सरगुजा : घटते जल स्तर और भीषण गर्मी का शिकार बांकी डैम भी हो चुका है. पूरा डैम सूख चुका है. इसमें सिर्फ 7 फीसदी ही पानी बचा है. पूरे अंबिकापुर शहर और आस पास के गांवों को जीवन देने वाला यह डैम गर्मियों में अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. जिसकी वजह से भीषण गर्मी में शहर के लोगों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है. यदि ये डैम पूरी तरह से सूखा तो अंबिकापुर नगर निगम में बड़ी समस्या पैदा हो जाएगी.
ईटीवी भारत ने की डैम की पड़ताल : अभी नवतपा और जून की गर्मी बाकी है. आलम ये है कि अभी से ही शहर को जीवन देने वाला बांकी डैम सूख चुका है. ऐसा पहली बार हुआ है कि बांकी डैम में जलस्तर सबसे निचले स्तर पर है. डैम के जिस जगह पर कभी खतरे के निशान तक पानी भरा होता था, उस जगह पर डैम में ग्रामीण अपना झाला बनाकर बैठे हैं. ETV भारत की टीम जब पड़ताल करने पहुंची तो टीम भी डैम के बीचों बीच गई क्योंकि पानी बचा ही नहीं था और डैम में कई जगह रास्ते बन चुके थे.
न्यूनतम स्तर पर पहुंचा जलस्तर: इस बांकी डैम से ही अंबिकापुर नगर निगम क्षेत्र में पानी की सप्लाई की जाती है. वर्तमान में अमृत मिशन के तहत घुनघुट्टा जल आवर्धन योजना के तहत कई क्षेत्रों में पानी सप्लाई हो रही है. लेकिन अभी भी शहर की 16 टंकियों में सप्लाई के लिए तकिया फिल्टर प्लांट में पानी बांकी डैम से ही दिया जाता है. वर्तमान में गर्मी का मौसम शुरू होने के साथ ही पानी सप्लाई में कमी आई है. इससे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जलस्तर में गिरावट आने के कारण डैम में पानी का स्तर 609 पर पहुंच गया है जबकि न्यूनतम स्तर 615 निर्धारित है.
''पेय जल सप्लाई बाधित ना हो इसके लिए टंकियों में बोर वेल के माध्यम से पानी भरने के विषय पर सर्वे चल रहा है. इसके अतिरिक्त घुनघुट्टा परियोजना से आने वाले पानी को इमरजेंसी में बांकी डैम से भरने वाली टंकियों से कैसे इंटरलिंक किया जा सकता है. इस पर भी विचार किया जा रहा है. बांकी डैम के कुछ हिस्से खराब हो चुके हैं. उनके मेंटेनेंस के लिए भी निगम के पीएचई विभाग ने प्रस्ताव बनाया है-'' आदित्येश्वर शरण सिंहदेव, उपाध्यक्ष जिला पंचायत
''पहली बार इस डैम में पानी इतना कम हुआ है. इसकी क्षमता 17 एमसीएम है और वर्ष 2022 में हुई बारिश में डैम 35 प्रतिशत ही भर पाया था और तब से लगातार पानी की सप्लाई दी जा रही है. अभी डैम में 7 प्रतिशत पानी शेष होगा और इसमें शिल्ट भी जमा हुआ है.लुंड्रा क्षेत्र में बारिश कम होने से यह स्थिति उत्पन्न हुई है. यदि जून में बारिश नहीं हुई तो आने वाले दिनों में परेशानी हो सकती है.''- अनिल खलखो, ईई थर्मल पावर
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कितनी है डैम की क्षमता : अधिकारी भी यह मान रहे हैं कि जिले के लुंड्रा क्षेत्र में बीते वर्ष कम बारिश होने से डैम में जलभराव कम हुआ. 17 मिलियन घन मीटर वाले डैम में सिर्फ 35 प्रतिशत ही जलभराव हुआ. आज की स्थिति में यहां 7 प्रतिशत ही पानी बचा हुआ है. ऐसे में नगर निगम के तकिया फिल्टर प्लांट को फिलहाल तो पानी की सप्लाई की जा रही है. लेकिन अगले महीने यदि बारिश नहीं होती है तो निश्चित रूप से लोगों को पेयजल के लिए संकट का सामना करना पड़ेगा.