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bore basi divas 2023: छत्तीसगढ़िया गाने के साथ बोरे बासी खाने का लीजिए मजा

छत्तीसगढ़ सरकार ने मजदूरों की सबसे पसंदीदा बोरे बासी को ब्रांड के रूप में विकसित कर दिया है. सोशल मीडिया पर बोरे बासी की तस्वीरें वायरल हो रही हैं. आज हर कोई बोरे बासी को लेकर चर्चा कर रहा है.

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Published : Apr 29, 2023, 9:26 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

Haman Khathan Ga Bore Baasi song
हमन खाथन गा बोरे बासी
हमन खाथन गा बोरे बासी

सरगुजा: श्रमिक दिवस पर छत्तीसगढ़ सरकार ने श्रमिकों के प्रिय भोजन बोरे बासी को एक ब्रांड बना दिया है. इस दिन हर तरफ लोग बोर बासी खाते देखे जाते हैं. नेता अभिनेता, अधिकारी सब बोरे बासी खाते देखे जाते हैं. श्रमिकों को समानता का और संबल देने के उद्देश्य से सरकार ने यह प्रयास शुरू किया था. जो अब लोगों को काफी पसंद आ रहा है.



कैसे बनता है बोरे बासी: सामान्य रूप से घर में बनने वाला पका हुआ चावल, जिसे पानी में भिगोकर रात भर रख दिया जाता है. उसे सुबह बोरे बासी कहते हैं. इसे आम की चटनी, लकरा की चटनी, प्याज, भाजियों के साथ खाया जाता है. इस भोजन को छत्तीसगढ़ में बासी कहते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों के लोग बड़े ही चाव से इसे खाते हैं.



क्या है बोरे बासी: बोरे और बासी दो अलग अलग शब्द हैं और इसके मायने भी अलग हैं. रात में पके हुए चावल (भात) को पानी में डुबाकर रखा जाता है. जो सुबह बासी कहलाता है. इससे अलग दिन में बने गर्म भात को पानी मे भिगोकर ठंडा करके खाने को बोरे कहा जाता है. दोनों को ही कई तरह की चटनी, प्याज और सुकसी के साथ खाया जाता है.

यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ में अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस पर मनाया जाएगा बोरे बासी तिहार



सरगुजा में यह हो जाता है बोथल बासी: सरगुजा में बोरे बासी को बोथल बासी कहते हैं, काफी पुराने समय से बोरे बासी खाने का चलन छत्तीसगढ़ में रहा है. सरगुजिहा साहित्य के जानकार रंजीत सारथी बताते हैं कि "बोरे बासी खाना स्वास्थ्य के लिये भी बेहद लाभदायक है." इसलिए उन्होंने बोरे बासी की गरिमा बढ़ाने के लिये एक गीत भी लिखा है "हमन खाथन गा बोरे बासी... सरगुजिहा बोली में लिखा यह गीत बोरे बासी की गरिमा और छत्तीसगढ़ के आदमी के गौरव को प्रदर्शित करता है.

हमन खाथन गा बोरे बासी

सरगुजा: श्रमिक दिवस पर छत्तीसगढ़ सरकार ने श्रमिकों के प्रिय भोजन बोरे बासी को एक ब्रांड बना दिया है. इस दिन हर तरफ लोग बोर बासी खाते देखे जाते हैं. नेता अभिनेता, अधिकारी सब बोरे बासी खाते देखे जाते हैं. श्रमिकों को समानता का और संबल देने के उद्देश्य से सरकार ने यह प्रयास शुरू किया था. जो अब लोगों को काफी पसंद आ रहा है.



कैसे बनता है बोरे बासी: सामान्य रूप से घर में बनने वाला पका हुआ चावल, जिसे पानी में भिगोकर रात भर रख दिया जाता है. उसे सुबह बोरे बासी कहते हैं. इसे आम की चटनी, लकरा की चटनी, प्याज, भाजियों के साथ खाया जाता है. इस भोजन को छत्तीसगढ़ में बासी कहते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों के लोग बड़े ही चाव से इसे खाते हैं.



क्या है बोरे बासी: बोरे और बासी दो अलग अलग शब्द हैं और इसके मायने भी अलग हैं. रात में पके हुए चावल (भात) को पानी में डुबाकर रखा जाता है. जो सुबह बासी कहलाता है. इससे अलग दिन में बने गर्म भात को पानी मे भिगोकर ठंडा करके खाने को बोरे कहा जाता है. दोनों को ही कई तरह की चटनी, प्याज और सुकसी के साथ खाया जाता है.

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सरगुजा में यह हो जाता है बोथल बासी: सरगुजा में बोरे बासी को बोथल बासी कहते हैं, काफी पुराने समय से बोरे बासी खाने का चलन छत्तीसगढ़ में रहा है. सरगुजिहा साहित्य के जानकार रंजीत सारथी बताते हैं कि "बोरे बासी खाना स्वास्थ्य के लिये भी बेहद लाभदायक है." इसलिए उन्होंने बोरे बासी की गरिमा बढ़ाने के लिये एक गीत भी लिखा है "हमन खाथन गा बोरे बासी... सरगुजिहा बोली में लिखा यह गीत बोरे बासी की गरिमा और छत्तीसगढ़ के आदमी के गौरव को प्रदर्शित करता है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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