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राजनांदगांव के डीईओ पर कार्रवाई के लिए पालक संघ ने लिखा राष्ट्रीय बाल आयोग को पत्र

शिक्षा का अधिकार अधिनियम का कड़ाई से पालन नहीं किए जाने के मामले में छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन ने राजनांदगांव के डीईओ पर कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय बाल आयोग को पत्र लिखा है. एसोसिएशन का आरोप है कि अधिकारी की लापरवाही के कारण बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला नहीं मिल सका है.

Parents Association wrote letter to National Commission for Children
पालक संघ ने लिखा राष्ट्रीय बाल आयोग को पत्र
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Published : May 16, 2021, 11:02 PM IST

राजनांदगांव: जिले में शिक्षा का अधिकार अधिनियम का कड़ाई से पालन नहीं किया जा रहा है. गरीब बच्चों को शिक्षा देने में शिक्षा विभाग के अधिकारी नकारा साबित हो रहे हैं. जिले में बड़ी संख्या में गरीब बच्चों को शिक्षा से वंचित होना पड़ रहा है. उन्हें शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत फायदा नहीं हो रहा है. मामले में डीईओ को जिम्मेदार मानते हुए छत्तीसगढ़ पेरेंट्स एसोसिएशन ने राष्ट्रीय बाल आयोग को पत्र लिखकर कार्रवाई किए जाने की मांग की है.

शिक्षा से वंचित हैं गरीबों के बच्चे

छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन का मानना है कि स्कूल शिक्षा विभाग ने कोरोना काल में बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखने के लिए अनेकों योजना जैसे पढ़ाई दुंहर दुआर, बोलटू के बोल जैसी योजनाएं चलाई गई हैं. इन योजनाओं में करोड़ों रुपए का खर्च भी किया गया. बावजूद इसके विभागीय अफसरों ने योजनाओं की मॉनिटरिंग नहीं की. शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत गरीब बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में दाखिला दिलाने में सफल तो हुए लेकिन उन्हें निरंतर शिक्षा नहीं मिल पाई. इसके चलते आज भी गरीब तबके के बच्चों को शिक्षा से वंचित होना पड़ रहा है.

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राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग से कार्रवाई की मांग

छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन का मानना है कि प्राइवेट स्कूलों में जिन गरीब बच्चों को दाखिला दिया गया था. वे शिक्षा सत्र से दूर हो चुके हैं. बावजूद प्राइवेट स्कूल संचालक ना तो बच्चों को आरटीई के तहत इस साल एडमिशन दे रहे हैं और ना ही उन्हें आगे की पढ़ाई करवा रहे हैं. आरोप लगाते हुए छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को पत्र लिखकर पूरे मामले में कार्रवाई की मांग की है.

साल बीता, लेकिन नहीं मिला प्रवेश

छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन की ओर से कहा गया कि राजनांदगांव के जिला शिक्षा अधिकारी हेतराम सोम ने जिस प्रकार से गरीब बच्चों के जीवन और भविष्य के साथ जान-बूझकर खिलवाड़ किया गया है. सरकार की सारी योजनाओं का पोल खोलकर रख दिया है. कोरोना काल में बंद हुए प्राइवेट स्कूलों के पालक अपने बच्चों को शिक्षा दिलाने जिला शिक्षा अधिकारी के चक्कर काट रहे थे. पूरा साल बीत गया, उनके बच्चों को किसी भी स्कूल में प्रवेश नहीं दिलाया गया. जान-बुझकर इन गरीब बच्चों को शिक्षा से वंचित रखा गया. जिले में करीब 2 हजार से अधिक बच्चों को अब तक आरटीई के तहत एडमिशन नहीं मिल पाया है.

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थाने में की लिखित शिकायत

छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन ने इस पूरे मामले को लेकर थाने में शिकायत की है. राज्य बाल आयोग में भी पूरे मामले की शिकायत की गई है. एसोसिएशन ने मांग की है कि डीईओ पर पूरे मामले में अपराध दर्ज किया जाए. इसके अलावा गरीब बच्चों को आरटीई के तहत नए सत्र में एडमिशन देने के लिए भी पहल की जाए.

राजनांदगांव: जिले में शिक्षा का अधिकार अधिनियम का कड़ाई से पालन नहीं किया जा रहा है. गरीब बच्चों को शिक्षा देने में शिक्षा विभाग के अधिकारी नकारा साबित हो रहे हैं. जिले में बड़ी संख्या में गरीब बच्चों को शिक्षा से वंचित होना पड़ रहा है. उन्हें शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत फायदा नहीं हो रहा है. मामले में डीईओ को जिम्मेदार मानते हुए छत्तीसगढ़ पेरेंट्स एसोसिएशन ने राष्ट्रीय बाल आयोग को पत्र लिखकर कार्रवाई किए जाने की मांग की है.

शिक्षा से वंचित हैं गरीबों के बच्चे

छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन का मानना है कि स्कूल शिक्षा विभाग ने कोरोना काल में बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखने के लिए अनेकों योजना जैसे पढ़ाई दुंहर दुआर, बोलटू के बोल जैसी योजनाएं चलाई गई हैं. इन योजनाओं में करोड़ों रुपए का खर्च भी किया गया. बावजूद इसके विभागीय अफसरों ने योजनाओं की मॉनिटरिंग नहीं की. शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत गरीब बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में दाखिला दिलाने में सफल तो हुए लेकिन उन्हें निरंतर शिक्षा नहीं मिल पाई. इसके चलते आज भी गरीब तबके के बच्चों को शिक्षा से वंचित होना पड़ रहा है.

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राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग से कार्रवाई की मांग

छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन का मानना है कि प्राइवेट स्कूलों में जिन गरीब बच्चों को दाखिला दिया गया था. वे शिक्षा सत्र से दूर हो चुके हैं. बावजूद प्राइवेट स्कूल संचालक ना तो बच्चों को आरटीई के तहत इस साल एडमिशन दे रहे हैं और ना ही उन्हें आगे की पढ़ाई करवा रहे हैं. आरोप लगाते हुए छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को पत्र लिखकर पूरे मामले में कार्रवाई की मांग की है.

साल बीता, लेकिन नहीं मिला प्रवेश

छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन की ओर से कहा गया कि राजनांदगांव के जिला शिक्षा अधिकारी हेतराम सोम ने जिस प्रकार से गरीब बच्चों के जीवन और भविष्य के साथ जान-बूझकर खिलवाड़ किया गया है. सरकार की सारी योजनाओं का पोल खोलकर रख दिया है. कोरोना काल में बंद हुए प्राइवेट स्कूलों के पालक अपने बच्चों को शिक्षा दिलाने जिला शिक्षा अधिकारी के चक्कर काट रहे थे. पूरा साल बीत गया, उनके बच्चों को किसी भी स्कूल में प्रवेश नहीं दिलाया गया. जान-बुझकर इन गरीब बच्चों को शिक्षा से वंचित रखा गया. जिले में करीब 2 हजार से अधिक बच्चों को अब तक आरटीई के तहत एडमिशन नहीं मिल पाया है.

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थाने में की लिखित शिकायत

छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन ने इस पूरे मामले को लेकर थाने में शिकायत की है. राज्य बाल आयोग में भी पूरे मामले की शिकायत की गई है. एसोसिएशन ने मांग की है कि डीईओ पर पूरे मामले में अपराध दर्ज किया जाए. इसके अलावा गरीब बच्चों को आरटीई के तहत नए सत्र में एडमिशन देने के लिए भी पहल की जाए.

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