गरियाबंद: कहते हैं जब दवा काम न करे, तो दुआ ही काम आती है, ऐसी ही परिस्थिति गरियाबंद के एक गांव में देखने को मिली. यहां बीमार होकर वेंटिलेटर के सहारे जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहे युवक घनश्याम के लिए दुआ मांगने ना सिर्फ हजारों हाथ उठे, बल्कि गांव की सभी महिलाओं ने इस मरीज की जान बचाने के लिए भगवान से प्रार्थना करते हुए उपवास भी रखा है.
मामला छुरा विकासखंड के पिपराही गांव का है, जहां युवक घनश्याम कंवर के मस्तिष्क में खून का थक्का जम गया, जिसकी वजह से वह महीने भर से राजधानी के मेकाहारा में वेंटिलेटर पर है. डॉक्टरों की ओर से लगातार प्रयास किया जा रहा है कि उसका स्वास्थ्य ठीक हो जाए.
माता-पिता का इकलौता सहारा है घनश्याम
बता दें कि बीमार घनश्याम की दो बहनें हैं और दोनों की शादी हो चुकी है. घनश्याम अपने माता-पिता का इकलौता सहारा है. इसके माता-पिता बूढ़े हो चुके हैं और दोनों ही खेती और मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण करते हैं. उम्र के इस दौर में जिंदगी के लिए जूझ रहे अपने बेटे की हालत उनसे देखी नहीं जा रही और पूरा परिवार काफी परेशान है.
ग्रामीणों ने दिखाई मानवता
घनश्याम के माता-पिता की हालत गांव की महिलाओं से देखी नहीं गई, जिसके बाद सभी महिलाएं व्रत रखकर घनश्याम के लिए दुआ कर रही हैं. इतना ही नहीं गांव की समस्त महिलाओं ने पीड़ित युवक को बेटे की तरह मानते हुए ईश्वर से कामना की है कि घनश्याम जल्द से जल्द ठीक हो जाए.