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तारीख पर तारीख मिली, लेकिन नहीं मिला इंसाफ, जानिए कैद में बंद इन कछुओं की कहानी

मामले का सबसे दुखद पहलु ये है कि जिन कछुओं के गलत इस्तेमाल के लिए कोर्ट में ये मामला चल रहा है, वो कछुए खुद कैदियों सी जिंदगी जी रहे हैं.

4 सालों से कैद कछुए,
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Published : Jul 26, 2019, 12:41 PM IST

Updated : Jul 26, 2019, 12:48 PM IST

राजनांदगांव: तारीख पे तारीख, तारीख पे तारीख, तारीख पे तारीख, यूं तो ये एक फिल्म का डायलॉग है, लेकिन कुछ बेजुबान इन तारीखों के फेर में ऐसे उलझे कि पिछले 4 साल से बिना किसी अपराध के सजा काटने को मजबूर हैं.

जानिए कैद में बंद इन कछुओं की कहानी

चार साल है कैद हैं कछुए
सितंबर 2015 में बसंतपुर पुलिस ने इन कछुओं को 6 आरोपियों से बरामद किया था, जो इनका उपयोग तंत्र-मंत्र में करते थे. पुलिस ने आरोपियों को कोर्ट में पेश किया और उसके बाद से तारीख मिलने का जो सिलसिला शुरू हुआ वो अब तक जारी है.

नहीं मिली आजादी
मामला कोर्ट में है, लिहाजा पुलिस ने इन कछुओं को वन विभाग के हवाले कर दिया. कछुए तांत्रिकों की कैद से तो आजाद हो गए, लेकिन इन्हें आजादी नहीं मिल पाई और वन अमले ने इन्हें एक वाटर टैंक में डाल दिया, जहां ये पिछले 4 साल से आजाद होने का इंतजार कर रहे हैं.

चार कर्मचारी करते हैं देख-रेख
फॉरेस्ट डिपो में एक डिप्टी रेंजर सहित वन अमले के 4 कर्मचारी रात-दिन इन कछुओं की देख-रेख करते हैं. इन कछुओं की आजादी के सवाल पर पुलिस का कहना है कि अगर कोर्ट का आदेश मिले तो कछुओं को छोड़ दिया जाएगा. वहीं डीएफओ साहब का कहना है कि कोर्ट से अनुमति मांगी गई है.

मामले का सबसे दुखद पहलु ये है कि जिन कछुओं के गलत इस्तेमाल के लिए कोर्ट में ये मामला चल रहा है, वो कछुए खुद कैदियों सी जिंदगी जी रहे हैं, अब सवाल ये उठता है कि जिस मकसद से इन कछुओं को तांत्रिकों से आजाद करवाया गया था वो कब पूरा होगा और कब ये आजादी की सांस ले पाएंगे.

राजनांदगांव: तारीख पे तारीख, तारीख पे तारीख, तारीख पे तारीख, यूं तो ये एक फिल्म का डायलॉग है, लेकिन कुछ बेजुबान इन तारीखों के फेर में ऐसे उलझे कि पिछले 4 साल से बिना किसी अपराध के सजा काटने को मजबूर हैं.

जानिए कैद में बंद इन कछुओं की कहानी

चार साल है कैद हैं कछुए
सितंबर 2015 में बसंतपुर पुलिस ने इन कछुओं को 6 आरोपियों से बरामद किया था, जो इनका उपयोग तंत्र-मंत्र में करते थे. पुलिस ने आरोपियों को कोर्ट में पेश किया और उसके बाद से तारीख मिलने का जो सिलसिला शुरू हुआ वो अब तक जारी है.

नहीं मिली आजादी
मामला कोर्ट में है, लिहाजा पुलिस ने इन कछुओं को वन विभाग के हवाले कर दिया. कछुए तांत्रिकों की कैद से तो आजाद हो गए, लेकिन इन्हें आजादी नहीं मिल पाई और वन अमले ने इन्हें एक वाटर टैंक में डाल दिया, जहां ये पिछले 4 साल से आजाद होने का इंतजार कर रहे हैं.

चार कर्मचारी करते हैं देख-रेख
फॉरेस्ट डिपो में एक डिप्टी रेंजर सहित वन अमले के 4 कर्मचारी रात-दिन इन कछुओं की देख-रेख करते हैं. इन कछुओं की आजादी के सवाल पर पुलिस का कहना है कि अगर कोर्ट का आदेश मिले तो कछुओं को छोड़ दिया जाएगा. वहीं डीएफओ साहब का कहना है कि कोर्ट से अनुमति मांगी गई है.

