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दुर्लभ जड़ी बूटियों का खजाना है छत्तीसगढ़ का ये शिव मंदिर - छत्तीसगढ़ का शिव मंदिर

ETV भारत आज आपको छत्तीसगढ़ के महादेव पहाड़ी पर स्थित महादेव डोंगरी के मंदिर दर्शन कराएगा. ये मंदिर मैकल पर्वत श्रेणी के बीच में स्थित है, इस पहाड़ में दुर्लभ जड़ी बूटियों का खजाना है.

dongri temple
महादेव डोंगरी
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Published : Feb 21, 2020, 4:31 PM IST

राजनांदगांव: देवों के देव महादेव के जितने नाम हैं, उतनी ही उनसे जुड़ी अलौकिक कहानी और मान्यताएं हैं. ETV भारत आज आपको छत्तीसगढ़ के उस शिव मंदिर के दर्शन कराएगा जो प्रकृति की गोद में, मैकल पर्वत श्रेणी के बीच में बसा हुआ है. कहा जाता है कि, इस पहाड़ी पर दुर्लभ जड़ी बूटियों का खजाना है. आज भी भोलेनाथ की कृपा यहां लोगों पर बरसती है'.

महादेव डोंगरी मंदिर

प्रकृति का अद्भुत नजारा

डोंगरगांव ब्लॉक मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर तिलईरवार गांव में महादेव पहाड़ी स्थित है. इस पहाड़ी को स्थानी भाषा में महादेव डोंगरी के नाम से जाना जाता है. यहां का दृश्य बेहद ही मनोरम और तृप्त कर देने वाला है. वहीं भगवान शंकर का मंदिर आध्यात्मिक चेतना को जगाने वाला है. मंदिर के चारों ओर देखने पर प्रकृति का अलौकिक नजारा हर किसी को दोबारा आने के लिए मजबूर कर देता है. सैकड़ों फीट ऊंचे पहाड़ पर जाकर प्रकृति का यह दृश्य देखना अपने आप में एक दुर्लभ अनुभव है.

यहां सैकड़ों साल पुरानी महादेव की प्राचीन मूर्तियां भी हैं. वहीं विशेष मौके पर वैद्य समुदाय शिवशंकर का आशीर्वाद लेकर लोगों के इलाज के लिए यहां से जड़ी बूटी इकट्ठा करते हैं. कहा जाता है कि यहां कि जड़ी-बूटियों में भगवान शिव का आशीर्वाद है.

यह है पहुंच मार्ग

राजनांदगांव जिला मुख्यालय से नागपुर रोड में टप्पा होते हुए गांव तिलईरवार से पहाड़ी पर विराजित भगवान शिव के दर्शन करने के साथ ही प्राकृतिक सौंदर्य का लुत्फ उठा सकते हैं. वहीं दूसरी ओर ब्लॉक मुख्यालय डोंगरगांव से मारगांव, गिरगांव होते हुए माहुलझोपड़ी के समीप से इस महादेव डोंगरी मंदिर तक पहुंचा जा सकता है.

सैकड़ों फीट ऊंचे पहाड़ में है अलौकिक मंदिर

भगवान शिव की अलौकिक प्रतिमा प्रकृति की गोद में बसी छोटी सी पहाड़ी पर स्थित है. यहां मां आदिशक्ति दुर्गा की दिव्य प्रतिमा भी स्थापित है, साथ ही ज्योति कक्ष भी है, यहां चैत्र और क्वांर नवरात्र में ज्योति कलश प्रज्वलित कर स्थापित किया जाता है. वहीं पास में भगवान शंकर का मुख्य मंदिर है, जिसके आस-पास का दृश्य बहुत ही खूबसूरत है. महाशिवरात्रि और नागपंचमी सहित अन्य अवसरों पर यहां भगवान शिव की पूजा होती है और लोग अपनी मनोकामना पूर्ण करने यहां पहुंचते हैं.

यहां के लोगों की मान्यता है कि महादेव पहाड़ पर विराजे भगवान शंकर और मां शीतला की पूजा से सभी मनोकामना पूर्ण होती है. संतान प्राप्ति के लिए भक्त दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं. वहीं मंदिर के पुजारी नेमूचंद ने बताया कि भगवान शिव की प्रतिमा और महादेव डोंगरी का क्षेत्र रहस्यों से भरा है, जिसका अनुभव वे हमेशा करते हैं.

