सरगुजा: शहर में जर्जर मकानों के प्रति नगर निगम प्रशासन उदासीन रवैया अपनाया हुआ है. इसके चलते इन मकानों में रह रहे लोगों के लिए कभी भी खतरा उत्पन्न हो सकता है. हाल ही में जिस तरह से बारिश हुई है, उससे खतरा और बढ़ता जा रहा है.
बरसात में खंडहर हो चुके भवनों के न सिर्फ गिरने की संभावना बढ़ जाती है, बल्कि अगर कोई भवन अचानक से ढह जाए तो आसपास मौजूद लोगों की जान भी चली जाती है. वहीं कोविड-19 ने पूरे सरकारी महकमे को सिर्फ एक ही काम में उलझाकर रख दिया है. सभी सिर्फ दिन रात कोविड-19 की ड्यूटी पर तैनात हैं. हालांकि अब अंबिकापुर नगर निगम ने कोविड-19 के दौरान भी जर्जर इमारतों को ध्वस्त करने की योजना बनाई है. इसी के तहत शहर के गद्दीपारा स्कूल के पास के जर्जर भवन को ढाहा दिया गया है.
हर साल नगर निगम क्षेत्र में जर्जर भवनों को ढहाने का काम किया जाता है. गद्दीपारा स्कूल के पास मौजूद जर्जर भवन को भी इस साल गिरा दिया गया है. इसके अलावा नगर निगम शहर के तमाम ऐसे भवनों के बारे में जानकारी जुटा रहा है, जो जर्जर हो चुका है. नगर निगम ने जर्जर भवनों के चिन्हांकन के लिए टास्क फोर्स का गठन भी किया है, जो ऐसे भवनों का सर्वे कर उनकी लिस्टिंग करने का काम कर रही है.
लगातार नगर निगम कर रहा कार्रवाई
नगरीय निकाय अधिनियम की धारा 309 के तहत समस्त निकायों को अपने क्षेत्र में हर साल जर्जर भवनों को गिराने का अधिकार मिला है. बताते हैं, अंबिकापुर शहर पुराना है, लेकिन यहां रियासत काल के भवनों के अलावा कुछ ही ऐसे निजी भवन हैं, जो जर्जर हो सकते हैं. शहर में ज्यादातर नई इमारतें ही हैं, लेकिन फिर भी समय-समय पर चिन्हांकन कर जर्जर भवनों को गिराया जा रहा है. साल 2011 से 2020 तक शहर में कुल 18 ऐसे भवन गिराये गए हैं.