सरगुजा : छत्तीसगढ़ के सरगुजा में रहने वाले युवक ने एक कमाल का प्रयोग किया है. ग्रामीण युवक चंदन ने कबाड़ से जुगाड़ किया और बोरवेल मशीन बना डाली. लॉकडाउन में चंदन बेरोजगार हुए तो हताश नहीं हुए, बल्कि खाली समय का सदुपयोग किया और बोरवेल खोदने वाले उपकरणों का इनोवेशन किया. अब बिना किसी बोरिंग गाड़ी के वो कुछ उपकरणों से ही अकेले बोर खोद देते (Man himself made bore machine in Sarguja) हैं.
संकरी गलियों में आसानी से पहुंच: जुगाड़ से बनी इस बोरवेल मशीन की खासियत ये है कि यह कोई बड़े ट्रक के साइज की नहीं है. छोटे से छोटे स्थान पर, संकरी गली या बने हुये घर के आंगन में भी इससे आसानी से बोर खोदा जा सकता है. चंदन एक साल से यह प्रयोग कर रहे हैं. यह प्रयोग बेहद सफल है. एक वर्ष में करीब 20 बोर चंदन ने किए हैं. सभी बोर बढ़िया पानी दे रहे हैं.
बेहद सस्ता तरीका: बड़ी बात ये है कि इस तकनीक से बोर करने में खर्च भी बेहद कम आता है. चंदन 15 हजार रुपये लेते हैं और 50 से 60 फीट गहरा बोर खोद देते है. इसके साथ ही चंदन केसिंग डालने और मशीन फिट करने का चार्ज अलग से नहीं लेते. मतलब 15 हजार की खुदाई, करीब 10 हजार का सबमर्सिबल पम्प और 6 हजार की पीवीसी केसिंग करीब 30 से 31 हजार में आपके घर में एक बोरवेल पम्प सहित चालू होकर मिल जाता है.
लोग हैं संतुष्ट: जिनके घर में चंदन ने बोर किये हैं, ईटीवी भारत ने उनसे भी बात की. वो इस बोर से बेहद संतुष्ट हैं. बल्कि खेती के लिए भी इस बोर से पर्याप्त पानी उन्हें मिल रहा है. चाउर पारा के ग्रामीण बदन बताते हैं, " अर्जुन और चंदन ने उनका बोर किया है, हाथ से ही बोर किया गया. पर्याप्त पानी मिल रहा है. पैसे भी अभी नहीं दिए हैं. उधार किया है 15 हजार देना है."
4 से 5 घंटे में हो जाती है खुदाई: इस तकनीक को बनाने वाले चंदन बताते हैं, "पिछले लॉकडाउन जब घर में थे, तब गन्ना पेरने वाली मशीन से गोल-गोल घुमाकर खोद कर देख रहे थे. कुछ सामान बनाये खोदने के लिये. इसके बाद मैं कुछ इलेक्ट्रिक सिस्टम किया. कुछ कबाड़ से जुगाड़ किया और फिर तब से खोद रहा हूं. इसमें 4 से 5 घण्टा लगता है. कभी-कभी अधिक टाइम भी लगता है. कहीं-कहीं भोस्की चट्टान मिल जाता है, तो 2-3 दिन भी लग जाता है. लेकिन हो जाता है. 15 हजार रुपए फिलहाल लेते हैं. केसिंग और सबमर्सिबल पम्प आपको देना है. बस बाकी बोर खोदना और केसिंग डालकर पम्प लगाकर चालू करके देते हैं."
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बड़ी गाड़ी से बेहतर परिणाम: चंदन बताते हैं, "20-21 बोर खोदे हैं. 1 साल में कमाने के लिए. कमाया भी. रोजी रोटी के लिए. लेकिन अभी नया-नया था तो उसमें कुछ खर्चा भी हुआ. लेकिन ये है कि हम संतुष्ट हैं. अपना रोजगार चल रहा है. लोगों के लिए अच्छा है. जैसे गाड़ी में खोदते हैं. कहीं-कहीं ऐसा भी होता है कि एक बूंद पानी नहीं होता है. लाख-डेढ़ लाख रुपए लेकर चले जाते हैं. लेकिन हम लोग का पानी होगा ही होगा. उनके घर के उपयोग के लिए पानी निकलेगा ही. कहीं-कहीं एक डेढ़ इंची पानी निकलता है तो एक इंची के पम्प से लगातार 24 घंटे चलता है."