पूरी पहाड़ी जड़ी बूटियों का है खजाना

क्षेत्र के वैद्य महेश गंजीर ने बताया कि महादेव पहाड़ी पर बड़ी मात्रा में दुर्लभ प्रजाति के पेड़-पौधे और जड़ी बूटियां मौजूद हैं. जिन्हें भी इन जड़ी-बूटियों की जानकारी है वे अपने रोगों को ठीक करने के लिए जड़ी-बूटियों को ले जाते हैं. वैद्य बताते है नाग पंचमी और ऋषि पंचमी के समय विशेष तौर पर वैद्य समुदाय यहां पहुंचता है. क्षेत्र के ग्रामीण कार्तिक मंडावी ने बताया कि यहां की जड़ी-बूटियों को बेचकर वे अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं.

इस पहाड़ी पर ऐसे बहुत से दुर्लभ पेड़ और जड़ी बूटियां हैं, जिन पर शोध की आवश्यकता है. इस पहाड़ी पर मंदिर के समीप मैदान में बहुत ही दुर्लभ शंखपुष्पी का पौधा देखने को मिला. सफेद और नीला शंखपुष्पी एक ऐसा पौधा है जो दिमाग तेज करने के लिए दवा के रूप में उपयोग किया जाता है.

पर्यटन और शोध की है प्रबल संभावनाएं

महादेव पहाड़ी ऐसे बहुत से रहस्य छुपाए हुए है, जहां शोध की आवश्यकता है. वहीं ऊपर पहाड़ी से दिखने वाला दृश्य बहुत ही मनोरम है और मंदिर के आस-पास बड़ा मैदानी इलाका है. जहां उद्यान और पानी की व्यवस्था हो जाए, तो एक अच्छा पर्यटन स्थल साबित होगा. लोग बताते हैं कि पानी की परेशानी को देखते हुए स्थानीय विधायक ने यहां इसकी व्यवस्था कराने की बात कही है.

प्रकृति का है अद्भुत नजारा

भगवान शंकर जहां विराजते हैं वहां का दृश्य अलौकिक ही होगा. इसका साक्षात प्रमाण यह पहाड़ी है. बरसात के मौसम में बादल पहाड़ के नीचे तक आ जाते हैं. बादलों के नीचे आने का कारण पहाड़ की गर्मी है. वहीं इस स्थल पर एक शिला भी है जिसपर भरी गर्मी में बैठने पर भी शीतलता का एहसास होता है. ग्रामीण बताते हैं कि महादेव पहाड़ी पर एक गुफा है. जहां प्राचीन समय में महादेव की पूजा अर्चना होती थी और नगाड़े बजाए जाते थे. जिसके प्रमाण आज भी है, लेकिन अब गुफा का द्वार संकरा हो चुका है, जिससे अंदर जा पाना मुश्किल हो गया है.

राजनांदगांव: देवों के देव महादेव के जितने नाम हैं, उतनी ही उनसे जुड़ी अलौकिक कहानी और मान्यताएं हैं. ETV भारत आज आपको छत्तीसगढ़ के उस शिव मंदिर के दर्शन कराएगा जो प्रकृति की गोद में, मैकल पर्वत श्रेणी के बीच में बसा हुआ है. कहा जाता है कि, इस पहाड़ी पर दुर्लभ जड़ी बूटियों का खजाना है. आज भी भोलेनाथ की कृपा यहां लोगों पर बरसती है'.

महादेव डोंगरी मंदिर

प्रकृति का अद्भुत नजारा

डोंगरगांव ब्लॉक मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर तिलईरवार गांव में महादेव पहाड़ी स्थित है. इस पहाड़ी को स्थानी भाषा में महादेव डोंगरी के नाम से जाना जाता है. यहां का दृश्य बेहद ही मनोरम और तृप्त कर देने वाला है. वहीं भगवान शंकर का मंदिर आध्यात्मिक चेतना को जगाने वाला है. मंदिर के चारों ओर देखने पर प्रकृति का अलौकिक नजारा हर किसी को दोबारा आने के लिए मजबूर कर देता है. सैकड़ों फीट ऊंचे पहाड़ पर जाकर प्रकृति का यह दृश्य देखना अपने आप में एक दुर्लभ अनुभव है.

यहां सैकड़ों साल पुरानी महादेव की प्राचीन मूर्तियां भी हैं. वहीं विशेष मौके पर वैद्य समुदाय शिवशंकर का आशीर्वाद लेकर लोगों के इलाज के लिए यहां से जड़ी बूटी इकट्ठा करते हैं. कहा जाता है कि यहां कि जड़ी-बूटियों में भगवान शिव का आशीर्वाद है.

