राजनांदगांव : विकास के बड़े-बड़े दावों के बीच राजनांदगांव जिले का एक ऐसा गांव हैं. जहां के लोग आज भी झिरिया का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. भीषण गर्मी में जब हम ठंडा पानी और आरो वाटर ,मिनरल वाटर का पानी पीते हैं. तो वहीं इस गांव के लोग झिरिया का गंदा पानी पीकर जीवन काट रहे हैं. इस पानी को पीने से कई तरह की बीमारियां पूरे गांव में फैल सकती है. लेकिन इसके सिवा इनके पास कोई दूसरा चारा भी नहीं (Village without basic facilities in Rajnandgaon) है.
कहां का है मामला : यह गांव है राजनांदगांव जिले के पेंदोडी ग्राम पंचायत के आश्रित गांव मेटातोड़के (Lack of facilities in village Metodorke) का . हम आपको बता दें कि ग्रामीण पानी के लिए झिरिया, नदी, नाले या पहाड़ के निचले हिस्से में एक गड्ढा खोदकर पानी इकट्ठा करते हैं और उस पानी का ग्रामीण उपयोग करते हैं. इस गांव में बात सिर्फ पानी तक सीमित नहीं है.बल्कि मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर तक इलाके का कोई लेना देना नहीं है.
कितनी है गांव की आबादी : राजनांदगांव जिला मुख्यालय (Rajnandgaon District Headquarters) से 160 किलोमीटर की दूरी पर बसा छोटा सा गांव मेटातोड़के में 70 लोगों की आबादी निवास करती है.घने जंगलों के बीच यह गांव बसा हुआ है. इस गांव में ना तो सड़क है, ना ही बिजली है और ना ही पीने के लिए साफ पानी. शिक्षा और पीडीएस दुकान का तो सवाल ही नहीं उठता. यह गांव पहाड़ों से घिरा हुआ है. सड़क के नाम पर सिर्फ पगडंडी ही नजर आती है. इस भीषण गर्मी में लोग झिरिया के पानी के सहारे हैं. गांव में हैंडपंप तो है लेकिन उसमें का पानी भी पीने लायक नहीं है.
अपील के बाद भी सुनवाई नहीं : छोटे से गांव में कई साल से बसे ग्रामीणों का कहना है कि '' इस गांव में मूलभूत सुविधा का अभाव है और सरकार से अपील करते हैं कि यहां मूलभूत सुविधा प्रदान करें. गांव में ना सड़कें हैं, ना बिजली है, ना पानी है.''
गांव है या नरक : इस गांव के ग्रामीण नारकीय जीवन जीने मजबूर है. आजादी के इतने साल बीत जाने के बाद भी स्थिति जस की तस है. इस गांव से विकास कोसों दूर है. शासन प्रशासन की नजर अब तक गांव की दुर्दशा पर नहीं पड़ी है. अब देखना ये होगा कि ग्रामीणों की आवाज कब शासन या प्रशासन की कानों तक पहुंचती है.