सरगुजाः सरगुजा (Surguja) कलेक्ट्रेट (Collectorate) के ठीक सामने स्थित विशालकाय बरगद का पेड़ (Banyan tree) आज भी काफी कुछ बयां करता है. अगर इसके इतिहास (History) पर गौर किया जाए तो ये विशालाकाय वृक्ष तत्कालीन सरगुजा महाराज और पहले कलेक्टर के बीच सत्ता (Power) हस्तांतरण का गवाह है.
यूं तो सरगुजा में ऐसी कई विरासतें हैं, लेकिन सरगुजा कलेक्ट्रेट के ठीक सामने स्थित विशालकाय बरगद का पेड़ कुछ खास है, ये पेड़ उस क्षण की निशानी है, जब सरगुजा महाराज ने अपनी सत्ता पहले कलेक्टर को सौंपी. उसी दिन सरगुजा के तत्कालीन महाराज रामानुज शरण सिंहदेव (Maharaj Ramanuj Sharan Singhdev)ने जिले के पहले कलेक्टर जे.डी. केरावाला Collector J.D. kerawala)को सत्ता सौंपी थी. सत्ता सौंपने के बाद महाराज ने कलेक्टर के साथ मिलकर कलेक्ट्रेट बिल्डिंग (collectorate building)के सामने एक बरगद का पेड़ लगाया था, जो कि आज भी कलेक्ट्रेट भवन के सामने विशालकाय स्वरूप में खड़ा है.
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1 जनवरी 1948 को बैठे कलेक्टर
सरगुजा के इतिहास में रुचि रखने वाले जानकार गोविंद शर्मा ने ईटीवी से खास बातचीत के दौरान बताया कि आज का कलेक्ट्रेट भवन रियासत काल में हाई कोर्ट और विधानसभा हुआ करता था, जिसे रघुनाथ कंबाइंड हाईकोर्ट व कचहरी कहा जाता था. हालांकि लेकिन देश की आजादी के बाद स्टेट मर्जर हुआ सभी रियासतों को भारत गणतंत्र में विलीन किया गया. जिसके तहत महाराज रामानुज शरण सिंहदेव का अंतिम कार्यकाल 31 दिसंबर 1947 तक था. 1 जनवरी 1948 को महाराज ने सरगुजा जिले के पहले कलेक्टर जे.डी.केरावाला को सत्ता सौंप दी थी. उसी दिन की याद में महाराज और कलेक्टर ने एक बरगद के पेड़ को लगाया.
महिलाएं करती हैं पूजा
वैसे तो सरगुजा कलेक्ट्रेट के सामने स्थित इस विशालकाय पेड़ की छांव में बैठते तो कई लोग है, लेकिन इसका इतिहास काफी कम लोग जानते हैं. वहीं, वट सावित्री व्रत के दिन महिलाएं इस वृक्ष की पूजा भी करती हैं. लेकिन फिर भी ज्यादातर लोग इस विशालाकाय वृक्ष के इतिहास से अनजान हैं.
नागपुर थी पहली राजधानी
बताया जाता है कि आजादी के बाद आज का छत्तीसगढ़, जो पहले मध्यप्रदेश हुआ करता था. इसके पहले भी यह राज्य किसी और नाम से जाना जाता था. आज प्रदेश की राजधानी रायपुर है. वहीं, मध्यप्रदेश के समय में भोपाल हुआ करती थी. लेकिन रियासत की राजधानी समाप्त होने के बाद सरगुज़ा की पहली राजधानी नागपुर (महाराष्ट्र) हुआ करती थी. जिस राज्य का नाम सीपी एंड बरार था. मतलब सेंट्रल प्रोवीएन्स एंड बरार नाम का राज्य बना. जिसका अस्तित्व 1956 तक ही रहा. हालांकि 1 नवम्बर 1956 को मध्यप्रदेश जिला अस्तित्व में आया, जिससे विदर्भ का क्षेत्र काटकर महाराष्ट्र में शामिल किया गया. इससे पहले भाषाई आधार पर मध्य प्रान्त की राज्य भाषा मराठी और हिंदी घोषित की गई थी.
कलेक्टर नहीं डिप्टी कमिश्नर होता था नाम
वहीं, उस समय जब पहली बार जिलों का गठन हुआ. तब जिले के कलेक्टर को डीसी कहा जाता था. जिसका मतलब डिप्टी कमिश्नर होता था. इस लिहाज से सरगुजा जिले के पहले डिप्टी कमिश्नर जे.डी. केरावाला हुये. उसके बाद लागतार इस जिले में कई अधिकारियों ने अपनी सेवाएं दी. वर्तमान में आईएएस संजीव कुमार झा सरगुज़ा कलेक्टर के रूप में विराजमान हैं.