यह है पहुंच मार्ग

राजनांदगांव जिला मुख्यालय से नागपुर रोड में टप्पा होते हुए गांव तिलईरवार से पहाड़ी पर विराजित भगवान शिव के दर्शन करने के साथ ही प्राकृतिक सौंदर्य का लुत्फ उठा सकते हैं. वहीं दूसरी ओर ब्लॉक मुख्यालय डोंगरगांव से मारगांव, गिरगांव होते हुए माहुलझोपड़ी के समीप से इस महादेव डोंगरी मंदिर तक पहुंचा जा सकता है.

सैकड़ों फीट ऊंचे पहाड़ में है अलौकिक मंदिर

भगवान शिव की अलौकिक प्रतिमा प्रकृति की गोद में बसी छोटी सी पहाड़ी पर स्थित है. यहां मां आदिशक्ति दुर्गा की दिव्य प्रतिमा भी स्थापित है, साथ ही ज्योति कक्ष भी है, यहां चैत्र और क्वांर नवरात्र में ज्योति कलश प्रज्वलित कर स्थापित किया जाता है. वहीं पास में भगवान शंकर का मुख्य मंदिर है, जिसके आस-पास का दृश्य बहुत ही खूबसूरत है. महाशिवरात्रि और नागपंचमी सहित अन्य अवसरों पर यहां भगवान शिव की पूजा होती है और लोग अपनी मनोकामना पूर्ण करने यहां पहुंचते हैं.

यहां के लोगों की मान्यता है कि महादेव पहाड़ पर विराजे भगवान शंकर और मां शीतला की पूजा से सभी मनोकामना पूर्ण होती है. संतान प्राप्ति के लिए भक्त दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं. वहीं मंदिर के पुजारी नेमूचंद ने बताया कि भगवान शिव की प्रतिमा और महादेव डोंगरी का क्षेत्र रहस्यों से भरा है, जिसका अनुभव वे हमेशा करते हैं.

पूरी पहाड़ी जड़ी बूटियों का है खजाना

क्षेत्र के वैद्य महेश गंजीर ने बताया कि महादेव पहाड़ी पर बड़ी मात्रा में दुर्लभ प्रजाति के पेड़-पौधे और जड़ी बूटियां मौजूद हैं. जिन्हें भी इन जड़ी-बूटियों की जानकारी है वे अपने रोगों को ठीक करने के लिए जड़ी-बूटियों को ले जाते हैं. वैद्य बताते है नाग पंचमी और ऋषि पंचमी के समय विशेष तौर पर वैद्य समुदाय यहां पहुंचता है. क्षेत्र के ग्रामीण कार्तिक मंडावी ने बताया कि यहां की जड़ी-बूटियों को बेचकर वे अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं.

इस पहाड़ी पर ऐसे बहुत से दुर्लभ पेड़ और जड़ी बूटियां हैं, जिन पर शोध की आवश्यकता है. इस पहाड़ी पर मंदिर के समीप मैदान में बहुत ही दुर्लभ शंखपुष्पी का पौधा देखने को मिला. सफेद और नीला शंखपुष्पी एक ऐसा पौधा है जो दिमाग तेज करने के लिए दवा के रूप में उपयोग किया जाता है.

पर्यटन और शोध की है प्रबल संभावनाएं

महादेव पहाड़ी ऐसे बहुत से रहस्य छुपाए हुए है, जहां शोध की आवश्यकता है. वहीं ऊपर पहाड़ी से दिखने वाला दृश्य बहुत ही मनोरम है और मंदिर के आस-पास बड़ा मैदानी इलाका है. जहां उद्यान और पानी की व्यवस्था हो जाए, तो एक अच्छा पर्यटन स्थल साबित होगा. लोग बताते हैं कि पानी की परेशानी को देखते हुए स्थानीय विधायक ने यहां इसकी व्यवस्था कराने की बात कही है.

प्रकृति का है अद्भुत नजारा

भगवान शंकर जहां विराजते हैं वहां का दृश्य अलौकिक ही होगा. इसका साक्षात प्रमाण यह पहाड़ी है. बरसात के मौसम में बादल पहाड़ के नीचे तक आ जाते हैं. बादलों के नीचे आने का कारण पहाड़ की गर्मी है. वहीं इस स्थल पर एक शिला भी है जिसपर भरी गर्मी में बैठने पर भी शीतलता का एहसास होता है. ग्रामीण बताते हैं कि महादेव पहाड़ी पर एक गुफा है. जहां प्राचीन समय में महादेव की पूजा अर्चना होती थी और नगाड़े बजाए जाते थे. जिसके प्रमाण आज भी है, लेकिन अब गुफा का द्वार संकरा हो चुका है, जिससे अंदर जा पाना मुश्किल हो गया है.

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