राजनांदगांव: शिक्षा विभाग पर लग रहे आरोपों का जवाब भले ही नहीं मिल पा रहा है, लेकिन एक के बाद एक लापरवाही जरूर सामने आ रही है. जिला शिक्षा अधिकारी हेतराम सोम ने शत-प्रतिशत अनुदान प्राप्त अशासकीय गुजराती राष्ट्रीय बाल मंदिर, प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक शाला से तीन अनुदानित शिक्षकों का ट्रांसफर श्री देवानंद जैन उच्चतर माध्यमिक स्कूल में कर दिया.
लेकिन श्री देवानंद जैन उच्चतर माध्यमिक स्कूल में बच्चों की दर्ज संख्या सिर्फ 5 है. तीनों शिक्षक पहले जहां पढ़ा रहे थे, वहां 237 बच्चे अध्ययनरत हैं. परिजनों का कहना है कि बीच सत्र में ऐसा करना सही नहीं है, क्योंकि स्कूल के शत-प्रतिशत अनुदान प्राप्त होने के कारण यहां पढ़ रहे बच्चों को कई सुविधाएं मिलती हैं, जैसे- मिड डे मील, छात्रवृत्ति, किताबें. परिजनों ने कहा कि बीच सत्र में अध्ययनरत 237 बच्चों के भविष्य के साथ ऐसा खिलवाड़ करना भारी लापरवाही है.
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सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जगदलपुर में डीईओ रहते हुए कई लोगों का संलग्नीकरण समाप्त कर दिया गया. ट्रांसफर में भारी अनियमितता थी, जिस पर अनुशासनात्मक कार्रवाई अभी प्रस्तावित है. सरकारी स्कूलों में फर्नीचर सप्लाई का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि एक और मामले ने शिक्षा विभाग को हिलाकर रख दिया. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, शत-प्रतिशत अनुदान प्राप्त अशासकीय गुजराती स्कूलों में लाखों रुपये के अनुदान की राशि के संबंध में भारी वित्तीय अनियमितता की लिखित शिकायत दिनांक 5 सितंबर 2020 और 12 अक्टूबर 2020 को हुई है.
डीईओ एचआर सोम पर उठ रहे सवाल
जिला शिक्षा अधिकारी हेतराम सोम के काम पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि उनके हस्ताक्षर से भी चेक जारी किया गया है. लेकिन इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी ने अभी तक जांच नहीं कराई है और अब आनन-फानन में शिक्षकों का स्थानांतरण कर शाला को अनुदान से मुक्त करने की कवायद भी तेज हो गई है. इस मामले में डीईओ एचआर सोम का कहना है कि आदेश की समीक्षा की जाएगी, मौके पर जांच टीम को भी भेजा जाएगा और समीक्षा के बाद आदेश में संशोधन किया जाएगा.