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वन अधिकार पदयात्रा : सड़क पर उतरे आदिवासी, सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखने की मांग - आदिवासी

वन अधिकार पदयात्रा के माध्यम से गुरुवार को सैकड़ों आदिवासी परिवार अपने अधिकारों की मांग की.

वन अधिकार पदयात्रा
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Published : Nov 15, 2019, 12:03 AM IST

राजनांदगांव : वनांचल के आदिवासी परिवार अधिकार कानून पर अपना पक्ष रखने अब सड़क पर उतर आए हैं. वन अधिकार पदयात्रा के माध्यम से गुरुवार को सैकड़ों आदिवासी परिवार वनांचल के मानपुर ब्लॉक से 100 किलोमीटर दूर सफर कर जिला मुख्यालय पहुंचे. यहां उन्होंने मशाल रैली निकालकर पदयात्रा का चौथा पड़ाव पूरा किया. शुक्रवार सुबह पदयात्रा रैली राजधानी रायपुर की ओर कूच करेगी.

सड़क पर उतरे आदिवासी, सरकार से सुप्रीम कोर्ट में रखने की मांग.

बता दें कि वन भूमि पर आदिवासी परिवारों के अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सन 2006 में वन अधिकार कानून पारित किया था. इस कानून के तहत आदिवासी परिवारों को वन भूमि पर कई महत्वपूर्ण अधिकार दिए गए थे, लेकिन अब केंद्र सरकार ने वन भूमि में आदिवासियों के अधिकारों को खत्म करने के लिए राज्य सरकार को एक प्रस्ताव दिया है, जिसका आदिवासी परिवार विरोध कर रहे हैं.

लगाई गई थी याचिका

आदिवासी को सुप्रीम कोर्ट ने जो वन अधिकार कानून दिया है, उसके खिलाफ एक याचिका लगाई गई थी, जिस पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने आदिवासियों का पक्ष नहीं रखा. इस कारण याचिकाकर्ताओं की बात सुनकर सुप्रीम कोर्ट ने लाखों आदिवासियों को बेदखल करने के लिए आदेश दे दिया है.

सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखने की मांग

आंदोलन से जुड़े आदिवासी सुदेश टीकम का कहना है कि 'आदिवासियों की मांग है कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में आदिवासियों की बात रखें और कोर्ट में उनका पक्ष मजबूत करें ताकि आदिवासियों को उनका हक मिल सके. आदिवासियों की मांग है कि वन अधिकार कानून में जो संशोधन करने के लिए केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को प्रस्ताव दिए हैं, उसे निरस्त किया जाए.

राजनांदगांव : वनांचल के आदिवासी परिवार अधिकार कानून पर अपना पक्ष रखने अब सड़क पर उतर आए हैं. वन अधिकार पदयात्रा के माध्यम से गुरुवार को सैकड़ों आदिवासी परिवार वनांचल के मानपुर ब्लॉक से 100 किलोमीटर दूर सफर कर जिला मुख्यालय पहुंचे. यहां उन्होंने मशाल रैली निकालकर पदयात्रा का चौथा पड़ाव पूरा किया. शुक्रवार सुबह पदयात्रा रैली राजधानी रायपुर की ओर कूच करेगी.

सड़क पर उतरे आदिवासी, सरकार से सुप्रीम कोर्ट में रखने की मांग.

बता दें कि वन भूमि पर आदिवासी परिवारों के अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सन 2006 में वन अधिकार कानून पारित किया था. इस कानून के तहत आदिवासी परिवारों को वन भूमि पर कई महत्वपूर्ण अधिकार दिए गए थे, लेकिन अब केंद्र सरकार ने वन भूमि में आदिवासियों के अधिकारों को खत्म करने के लिए राज्य सरकार को एक प्रस्ताव दिया है, जिसका आदिवासी परिवार विरोध कर रहे हैं.

लगाई गई थी याचिका

आदिवासी को सुप्रीम कोर्ट ने जो वन अधिकार कानून दिया है, उसके खिलाफ एक याचिका लगाई गई थी, जिस पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने आदिवासियों का पक्ष नहीं रखा. इस कारण याचिकाकर्ताओं की बात सुनकर सुप्रीम कोर्ट ने लाखों आदिवासियों को बेदखल करने के लिए आदेश दे दिया है.

सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखने की मांग

आंदोलन से जुड़े आदिवासी सुदेश टीकम का कहना है कि 'आदिवासियों की मांग है कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में आदिवासियों की बात रखें और कोर्ट में उनका पक्ष मजबूत करें ताकि आदिवासियों को उनका हक मिल सके. आदिवासियों की मांग है कि वन अधिकार कानून में जो संशोधन करने के लिए केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को प्रस्ताव दिए हैं, उसे निरस्त किया जाए.

Intro:राजनांदगांव. वनांचल के आदिवासी परिवार अब सड़क पर उतरकर वन अधिकार कानून पर अपना पक्ष रखने सरकार से मांग कर रहे हैं वन अधिकार पदयात्रा के माध्यम से आज सैकड़ों आदिवासी परिवार वनांचल के मानपुर ब्लॉक से 100 किलोमीटर दूर का सफर कर जिला मुख्यालय पहुंचे यहां उन्होंने मशाल रैली निकालकर पदयात्रा का चौथा पड़ाव पूरा किया है कल सुबह पदयात्रा रैली राजधानी रायपुर की ओर कूच करेगी.


Body:बता दें कि वन भूमि पर आदिवासी परिवारों के अधिकारों को लेकर के सुप्रीम कोर्ट ने सन 2006 में वन अधिकार कानून पारित किया था इस कानून के तहत आदिवासी परिवारों को वन भूमि पर कई अधिकार दिए गए थे लेकिन अब केंद्र सरकार ने वन भूमि में आदिवासियों के अधिकारों को खत्म करने के लिए राज्य सरकार को एक प्रस्ताव दिया है इसका आदिवासी परिवार विरोध कर रहे हैं. वहीं वन भूमि पर काबिज आदिवासी और जंगलवासी के अधिकारों पर लगातार हमले किए जा रहे हैं आदिवासी और जंगल वासियों को सुप्रीम कोर्ट ने जो वन अधिकार कानून दिया है उसके खिलाफ एक याचिका लगाई गई थी जिस पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने आदिवासियों और जंगलवासियों का पक्ष नहीं रखा इस कारण याचिकाकर्ताओं की बात सुनकर सुप्रीम कोर्ट ने लाखों आदिवासियों को बेदखल करने के लिए आदेश दे दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखने की मांग
आंदोलन से जुड़े आदिवासी सुदेश टीकम का कहना है कि आदिवासियों की मांग है कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में आदिवासी और जंगल वासियों की बात रखें और कोर्ट मैं उनका पक्ष मजबूत करें ताकि आदिवासियों को उनका हक मिल सके आदिवासियों की मांग है कि वन अधिकार कानून में जो संशोधन करने के लिए केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को प्रस्ताव दिए हैं उसे निरस्त किया जाए और भारतीय वन अधिनियम में जंगल वासियों का अधिकार जो पैसे देकर खत्म किया जा सकता है इसे अनैतिक करार दिया जाए नए कानून में संपत्ति की जब्ती और आदिवासी के कई नैसर्गिक अधिकारों का हनन किया गया है इसे तत्काल सुधारा जाए


Conclusion:आदिवासियों और जंगल वासियों ने हाथ में तीर कमान लेकर राजधानी की ओर निकल पड़े हैं जंगल वासियों के हाथों में मशाल है और निरंतर वह पदयात्रा कर अपने अधिकारों के लिए आवाज उठा रहे हैं.
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