
स्वास्थ्यकर्मियों ने पेश किए उदाहरण
बहरहाल सरगुजा में संस्थागत प्रसव के मामले में स्वास्थ्य विभाग ने बेहतर काम किए हैं. इससे पहले भी सरगुजा स्वास्थ्य विभाग ने कई ऐसे उदाहरण पेश किए हैं. स्वास्थ्य विभाग की गंभीरता प्रसव के मामले में दिखती है. परसोढी गांव की एएनएम रजनी कुशवाहा हो या फिर पहाड़ चढ़कर प्रसूताओं की देखभाल करने वाली सूर गांव की मगदली तिर्की. स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की बदौलत विभाग जननी सुरक्षा योजना का लाभ पहुंचाने से सफल साबित हुआ है. ETV भारत भी लगातार क्षेत्र में गर्भवती महिलाओं के लिए काम कर रहे स्वास्थ्य कार्मियों को सलाम करता है.