राजनांदगांव: कोरोना से बचने के लिए ये तरीका भी अच्छा है कि क्यों न थोड़ी आदत बदल लें, राजनांदगांव जिले में कुछ इसी तरह का बदलाव देखने को मिल रहा है. कोरोना संक्रमण के दौर में जिला प्रशासन के मार्गदर्शन और स्वास्थ्य विभाग के प्रयास से चलाए जा रहे जागरूकता अभियान के कारण जिले में कई सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहे हैं. कोरोना को मात देने की जद्दोजहद में लोगों की आदतें अब तेजी से बदल रही हैं. अच्छी तरह हाथ धोने के साथ ही मास्क, सैनिटाइजर, पल्स ऑक्सीमीटर या थर्मामीटर का उपयोग अब एक तरह से हर घर की बात हो गई है. दवा व्यवसायी बताते हैं कि विशेषकर कोरोना संक्रमणकाल में सैनिटाइजर, मास्क, पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर की मांग तेजी से बढ़ी है.
'जागरूकता अभियान से सकारात्मक प्रभाव'
इस संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ अधिकारी डॉ. मिथलेश चौधरी ने कहा कि, कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण के लिए जिले में लगातार जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं और लोगों के बीच इस अभियान का सकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिल रहा है. कोराना संक्रमण से बचाव के लिए मॉस्क, सैनिटाइजर के उपयोग के साथ ही बार-बार हाथ धोना और दो गज की दूरी रखना अब लोगों की आदत का हिस्सा बनने लगा है. लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने होम आइसोलेट मरीजों को अपने साथ खासकर पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर रखना अनिवार्य किया हैं.
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अब घरों में ही जांच करने लोग
जागरूकता अभियान का ही परिणाम है कि अब कोरोना मरीजों के अलावा आम लोग भी बाजार से सैनिटाइजर, मॉस्क, पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर की खरीदी कर अपनी सेहत की घरों में ही जांच करने लगे हैं. जिला दवा विक्रेता संघ के अध्यक्ष देवव्रत गौतम ने बताया कि कोरोना मरीजों को होम आइसोलेट करने की सुविधा देने के बाद बिक्री में और तेजी आई है.
रोजाना 80 से 100 नग पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर की बिक्री
शहर की अलग-अलग दुकानों से रोजाना 80 से 100 नग पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर बिक रहे हैं. होम आइसोलेट मरीजों की तुलना में इसकी बिक्री अधिक होने से स्पष्ट हो रहा है कि सामान्य लोग भी अपनी सेहत की जानकारी घर पर ही जुटाने के लिए इसकी खरीदी कर रहे हैं. राहत वाली बात ये है कि अब तक थर्मामीटर और पल्स ऑक्सीमीटर की किसी तरह की शार्टेज नहीं है. मांग से ज्यादा स्टॉक अलग-अलग मेडिकल स्टोर्स में मौजूद हैं. वहीं मॉस्क, सैनिटाइजर भी अब बाजार में जरूरत से कहीं ज्यादा मौजूद है.
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192 कोरोना संक्रमित होम आइसोलेट
जिले में वर्तमान में 192 कोरोना संक्रमितों को होम आइसोलेट किया गया है. ऐसे मरीजों को अपने पास पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर रखना अनिवार्य है, लेकिन इन मरीजों की तुलना में इनकी बिक्री कई गुना तक बढ़ गई है. सप्ताहभर से शहर में पल्स ऑक्सीमीटर की खरीदी रोजाना 100 के लगभग है. वहीं इतनी ही संख्या में थर्मामीटर भी बिक रही है. इससे साफ है कि सामान्य लोगों में भी अपनी सेहत को लेकर काफी जागरूकता आई है.
ऑक्सीजन लेवल की जानकारी देती है पल्स ऑक्सीमीटर
पल्स ऑक्सीमीटर शरीर में ऑक्सीजन लेवल की जानकारी देती है. ये डिवाइस खून में मौजूद ऑक्सीजन के स्तर को मापती है. यह हार्ट रेट की रीडिंग भी देती है. इससे यह भी पता लगता है कि फेफड़ों के लिए दी गई दवाई कितने अच्छे से काम कर रही है इसके साथ ही यह भी पता लगता है कि सांस लेने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता है या नहीं ? सांस से जुड़ी अलग-अलग जानकारी के लिए यह डिवाइस काम आती है.
ऐसे काम करता है थर्मामीटर
चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना वायरस की पहचान व रोकथाम में थर्मामीटर काफी उपयोगी साबित हुआ है, जिसके माध्यम से बिना छुए ही किसी व्यक्ति का तापमान मापा जा सकता है. थर्मामीटर मरीज के शरीर का तापमान डिग्री फॉरेन्हाइट व डिग्री सेल्सियस में पलक झपकते ही बता देता है. यह गैर-संपर्क दूरस्थ अवरक्त इलेक्ट्रॉनिक थर्मामीटर है. यह माथे से अवरक्त गर्मी विकिरण को एकत्र कर शरीर के तापमान को मात्र एक सेकेंड में माप सकता है. यह डिफरेंस तापमान को भी सेंसर के माध्यम से पढ़ लेता है. यह इस्तेमाल में भी आसान और सटीक परिणाम देता है। इसमें एलसीडी डिस्प्ले भी रहता है, जो अंधेरे वातावरण में भी काम कर सकता है.
कीटाणु और बैक्टीरिया से बचाता है सैनिटाइजर
इन दिनों हाथों को धोने के लिए साबुन की जगह हैंड सैनिटाइजर का उपयोग अधिक किया जा रहा है. हैंड सैनिटाइजर कीटाणुओं और बैक्टीरिया को हमारे हाथों से निकाल देता है, साथ ही इसके इस्तेमाल के बाद हाथों से भीनी सी महक भी आती है, लेकिन कुछ लोगों को बार-बार हाथ धोने की आदत सी होती है. ऐसे लोगों को हर छोटे-बड़े काम में हाथ डालने के बाद लगता है कि उनके हाथ सिर्फ पानी से साफ नहीं हो पाएंगे, इसलिए वे बार-बार हाथ साफ करने के लिए हैंड सैनिटाइजर का प्रयोग करते हैं.
कंपनियों ने दाम किए कम, सप्लाई बढ़ाई
दवा व्यवसायियों के अनुसार बगैर लक्षण वाले मरीजों के होम आइसोलेट किए जाने की प्रक्रिया के बाद इन उपकरणों की खरीदी बढ़ी हैं. इसी के साथ कंपनियों ने इसकी सप्लाई भी बढ़ा दी है. पहले की तुलना में इन उपकरणों के दाम भी कम कर दिए गए हैं.