मामले का सबसे दुखद पहलु ये है कि जिन कछुओं के गलत इस्तेमाल के लिए कोर्ट में ये मामला चल रहा है, वो कछुए खुद कैदियों सी जिंदगी जी रहे हैं, अब सवाल ये उठता है कि जिस मकसद से इन कछुओं को तांत्रिकों से आजाद करवाया गया था वो कब पूरा होगा और कब ये आजादी की सांस ले पाएंगे.

Intro:राजनांदगांव तारीख पर तारीख लगातार कोर्ट में तारीखे बढ़ती जा रही है लेकिन अब तक इंसाफ नहीं मिला हुजूर 4 साल से चार कछुए एक पानी की टंकी में कैद होकर अपनी सजा काट रहे हैं जी हां हम बात कर रहे हैं उन चार कछुए की जो एक प्रकरण के तहत वन विभाग को उनकी अभिरक्षा में सौपे गए थे इन कछुओं को आज तक इंसाफ नहीं मिल पाया है आज भी वे एक पानी की टंकी में सजा काटने को मजबूर हैं उनका कसूर सिर्फ इतना है की जादू टोने के इस्तेमाल में एक बैगा ने उनका इस्तेमाल किया अब तक मामले में फैसला नहीं हो पाया है इसके चलते वन विभाग के कर्मचारी तीन कछुओं की देखरेख में लगे रहते हैं.



Body:वन विभाग के फॉरेस्ट डिपो में तीन कछुए सितंबर 2015 से एक डिप्टी रेंजर सहित वन अमले के 4 कर्मचारियों की देखरेख में है जो 24 घंटे इन कछुओं की निगरानी करते हैं इन कछुओं को बसंतपुर पुलिस ने 6 आरोपियों से बरामद किया था जो तंत्र-मंत्र में इन कछुओं का इस्तेमाल करते थे तंत्र मंत्र करने के दौरान आरोपियों तक जब पुलिस पहुंची तो मौके वारदात पर यह कछुए बरामद किए गए थे. पुलिस ने बताया कि अक्सर ऐसे कछुओं का इस्तेमाल जादू टोने में किया जाता है.
वन विभाग की निगरानी में
बरामद किए गए कछुआ को वन विभाग की निगरानी में रखा गया है क्योंकि मामला कोर्ट में अभी चल रहा है इस दौरान कछुआ को भी साक्ष्य के रूप में कभी भी पेश करना पड़ सकता है इसके चलते पुलिस ने इस मामले में इन कछुओं की भूमिका महत्वपूर्ण मानी है वहीं वन विभाग को इन कछुओं को सुपुर्द कर उनकी निगरानी में रखा गया है वर्तमान में एक डिप्टी रेंजर और चार कर्मचारी 24 घंटे इन कछुओं की निगरानी करते हैं वन विभाग के कर्मचारी इसलिए भी इन कछुओं की मुस्तैदी से निगरानी करते हैं क्योंकि मामला कोर्ट से जुड़ा हुआ है और अगर इन कछुओं को कुछ भी होता है तो गाज उन पर भी गिर सकती है.
कोर्ट आदेश देगी तो छोड़ेंगे
इस मामले में बसंतपुर टीआई राजेश कुमार साहू का कहना है की यह 2015 का मामला है आरोपियों पर केस चल रहा है पुलिस ने चार कछुए को वन विभाग की अभिरक्षा में सौंप दिया था इस मामले में अगर कोर्ट आदेश करती है तो कछुओं को छोड़ दिया जाएगा.


Conclusion:कोर्ट से अनुमति मांगी गई
इस मामले में डीएफओ पंकज राजपूत का कहना है कि पुलिस ने किसी मामले में कछुओं को बरामद किया था इसके बाद उन्हें वन विभाग की अभिरक्षा में दे दिया गया तब से वन डिपो में कछुओं को पानी की टंकी में रखा गया है जहां कर्मचारियों की देखरेख में उन्हें दाना पानी दिया जा रहा है क्योंकि मामला कोर्ट में चल रहा है कोर्ट से अनुमति मांगी गई है अगर प्रकरण के फैसले के पहले ही कोर्ट अगर अनुमति दे देता है कि कछुआ को छोड़ दिया जाए तो उन्हें जंगल में भेज दिया जाएगा.

बाइट पंकज राजपूत वाइट शर्ट में डीएफओ
बाइट राजेश कुमार साहू टीआई बसंतपुर थाना
Last Updated : Jul 26, 2019, 12:48 PM IST
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